पिता से है जीवन.. जो जग में है लाया
इस दुनिया से मेरा जिसने.. परिचय कराया
पकड़कर उंगली मेरी..जिसने चलना सिखाया
वो है पिता..जिसने हंसना सिखाया
खिलौना जो बचपन का.. मुझे सबसे पहले भाया
ईश्वर ने मुझे..पिता के रूप में दिलाया
जब आती थी नींद..उसने पेट पर सुलाया
मुझे मखमल बिछौने से ज्यादा..मजा उसपे आया
पिता मेरी हिम्मत..जागीर बन के आया
जो भी मांगा मैंने.. वो उसने दिलाया
खुद भूखा रहकर जिसने.. हमको खिलाया
जब भी हम हारे हिम्मत.. उसने हौंसला बढ़ाया
खून-पसीना बहाकर..जो भी उसने कमाया
हम बच्चों पर ही उसने.. सब कुछ लुटाया
बाहर से सख्त दिखा वो.. नरम अंदर से पाया
ईश्वर के जैसा ही है.. मेरे मन- मंदिर छाया
पिता से है जीवन.. जो जग में है लाया
इस दुनिया से मेरा जिसने..परिचय कराया ।।