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लूसी आज पूरे घर मे घूम रही थी अपने बच्चे पिल्लू को ढूंढते हुए कभी पलंग के नीचे कभी अलमारी के नीचे तो कभी बॉलकानी मे लेकिन पिल्लू उसको कहीं नजर नही आया वह थक हारकर जमीने के एक कोने मे चुपचाप लोट गई....
ये बता सुंदरता क्या हैतू भला उसे कैसे तोलता हैमेरे शरीर को आँखों से नापकर ही तु मुझे सुंदर बोलता हैमेरे पतले पतले होंठ मेरे नितंबमेरे वक्ष मेरी देह को ही तो तूसदैव आँखों से टटोलता हैबहकर वासना मे तू म