om prakash
मुझे लिखने और पढ़ने का शौक है।मेरी अब तक एक उपन्यास "संघर्ष और सपने"2009 में प्रकाशित हुई है । दो उपन्यास और एक दृश्यवर्णन पटकथा छत्तीशगढ़ी भाखा बोली पर है ।जिसे लिख कर पूरा कर लिया है ।जिस रचनाओं को प्रकाशित करने की तैयारी में है । प्रतिलिपि और मातृभारती में भी अपनी कहानी,लेख ,कविता लिखता हूं। इस जीवन की आपाधापी में थोड़ा समय निकाल पाता हूँ। शब्द in के सभी मित्रों को मेरा नमन और सादर अभिवादन ।💝💝💝👏👏👏
कविता -मैं कितना तुम से प्यार करू
मैं कितना तुम से प्यार करू और प्यार की परिभाषा तुम से सिखु तुम मेरे नयन की टिमटिमाती तारा हो तुम मेरे आंखों से कभी ओझल हो जाती हो मैं तुम से कभी शिकवा सिकायत नहीं किया तुम मेरे दिल में में बसी हो आंखों के नूर हो
कविता -मैं कितना तुम से प्यार करू
मैं कितना तुम से प्यार करू और प्यार की परिभाषा तुम से सिखु तुम मेरे नयन की टिमटिमाती तारा हो तुम मेरे आंखों से कभी ओझल हो जाती हो मैं तुम से कभी शिकवा सिकायत नहीं किया तुम मेरे दिल में में बसी हो आंखों के नूर हो