कविता-नारी का अस्तित्व।
दुनियां में नारी सच्चा किरदार निभाए।
खुशबू से भरपूर बसेरा गुलज़ार बनाए।
अपनों के नाम करदे अपनी सब सांसे।
ख़ामोश रहे उफ भी निकले न जुबां से।
हंसता खेलता हुआ सा परिवार बनाए।
दुनियां में नारी सच्चा किरदार निभाए।
खुशबू से भरपूर बसेरा गुलज़ार बनाए।
मन के नगर को भी रोशन कर देती हैं।
छोटी खुशियों को प्रमोशन कर देती हैं।
कभी टिक पाती न बेबसी की घड़ियां।
यादगार बन जाती हैं हंसी की लड़ियां।
बड़ा ही सुंदर सपनों का मीनार बनाए।
दुनियां में नारी सच्चा किरदार निभाए।
खुशबू से भरपूर बसेरा गुलज़ार बनाए।
अटूट रिश्ते के लिए मिश्री बन जाती है।
जिद पे आए अगर केसरी बन जाती है।
शबनम की बूंदों सी कोमल भी होती हैं।
नैन बरसते रहें ऐसे ओझल भी होती हैं।
बने झांसी की रानी जब तलवार उठाए।
दुनियां में नारी सच्चा किरदार निभाए।
खुशबू से भरपूर बसेरा गुलज़ार बनाए।
गगन के सितारें हैं जैसे चमके रंगीनी।
संग रहती हमारे हैं सदा बनके संगिनी।
गम ए नदी से पार करे बनके गामिनी।
मिटाए अंधेरे आफताब बनके दामिनी।
इनके रास्ते में न कोई अंगार सुलगाए।
दुनियां में नारी सच्चा किरदार निभाए।
खुशबू से भरपूर बसेरा गुलज़ार बनाए।