मैं कितना तुम से प्यार करू
और प्यार की परिभाषा तुम से सिखु
तुम मेरे नयन की टिमटिमाती तारा हो
तुम मेरे आंखों से कभी ओझल हो जाती हो
मैं तुम से कभी शिकवा सिकायत नहीं किया
तुम मेरे दिल में में बसी हो आंखों के नूर हो
मुझे लिखने और पढ़ने का शौक है।मेरी अब तक एक उपन्यास "संघर्ष और सपने"2009 में प्रकाशित हुई है ।
दो उपन्यास और एक दृश्यवर्णन पटकथा छत्तीशगढ़ी भाखा बोली पर है ।जिसे लिख कर पूरा कर लिया है ।जिस रचनाओं को प्रकाशित करने की तैयारी में है ।