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गांव की गलियां

2 मई 2022

51 बार देखा गया 51

मेरा गांव मुझको, बहुत याद आता ,
आंखों को दिखता सुहाना सा मंज़र,
बैलों की जोड़ी, जब खेतों में जाती,
पनघट पर गोरी, जब बातें बनाती,
खेतों में फूलीं, पीली सरसों सुहानी,
डोली में जाती थी, दूल्हे की रानी,
मिट्टी की सौंधी, सुहानी सी खुशबू,
कच्चे सभी घर, पर पक्के बहुत थे,
रहंठों का पानी,जब खेतों में जाता,
पानी में चलते,वो गांव के बच्चे,
खेतों में पकती,जब गेंहू की बाली,
सोने की चादर सी, लगती थी प्यारी,
आमों के बागों में,कोयल का आना,
बरसा के पानी में, नैय्या चलाना,
ढलता जब सूरज, हुई शाम गहरी,
खेतों से आते सभी, अपने घर को,
आंगन की खटिया पर,सब का बैठना,
वो मीठी सी बातें, चहकते थे बच्चे,
अब रहे न वो गांव,न पहले सी बातें,
गांवों का आंगन,हुआ जब से पक्का,
जो पक्के थे रिश्ते, वो कच्चे हुए सब,
न होती कहानी, न पड़ते हैं झूलें,
न चौरे की पूजा, न गईया की सेवा,
अब गांवों में जाना, न अच्छा लगे है,
न पहले सी बातें, न पहले सी रौनक ,
शहर जैसा लागे है, गांवों का मंज़र।

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
15/1/2021


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रचनाएँ
मन के जज़्बात (मेरी कविताओं का संग्रह भाग 2)
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इस पुस्तक में मैं अपनी कविताओं को संग्रहित करूंगी मैंने अपनी कविताओं में व्यक्ति के मन में चल रहे अंतर्द्वंद्व को व्यक्त किया है मेरी कविताएं मानव मन के हर कोने को छूने का प्रयास करती हुई प्रतीत होती हैं मैंने नारी मन और सामाजिक मुद्दों को अपने अंदाज में व्यक्त करने की कोशिश की है।
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विश्वास

1 मई 2022
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विश्वास अगर मन में आ जाऐ, हर बाधा मंजिल बन जाएं, विश्वास जिसे मिल जाता है, वह आगे बढ़ जाता है, जिसने खुद पर विश्वास किया, उसने इतिहास रचाया है, चाणक्य ने लेकर, विश्वास पताका, अखण्ड भारत बनवाया था, राण

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इच्छा (एक स्वप्न)

2 मई 2022
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जब मन में उठते हैं, यह विचार, यह देश हमारा कैसा था? तब कैसा था,अब कैसा है, आगे यह कैसा हो जाएगा? वैदिक मंत्रों की शक्ति से, जब आताताई डरते थे, भारत के गौरव के आगे, सब नतमस्तक हो जाते थे, नानी, दादी यह

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गांव की गलियां

2 मई 2022
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मेरा गांव मुझको, बहुत याद आता , आंखों को दिखता सुहाना सा मंज़र, बैलों की जोड़ी, जब खेतों में जाती, पनघट पर गोरी, जब बातें बनाती, खेतों में फूलीं, पीली सरसों सुहानी, डोली में जाती थी, दूल्हे की रानी, म

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काश़ (आशा)

3 मई 2022
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काश बिना झिझक़, मन की सब बातें ❤️ अपनो से हम कह सकते ? हृदय में उठती ज्वालाओं को !!🔥 तब हमें नहीं पीना पड़ता !? मन में कोई डर न होता!! सच कहने से भय न होता ! औरत अपने मन की पीड़ा ! कहां कभी कह पाती ह

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आक्रोश

4 मई 2022
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आंखें नम हैं,लब ख़ामोश !! अंतर मन में है आक्रोश !! मानव कैसा कर्म है करता ?? नरभक्षी सा वितरण करता !! क्या यही रूप मानव का होता ?? छोटी-छोटी बालाओं के!! अस्मत से करता खिलवाड़?? औरत मां है !!बहन और बेट

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मेरी लेखनी

4 मई 2022
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मेरी लेखनी रचती है, अंतर्मन के भावों को 🌹 कभी प्रेम की लिखें रागिनी 💌 विरह गीत कभी लिखती है !! कभी वीर गाथाएं लिखकर !! स्वर्णिम इतिहास दिखाती है !! कभी लेखनी प्रेमी बन

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प्रश्न

5 मई 2022
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मन के विचार मन में रह जाते ,,,,,? मैं प्रश्न नहीं कर पाती हूं,,,!! पर आज करूंगी प्रश्न मैं सबसे,,,!! उत्तर शायद मिल जाए,,,? क्या औरत के पैरों में,,,,!! सिर्फ़ पुरूषों ने बेड़ियां डाली है,,,,,?? क्या न

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टूटा दर्पण

5 मई 2022
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जब टूटा मन का दर्पण,,,,,!! आंखों में दर्द सिमट आया,,!! उस दर्पण के गिरने की,,!!! आवाज किसी ने सुनीं नहीं,,,,!!! मन में दर्द लिए बैठी,,,!! अब करूं शिकायत किससे मैं,,,??? जिसने तोड़ा मन का दर्पण,,,,!!!

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चाहत

6 मई 2022
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मेरी यह चाहत थी, मैं तुम्हारे साथ चलूं !! हाथों में तुम्हारा हाथ हो,मन में जज़्बात हों !! विश्वास की लौ सदा जलती रहे !! चांदनी रात में सपनों की बारात हो !! पर साथ हमारा, तुमको को भाया नहीं !! क्योंकि

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आईना

6 मई 2022
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श्रृंगार किया इक दिन मैंने ,,,!! जब देखा खुद को दर्पण में ,,,,!! ख़ुद पर ही मोहित हो बैठी,,,,!! मन ही मन मैं शरमाई,,,,,!! मुझको देखेंगे जब प्रियतम,,,,!!? मेरे होकर रह जाएंगे,,,? जाने न दूंगी युद्ध भूम

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पुतला

7 मई 2022
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मानव तू क्या एक पुतला है ? जबकि ईश्वर ने प्राण दिए? मनोभाव बुद्धि देकर ! चैतन्यता का आभास दिया!! तुझे करना क्या है?? इस धरती पर क्यों आया है?? इस विवेक का ज्ञान दिया !! फिर भी मानव पुतला बनकर ?

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सिंह नाद (नेताजी सुभाष चन्द्र बोस)

7 मई 2022
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सुन गर्जन बंगाल सिंह की !! अंग्रेजी शासन थर्राया !! उसने जब हुंकार भरी !! सिंहासन उनका डोल उठा!! नेताजी ने संकल्प लिया !! अब नहीं गुलामी करनी है !! एक तरफ़ थी शक्ति अपार !! दूजी ओर मन में विश्वास !! स

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आंखों का नशा

8 मई 2022
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नशीली आंखों में एक तस्वीर बसा रखीं है!! उसकी यादें दिल में छुपा रखीं है !! नशींली आंखों को जब तुम्हारे लबों ने छूआ था!! वह पल आज भी धड़कन में बसा रखा है !! जिन नशींली आंखों में कभी तुम डूबे थे !! जुल्

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खेत खलिहान

8 मई 2022
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खेत खलिहान भारत की शान हैं!! यह हमारी आत्मा हमारा अभिमान हैं!! खेत खलिहान में बसती किसानों की जान है!! भारत के खेत सोना उगलते हैं!! तभी तो भारत सोने की चिड़िया कहलाता था!! किसानों का पसीना जब खेतों मे

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दुल्हन

9 मई 2022
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एक औरत जब दुल्हन बन !! डोली में बैठकर जाती है !! मन में घबराहट होती है!! आंखों में सपने होते हैं !! जिस अनजाने घर में वह, ! सपनों को लेकर आती है !! उस घर को अपना मान लिया!! उस पर सर्वस्व लुटाती है !!

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जीवन के पहले और मृत्यु के बाद का सत्य

9 मई 2022
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जन्म से पहले क्या था पता नहीं, मृत्यु के बाद क्या होगा जानती नहीं ! पूर्व जन्म में क्या किया याद नहीं ?? अलगे जन्म में क्या करूंगी आभास नहीं ?? मुझे वर्तमान में जीने की आदत है !! वर्तमान में किए कर्म

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जीवन के पहले और मृत्यु के बाद का सत्य

9 मई 2022
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जन्म से पहले क्या था पता नहीं, मृत्यु के बाद क्या होगा जानती नहीं ! पूर्व जन्म में क्या किया याद नहीं ?? अलगे जन्म में क्या करूंगी आभास नहीं ?? मुझे वर्तमान में जीने की आदत है !! वर्तमान में किए कर्म

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वो तस्वीर

10 मई 2022
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तस्वीर में चित्रित नारी की आंखों में कैसी पीड़ा थी! दर्द छुपा था आंखो में होंठों पर मुस्कान खिलीं थी! मन में दर्द लिए नारी जब ऊपर से मुस्काती है!! मन की पीड़ा चेहरे पर अपनी झलक दिखलाती है! चित्रकार ने

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मन का तहखाना

10 मई 2022
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दिल के तहखाने में जज़्बातों का खज़ाना है !! उसे कुछ से छिपाना, कुछ को बताना है! मेरे जीवन की कुछ खट्टी-मीठी यादों का खज़ाना उसमें बंद है !! क्या छिपाऊं क्या दिखाऊं मैं यह सोच नहीं पाऊं !! उसमें प्यार

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झरने का संदेश

11 मई 2022
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हे मानव तुम?? इस जीवन को झरने सा उज्जवल कर डालो? झरना जब अपने उच्च शिखर से !! निर्मल धारा बन ज़मीं पर आता है !! कल कल करता झरने का पानी !! संगीत के स्वर सुनाता है !! संगीतबद्ध बन जाता झरना !! अपना संद

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खुद से प्यार हो गया

11 मई 2022
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मैं लोगों से डरती रही, अपने में सिमटती रही !! लोग क्या कहेंगे यह सोचती रही !! कभी खुद को देखा ही नहीं !! कभी खुद को चाहा ही नहीं है !! संस्कारों की बेड़ियों में जकड़ी रही !! होंठों की हंसी छुपाती रही

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मन का चैन

12 मई 2022
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हम चैन की तलाश में दर दर भटकते हैं--- कभी ज़ाम कभी मदिरालय में सुकून ढूंढते हैं-- कभी जुल्फों की छांव-- कभी नयनों के सागर की गहराई में उतरतें हैं-- फिर भी मन की भटकन खत्म नहीं होती-- घुंघुरूओं की झंका

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कालेज के चाट वाले भैयाजी

12 मई 2022
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कालेज का जमाना था, बेफिक्री का तराना था। न दुनियादारी थी,न कोई जिम्मेदारी। मस्ती के दिन थे, ख्वाबों की रातें। कालेज के बाहर, सखियों से बातें। वहीं पर रहता था, ठग्गू का ठेला। ठग्गू के ठेले के, हम सब दी

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एक प्याला काफी (पुरानी यादें)

13 मई 2022
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आज जब भी मैं काॅफी का प्याला हाथ में लेती हूं। पुरानी यादों के बवंडर घेर लेते हैं, वो कालेज का जमाना याद आता है, एक बार सखियों संग काॅफी पीने गए थे, तब जन्मदिन मनाने का सबसे आसान तरीका था, सखियों को क

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उर्मिला की अंतर्व्यथा

13 मई 2022
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उर्मिला की अंतर्व्यथा पर कितनो ने लेखनी चलाई है? क्या उनकी व्यथा किसी को समझ न आई है? सीता महान हुई हैं जग में? उर्मिला त्याग की प्रतिमूर्ति हैं!! कितने ही कवि, कवियित्रियों ने लेखनी चलाई!! रामा

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इश्क़

14 मई 2022
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इश्क़ क्या है? कब होता है? इसकी क्या है कहानी? इश्क़ करने वाले जीते जी मरते क्यों हैं? वह जानते हैं, इश्क़ उन्हें बर्बाद करेगा? इश्क़ करके मुस्कुराते क्यों हैं!! इश्क़ करने वाले मर कर भी जिंदा रहते है

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श्रद्धा

14 मई 2022
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नारी तुम केवल श्रद्धा हो? यह कह देना आसान है! जीते जी नारी को कब मिली है श्रद्धा? यह प्रश्न हमेशा मन में है? क्या सीता को रावण ने श्रद्धा से देखा था? या अवधपुरी के वासी ने? अहिल्या ने श्रद्धा कब पाई?

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क्या है साधना?

15 मई 2022
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क्या है ? कैसी होती है साधना ? यह प्रश्न सभी के मन में रहता ? जब कर्म-क्षेत्र को साधना स्थल, मान कुरूक्षेत्र में कूद पड़े ! तब कोई करता कर्म साधना ! कोई त्याग को कहे साधना ! कुछ भक्ति को अपनाते हैं !

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भोर भयो पनघट पे

15 मई 2022
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पहले जैसे गांव नहीं हैं । न पनघट पर गोरी । ना सखियों संग हंसी ठिठोली, ना अपने हमजोली, पहले गांव का पनघट, चहका करता। होती मन की बातें, जब बाबुल रिश्ता देखें, तब पनघट पर बने बटोही, पिया देखने आते,

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चलो सैर कर आएं मेरे मन

15 मई 2022
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चलो हमारे साथ मेरे मन हम भी सैर कर आएं! तुम को घर में छोड़ अकेले नहीं सैर पर जाना !! तुम ने हर पल मेरा साथ दिया ! यह बात नहीं भूलीं हूं ! मैंने तुमसे किया था वादा ! कुछ दिन तुम संतोष करो ! जब अपने फ़र

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मन की बर्फिली गुफाएं

15 मई 2022
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मन में अनेको बर्फीली गुफाएं हैं , बर्फ़ सी कठोर, निर्विकार, भावना शून्य, मन की बर्फीली गुफाओं में सर्द हवाएं चलतीं हैं, जिनके बर्फीले थपेड़ों से मन सिहर उठता है, अहसास विहीन बर्फ़ सी ठंडी भावनाएं, प्य

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भारत की नारी

16 मई 2022
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कल 8 मार्च है महिला दिवस मैंने अपनी इस कविता में प्राचीन कालीन नारियों के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन किया है। मैं कहां तक सफल हुई हूं इसका निर्णय आप लोग कीजिएगा। नारी शक्ति के विविध स्वरूपों का हर युग

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नारी शक्ति

16 मई 2022
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नारी अपने साहस से सब कुछ सम्भव कर सकती, प्राचीन कालीन नारियों की शक्ति को दुनिया ने देखा है, उनकी शक्ति को सुनकर, पढ़कर, आधुनिक काल की नारी ने भी, यह संकल्प उठाया, अपनी शक्ति से इस दुनिया में, नया इत

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सात समंदर पार

17 मई 2022
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तुम मोहे छोड़ क्यों, चले गए प्रियतम , सात समंदर पार, कहकर गए थे मैं लौट के आऊंगा, तुम करना मेरा इंतज़ार, मैं आश का दीप जलाए बैठी, तकती रही तेरी राह, दिन रात, वर्षों बीत गए इस आस में, तुम आओगे मेरे पास

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जीवन शतरंज

17 मई 2022
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जीवन इक शतरंज की बाजी, इसे सभी को खेलना हैं, इस खेल की बाजी ही ऐसी, शह और मात मिलेगी सबको, बहुत कठिन है इस खेल की बाजी, बिना संतुलन मन-मस्तिष्क के, बाजी जीत नहीं सकते, दिल से जिसने काम लिया, मात उसकी

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शतरंज क्या है?

18 मई 2022
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शतरंज एक खेल है, या मात देने का साधन,? शतरंज के खेल को क्यों, खेल नहीं समझा जाता, यह मान सम्मान का प्रतीक क्यों बन जाता है? शतरंज के खेल को जब जब, शह और मात के लिए खेला जाएगा, तब, तब द्रौपदी के केश खु

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सुर्ख़ गुलाब और कांटे

18 मई 2022
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सुर्ख़ गुलाब दिया प्यार का इज़हार किया, मैं कहां जानती थी? साथ में कांटों का उपहार भी दिया, प्यार की चाहत में हाथों को लहूलुहान कर बैठे, सोचा चलो हाथों के ज़ख़्म भर जाएंगे, पर दिल तो ग़ुलाब पाकर महक उ

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जीवन सागर

19 मई 2022
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जीवन इक सागर जैसा है, सुख दुःख की लहरें उठती हैं, मन के सागर में एक क्रूज़ , भावनाओं का भी होता है, कभी कठोर हो तेज भागता, जैसे सब कुछ छूट गया, कभी फूल सा हल्का होता, सागर की लहरों पर चलता, मन का सागर

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इश्क़ की इबादत

19 मई 2022
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सुना है इश्क़ निभाना कठिन है, हम निभाएंगे इश्क़ करके, मुस्कुराएंगे भी इश्क़ करके, इश्क़ किया है तो घबराना कैसा? अब तो निभाना है इश्क़ करके, दर्द लिया है तो दर्द देने का हूनर भी है, हम तो निभाएंगे, इश्

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आंसू

20 मई 2022
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मन की खुशी या दर्दे दिल को, जब ज़ुबां बयां न कर पाए, आंसू बन तब मन के जज़्बात, आंखों से बहकर बाहर आए, आंसूओं की भाषा पढ़ पाना, हर किसी के बस की बात नहीं, जो दिल के होगा बहुत करीब, वही इसे पढ पाएगा, या

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क्या लिखूं कैसे लिखूं?

20 मई 2022
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मन के भावों को कैसे लिखूं? क्या लिखूं? कविता लिखूं? गीत लिखूं? गज़ल लिखूं ? या तुम्हारा प्रेम लिखूं ? पर यह झूंठ कैसे लिखूं ? प्रेम हुआ पर मिला नहीं, दर्द दिया जो मांगा नहीं, प्रेम करना ख़ता हुईं, दर्

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गुलाब और कांटे

21 मई 2022
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गुलाब अपने सौंदर्य को देख मुस्कुराने लगा, जिसने भी उसके सौन्दर्य को देखा, वह देखता ही रहा, उसको पाने की चाहत सबमें जगी, कुछ की आंखों में प्यार का लाली दिखी, उसको छूने की चाहत मन में लिए, हाथ आगे बढ़ें

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गुलाब और कांटों का सम्बन्ध

21 मई 2022
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गुलाब पाने की तमन्ना, रखने वालों को, कांटों को भी गले लगाना होगा, प्यार के साथ दर्द मिलता ही है, प्यार तभी जुनून बनता है, जब जुदाई की आग में जलता है, गुलाब अगर प्यार है, उसके कांटे प्यार का जुनून, गर

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कृष्णा तेरा काला जादू

22 मई 2022
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कृष्णा के काले जादू से कौन यहां बच पाया है, गोकुल बृंदावन के वासी सब पर जादू छाया है, कान्हा की मुरली जब बाजे, उस जादू से कोई नहीं बच पाए, लाज शरम सब छोड़ कर भागे, प्रेम की धुन पर सभी गोपियां, नाचें त

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कविता दिवस

22 मई 2022
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आज दिवस है कविता का, हर कवि ने कलम उठाई है, अपने मन के उदगारों को, हर कवि ने व्यक्त किया होगा, हर कवि अपने जज्बातों को, अपने ढंग से ही कहता है, प्रेम गीत, या विरह वेदना, देशप्रेम या हास्य हो लिखना, इ

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फौजी कौन?

23 मई 2022
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फौजी के जीवन की गाथा, गाना इतना आसान नहीं, फौजी की वर्दी धारण करना, हर किसी के बस की बात नहीं, देश प्रेम का जज़्बा जिसके मन में, तूफ़ान मचाता है, जिसके आंखें में मातृभूमि, अपनी माता सी दिखती है, जिसके

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फौज़ी का ख़त

23 मई 2022
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पत्र लिखा एक फौजी ने, अपने घर को भेज दिया, ख़त मिलने से पहले, तिरंगे में लिपटा वह खुद पहुंचा, तिरंगे में लिपटे बेटे को, मां देख रही स्तब्ध खड़ी, तभी डाकिया आ पहुंचा, ख़त लेकर उसके बेटे क

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जलता शहर जलते लोग

24 मई 2022
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शहर ही क्या पूरी दुनिया जल रही है, आग घरों में ही नहीं , लोगों के दिलों में भी लगी है, यहां हर दिल ईर्ष्या की आग में जल रहा है, शहर का हर शख्स दोहरे चरित्र को जी रहा है, होंठों पे प्यार के गीत दिल में

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हे अधूरे चांद

24 मई 2022
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हे अधूरे चाॅंद तुम्हें देख मोहित होते सभी, कोई प्रीत कहता है कोई मनमीत कहता है, कोई तेरे अधूरे सौंदर्य पर गीत लिखता, कोई अपने मनमीत की तुलना तेरे रूप से करता , तू घटता है कभी और कभी बढ़कर दिखाता है, स

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संगीत और वाद्य यंत्र

25 मई 2022
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संगीत हमारे जीवन को , आनंदित करने का साधन है, संगीत की मधुरिम स्वर लहरी पर, जब साथ मिले वाद्य यंत्रों का, तब दोनों का संगम मिलकर, जीवन सुर्भित कर देता है, संगीत की लय से जो करते प्रेम, उनके मन का दुःख

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