mukesh
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i am a good nd simpal boy
खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो आने दो रे आने दो, उन्हें इस जीवन में आने दो जाने किस-किस प्रतिभा को तुम गर्भपात मे मार रहे हो जिनका कोई दोष नहीं, तुम उन पर धर तलवार रहे हो बंद करो कुकृत्य – पाप यह, नयी सृष्टि रच जाने दो आने दो रे आने दो, उन्हें इस जीवन में आने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो जिस दहेज-दानव के डर से करते हो ये जुल्मो-सितम क्यों नहीं उसी दुष्ट-दानव को कर देते तुम जड़ से खतम भ्रूणहत्या का पाप हटे, अब ऐसा जाल बिछाने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो बेटा आया, खुशियां आईं सोहर-मांगर छम-छम-छम बेटी आयी, जैसे आया कोई मातम का मौसम मन के इस संकीर्ण भाव को, रे मानव मिट जाने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो चौखट से सरहद तक नारी फिर भी अबला हाय बेचारी? मर्दों के इस पूर्वाग्रह मे नारी जीत-जीत के हारी बंद करो खाना हक उनका, उनका हक उन्हें पाने दो खिलने दो खुशबू पहचानो, कलियों को मुसकाने दो चीरहरण का तांडव अब भी चुप बैठे हैं पांडव अब भी नारी अब भी दहशत में है खेल रहे हैं कौरव अब भी हे केशव! नारी को ही अब चंडी बनकर आने दो खिलने दो खुश
13 मई 2015
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लडकी क्या है???
12 मई 2015
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ladki
12 मई 2015
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अपने देश में इतने अनैतिक और यौन अपराध क्यों हो रहे है?
23 अप्रैल 2015
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bhagwa सिर्फ हम लड़कियो के लिए -बाहर जाते समय आप चेहरे को अलग अलग रंग के स्कार्फ़ बाँधती हो??एक बार सिर्फ भगवा रंग का स्कार्फ़ बांध के देखो... पूरी दुनिया में किसी की हिम्मत नहींजो तुम्हारी ओर तिरछी नज़र से भी देख ले...!
23 अप्रैल 2015
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bhagwa
23 अप्रैल 2015
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videsi sanskriti
15 अप्रैल 2015
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aadhunikta
14 अप्रैल 2015
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