वो एक भयानक काली रात थी। सुनसान सड़क पर एक ट्रक तेजी से दौड़ रहा था। शायद ट्रक ड्राईवर को कहीं पर पहुंचने की कुछ ज्यादा ही जल्दी थी। लेकिन कहा..?? ये बात सिर्फ ट्रक का ड्राइवर जानता था!
ट्रक ड्राइवर ने किसी को फोन किया लेकिन दूसरी तरफ किसी ने भी कॉल रिसीव नहीं किया। उसने बार बार कॉल करना शुरू किया। कुछ ही कॉल्स के बात दूसरी तरफ से किसीने कॉल रिसीव कर लिया और किसी आदमी की उबासी लेते हुए आवाज आईं, "कौन इतनी रात को दो बजे कॉल कर रहा है..???"
ट्रक ड्राइवर ने कहा, "सुमित, में नवीन बोल रहा हू..! जल्दी से फैक्ट्री पहुंचो..! एक गड़बड़ हो गई है..।"
दूसरी तरफ से सुमित ने घबराते हुए कहा, "क्या ये गड़बड़ उससे रिलेटेड है..???"
नवीन ने कहा, "हां.. बस तुम जल्दी पहुंचो, वरना देर हो जायेगी।"
सुमित ने कॉल कट कर दी और जल्दी से तैयार होकर फैक्ट्री की तरफ निकल गया।
जब सुमित फैक्ट्री पहुंचा, नवीन पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था। फैक्ट्री देखने में काफी पुरानी लग रही थी, लेकिन वहां इतना सामान भरा पड़ा था कि पूरी फैक्ट्री में जिधर देखो सिर्फ सामान ही नजर आ रहा था। हर जगह कुछ ना कुछ सामान पड़ा हुआ था। कहीं लकड़ी के डंडे तो कहीं लोहे की सरिया, कहीं प्लास्टिक की बड़ी बड़ी बोरियां। उन बोरियों में क्या था ये बात शायद वही लोग जानते थे।
सुमित ने नवीन को देखते ही झल्लाते हुए पूछा, "ऐसी क्या गड़बड़ हो गई नवीन, जो तुमने मुझे इतनी रात गए बुलाया...?"
नवीन ने घबराई सी आवाज में कहा, "यार, वो.. वो लड़की.. वो लड़की मर गई। मैंने उसे एक बक्से में बंद कर रखा है। मुझे समझ नहीं आ रहा में क्या करू..?"
सुमित ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, "नवीन, तू पागल तो नहीं हो गया...? ऐसे कैसे मर गई वो..? बाबा ने क्या कहा था याद है ना..? उसे जिंदा जमीन के अंदर दफन करना है। उसके मरने तक तू क्या कर रहा था..?"
नवीन ने घबराई सी आवाज में कहा, "भाई मेरी नीयत फिसल गई थी। मैने सोचा एक बार लड़की को देख लूं। मैंने बस बक्सा खोला और उसे देखते रह गया।"
सुमित ने गुस्से में कहा, "तू कभी अपनी आशिक़ी से बाज नहीं आएगा ना..? देख अब क्या हो गया..? और.. तूने उसको.. हाथ तो नहीं लगाया ना..? कुछ ऐसा वैसा..."
नवीन ने एकदम से कहा, "नहीं भाई... मैंने कुछ नही किया..! कसम से...!!! मैंने बस उसे देखा.. और जैसे बक्सा बंद करने लगा, उसकी सांसे फूलने लगी और एक दम से वो मर गई।"
सुमित ने शांति से कहा, "ये तो गड़बड़ हो गई भाई..! सुन.. अब एक काम करते है.. वो मर गई ये बात या तो तुझे पता है या फिर मुझे, लेकिन बाबा को इस बारे में कुछ नही पता..! चल इसे वही दफना देते है, जहा बाबा ने अपनी क्रिया की थी।उनको पता नहीं चलेगा..!"
नवीन ने कहा, "हां.. ठीक है! जल्दी चल।"
इसी के साथ वो लोग उस लड़की की लाश को ट्रक में रख कर निकल पड़े... अपनी मंजिल की ओर।
नवीन बहुत तेजी से ट्रक चला रहा था। वो लोग ट्रक को हाईवे से सीधे जंगल की तरफ मुड़ दिए। कुछ ही क्षण हुए होंगे जंगल में घुस कर और एकदम से बहुत जोर से आवाज आई, जो उन दोनों के कान के परदे तक को हिला गई। वो लोग डर के मारे इधर उधर देखने लगे। तभी अचानक से काफी तेज बारिश होने लगी। उन लोग को थोड़ी सी राहत मिल गई की बरसात हो रही है तो बिजली गिरने की आवाज हुई होगी।
वो लोग अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने लगे, लेकिन ये शायद उन लोग की भूल थी। फिर एक बार जोर से आवाज हुई। इस बार बिजली की आवाज न सिर्फ उन्होंने सुनी बल्कि साथ में देखी भी..! बिजली ठीक उनके सामने गिरी थी। इससे पहले की वो लोग कुछ समझ पाते, नवीन ने ट्रक एक दम से मोड़ दिया और उनका ट्रक पेड़ से जा टकराया।
एक्सीडेंट के बाद शायद उनकी आंख दो तीन घंटे बाद खुली थी। दोनों के ही सिर में काफी दर्द हो रहा था। नवीन का सिर स्टीयरिंग व्हील से और सुमित का सिर सामने बोनट से जा टकराया था। सुमित को ज्यादा चोट नहीं आई थी लेकिन नवीन के सिर से खून बह रहा था।
वो दोनों नीचे उतरकर ट्रक को देखने लगे। पेड़ से टकराने की वजह से ट्रक का बहुत ज्यादा नुकसान हो चुका था।
नवीन ने अपने सिर पर लगी चोट को हाथ से दबाकर कराहतें हुए कहा, "यार सुमित, अब क्या करे..? ट्रक की हालत देख लगता नहीं ये चल पाएगा..!!!"
सुमित ने भी करते हुए ट्रक की तरफ देख कर कहा, "कह तो सही रहा है। लेकिन चल कोई बात नहीं, हम अपनी मंजिल से ज्यादा दूर नहीं है... बक्सा उठा कर ले चलते है..!"
नवीन ने भी उसकी बात में सहमति जताई। वो दोनों बक्सा उतरने के लिए ट्रक के पीछे गए और ट्रक की ट्रॉली में छाड़ गए। लेकिन वहां की हालत देख उनकी आंखे फटी को फटी रह गई।
क्रमशः....वो एक भयानक काली रात थी। सुनसान सड़क पर एक ट्रक तेजी से दौड़ रहा था। शायद ट्रक ड्राईवर को कहीं पर पहुंचने की कुछ ज्यादा ही जल्दी थी। लेकिन कहा..?? ये बात सिर्फ ट्रक का ड्राइवर जानता था!
ट्रक ड्राइवर ने किसी को फोन किया लेकिन दूसरी तरफ किसी ने भी कॉल रिसीव नहीं किया। उसने बार बार कॉल करना शुरू किया। कुछ ही कॉल्स के बात दूसरी तरफ से किसीने कॉल रिसीव कर लिया और किसी आदमी की उबासी लेते हुए आवाज आईं, "कौन इतनी रात को दो बजे कॉल कर रहा है..???"
ट्रक ड्राइवर ने कहा, "सुमित, में नवीन बोल रहा हू..! जल्दी से फैक्ट्री पहुंचो..! एक गड़बड़ हो गई है..।"
दूसरी तरफ से सुमित ने घबराते हुए कहा, "क्या ये गड़बड़ उससे रिलेटेड है..???"
नवीन ने कहा, "हां.. बस तुम जल्दी पहुंचो, वरना देर हो जायेगी।"
सुमित ने कॉल कट कर दी और जल्दी से तैयार होकर फैक्ट्री की तरफ निकल गया।
जब सुमित फैक्ट्री पहुंचा, नवीन पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था। फैक्ट्री देखने में काफी पुरानी लग रही थी, लेकिन वहां इतना सामान भरा पड़ा था कि पूरी फैक्ट्री में जिधर देखो सिर्फ सामान ही नजर आ रहा था। हर जगह कुछ ना कुछ सामान पड़ा हुआ था। कहीं लकड़ी के डंडे तो कहीं लोहे की सरिया, कहीं प्लास्टिक की बड़ी बड़ी बोरियां। उन बोरियों में क्या था ये बात शायद वही लोग जानते थे।
सुमित ने नवीन को देखते ही झल्लाते हुए पूछा, "ऐसी क्या गड़बड़ हो गई नवीन, जो तुमने मुझे इतनी रात गए बुलाया...?"
नवीन ने घबराई सी आवाज में कहा, "यार, वो.. वो लड़की.. वो लड़की मर गई। मैंने उसे एक बक्से में बंद कर रखा है। मुझे समझ नहीं आ रहा में क्या करू..?"
सुमित ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, "नवीन, तू पागल तो नहीं हो गया...? ऐसे कैसे मर गई वो..? बाबा ने क्या कहा था याद है ना..? उसे जिंदा जमीन के अंदर दफन करना है। उसके मरने तक तू क्या कर रहा था..?"
नवीन ने घबराई सी आवाज में कहा, "भाई मेरी नीयत फिसल गई थी। मैने सोचा एक बार लड़की को देख लूं। मैंने बस बक्सा खोला और उसे देखते रह गया।"
सुमित ने गुस्से में कहा, "तू कभी अपनी आशिक़ी से बाज नहीं आएगा ना..? देख अब क्या हो गया..? और.. तूने उसको.. हाथ तो नहीं लगाया ना..? कुछ ऐसा वैसा..."
नवीन ने एकदम से कहा, "नहीं भाई... मैंने कुछ नही किया..! कसम से...!!! मैंने बस उसे देखा.. और जैसे बक्सा बंद करने लगा, उसकी सांसे फूलने लगी और एक दम से वो मर गई।"
सुमित ने शांति से कहा, "ये तो गड़बड़ हो गई भाई..! सुन.. अब एक काम करते है.. वो मर गई ये बात या तो तुझे पता है या फिर मुझे, लेकिन बाबा को इस बारे में कुछ नही पता..! चल इसे वही दफना देते है, जहा बाबा ने अपनी क्रिया की थी।उनको पता नहीं चलेगा..!"
नवीन ने कहा, "हां.. ठीक है! जल्दी चल।"
इसी के साथ वो लोग उस लड़की की लाश को ट्रक में रख कर निकल पड़े... अपनी मंजिल की ओर।
नवीन बहुत तेजी से ट्रक चला रहा था। वो लोग ट्रक को हाईवे से सीधे जंगल की तरफ मुड़ दिए। कुछ ही क्षण हुए होंगे जंगल में घुस कर और एकदम से बहुत जोर से आवाज आई, जो उन दोनों के कान के परदे तक को हिला गई। वो लोग डर के मारे इधर उधर देखने लगे। तभी अचानक से काफी तेज बारिश होने लगी। उन लोग को थोड़ी सी राहत मिल गई की बरसात हो रही है तो बिजली गिरने की आवाज हुई होगी।
वो लोग अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने लगे, लेकिन ये शायद उन लोग की भूल थी। फिर एक बार जोर से आवाज हुई। इस बार बिजली की आवाज न सिर्फ उन्होंने सुनी बल्कि साथ में देखी भी..! बिजली ठीक उनके सामने गिरी थी। इससे पहले की वो लोग कुछ समझ पाते, नवीन ने ट्रक एक दम से मोड़ दिया और उनका ट्रक पेड़ से जा टकराया।
एक्सीडेंट के बाद शायद उनकी आंख दो तीन घंटे बाद खुली थी। दोनों के ही सिर में काफी दर्द हो रहा था। नवीन का सिर स्टीयरिंग व्हील से और सुमित का सिर सामने बोनट से जा टकराया था। सुमित को ज्यादा चोट नहीं आई थी लेकिन नवीन के सिर से खून बह रहा था।
वो दोनों नीचे उतरकर ट्रक को देखने लगे। पेड़ से टकराने की वजह से ट्रक का बहुत ज्यादा नुकसान हो चुका था।
नवीन ने अपने सिर पर लगी चोट को हाथ से दबाकर कराहतें हुए कहा, "यार सुमित, अब क्या करे..? ट्रक की हालत देख लगता नहीं ये चल पाएगा..!!!"
सुमित ने भी करते हुए ट्रक की तरफ देख कर कहा, "कह तो सही रहा है। लेकिन चल कोई बात नहीं, हम अपनी मंजिल से ज्यादा दूर नहीं है... बक्सा उठा कर ले चलते है..!"
नवीन ने भी उसकी बात में सहमति जताई। वो दोनों बक्सा उतरने के लिए ट्रक के पीछे गए और ट्रक की ट्रॉली में छाड़ गए। लेकिन वहां की हालत देख उनकी आंखे फटी को फटी रह गई।
क्रमशः....