टाइपिंग कोचिंग सेंटर में श्याम का पहला दिन था। वह अपनी सीट पर बैठा टाइप सीखने के लिए नियमावली पुस्तिका पढ़ रहा था। तभी उसकी निगाह अपने केबिन के गेट की तरफ गई। कजरारे नयनों वाली एक साँवली लड़की उसकी केबिन में आ रही थी।
लड़की उसकी बगल वाली सीट पर आकर बैठ गई। टाइपराइटर को ठीक किया और टाइप करने में मशगूल हो गई। श्याम का मन टाइप करने में नहीं लगा। वह किसी भी हालत में लड़की से बातें करना चाह रहा था। वह टाइपराइटर पर कागज लगाकर बैठ गया और लड़की को देखने लगा। लड़की की अँगुलियाँ टाइपराइटर के कीबोर्ड पर ऐसे पड़ रही थीं जैसे हारमोनियम बजा रही हो।
क्या देख रहे हो? 'थोड़ी देर बाद लड़की गुस्से से बोली।
आपको टाइप करते हुए देख रहा हूँ।
यहाँ क्या करने आए हो?
टाइप सीखने।
ऐसे सीखोगे? लड़की के स्वर में तल्खी बरकरार थी।
मेरा आज पहला दिन है, इसलिए मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है। आप टाइप कर रही थीं तो मैं देखने लगा कि आपकी अँगुलियाँ कैसे पड़ती हैं कीबोर्ड पर। आपको टाइप करते देखकर लगा मैं भी सीख जाऊँगा।
यदि इसी तरह मुझे ही देखते रहे तो आपकी यह मनोकामना कभी पूरी नहीं होगी।'
गीता फिर टाइप करने में जुट गई। श्याम भी कीबोर्ड देखकर टाइप करने लगा। टाइप करने में उसका मन नहीं लग रहा था। वो बेचैनी-सी महसूस कर रहा था। दस मिनट बाद ही उसने टाइपराइटर का रिबन फँसा दिया।
'रिबन तो फँसेगा ही जब ध्यान कहीं और होगा...।'
गीता उसके टाइपराइटर को थोड़ा अपनी ओर खींचकर रिबन ठीक करने लगी। इसी बीच रिबन नीचे गिर गया। वह उसे उठाने के लिए झुकी तो उसके गले से चुन्नी गिर गई। रिबन उठाने के लिए श्याम भी झुका था। उसकी निगाह अकस्मात ही गीता के उरोजों पर चली गई। वह सकपका गया।
'लो, ठीक हो गया।' गीता ने कहा तब उसकी चेतना लौटी। गीता फिर टाइप करने में लग गई, लेकिन श्याम का मन टाइप में नहीं लगा। वह गीता से बात करने की ताक में ही लगा रहा।
'मन नहीं लग रहा है?' अचानक गीता ने उससे पूछा तो बाँछें खिल गईं।
'लगता है कि सीख भी नहीं पाऊँगा।'
आसार तो कुछ ऐसे ही दिखते हैं।
आपका नाम? श्याम ने बात को बढ़ाने के लिए सवाल कर दिया।
गीता ।