रवीश कुमार को खुला पत्र
प्रिय रविश जी आप में एक बड़े भाई की छवि देखता हूँ इसलिए बेबाकी से लिख रहा हूँ | शायद उतना बेबाक आपको लगे नहीं|आज से कुछ वर्ष पहले तक मुझे टीवी पर खबरें सुनने में कोई रूचि नहीं थी | लगता था जैसे कोई सरकारी बस में चूरन बेचने वाला हो | मैं भी टीवी एंकर को बस में बैठे गर्मी से परेशान पैसेंजर की शक वाली न