किसान vs सरकारकिसान मजदूर एक सिक्के के दो पहलू इस जहाँ में बने।किसान बिन मजदूर अधूरा, मजदूर बिन किसान अधूरा।किसान का खेत लहराए मजदूर और खुद के पसीने से। वक्त अब इतना बदल गया, बैल की जगह ट्रैक्टर आ गया।डेगची बेलचा की जगह, खेत किनारे ट्यूबवेल लग गया।घर जमीन के बाद, रेल कॉरिडोर के साथ हाईवे भी बन गए।रे