रमाकांत गोस्वामी और उनकी पत्नी उर्मिला बस से उतरकर धीरे धीरे कदमों से सामने के सोसाइटी में जाते है , उनके हाथों में एक एड्रेस था ,जिसमे उनके बड़े बेटे विनय गोस्वामी का पता था , ,*"!!
उनकी पत्नी कहती है ,*" किस मुंह से जायेंगे , तुमने ही तो कहा था मेरे घर आए तो मेरा मरा हुआ मुंह देखेगा ,*"!!
रमाकांत कहते है ,*" मैने अपने घर आने के लिए कहा था , उसके घर नही आऊंगा ऐसा तो नहीं कहा था ,क्रोध में इंसान अंधा हो जाता है , उस समय मैं भी हो गया था , तो उसका फर्ज नही बनता था की एक बार आकर माफी मांग लेता , *"!!
उर्मिला कहती है ,*" तब तक तुम कौनसा उसको पूछ लिए थे साथ ही मुझे भी अपनी कसम देकर चुप करवा दिया था , क्या गलत कहा था उसने , वह तो यही चाहता था की उस घर को बेचकर बड़ा घर ले ले ,*"!!
रामकांत कहते हैं ,*" हां अपनी पत्नी गरिमा के नाम पर ,*"!!
उर्मिला कहती है *" गरिमा के नाम के साथ उसका भी नाम था ,दोनो के नाम से ही बैंक से ऋण उपलब्ध हो रहा था ,उसने ये कहा भी था ,*"!!
रामकांत कहते हैं ,*" वो पड़ोस वाले गुप्ता जी का हाल नही देखा था ,बेटे के कहने पर घर बेचा ,बेटे ने पत्नी के नाम पर घर ले लिया और एक साल बाद ही मां बाप और भाई को घर से निकल भी दिया , हमारे भी एक छोटा बेटा भी है ,,*"!!
उर्मिला कहती है ,*" उसी बेटे के लिए ही भीख मांगने जा रहे हैं बड़े बेटे के पास जिसका तुम मुंह नही देखना चाहते थे ,,!!
बाते करते करते दोनो सोसाइटी के अंदर पहुंच गए थे , !!
रामकांत कहते हैं ,*" जब कोई चारा नहीं बचा हम हर ओर से लाचार हो गए तब इसके पास इस शहर आए हैं ,तुम्हे अच्छा न लग रहा हो तो लौट चले , !!
उर्मिला कहती है ,*" अब भी तुम्हारी हैकड़ी नही गई ,यहां तक आकर मैं तो अपने नाती नातिन को देखे बिना नही जाऊंगी ,अब तो काफी बड़े हो गए होंगे ,जब घर छोड़ा था तब नाती विकास तीन साल का था और काव्य डेढ़ साल की , पता नही कैसे दिखते होंगे , आज करीब दस साल के बाद उन्हे देखूंगी *"!!
रमाकांत टेलीफोन डिपार्टमेंट में जे ई थे ,उनके दो बेटे थे ,बड़ा विनय जो सिविल इंजीनियर था ,और दूसरा उस से 10 साल छोटा विजय था , !!
दोनो मां बाप विजय को ही ज्यादा प्यार करते थे ,उसके दो कारण थे एक तो वह कई वर्षो बाद हुआ था दूसरा छोटा होने के कारण उस को प्यार ज्यादा ही मिला था ,, !!
वैसे विनय को भी बहुत प्यार करते थे पहले तो वह अकेला ही था ,फिर धीरे धीरे विजय पर सारा प्यार केंद्रित हो गया था ,उसको ही अच्छी शिक्षा दिलवाने और बड़ा बनाने के सपने देखने लगे थे ,*"!!
कभी कभी विनय को बुरा भी लगता था ,पर छोटा भाई के कारण वह चुप हो जाता था ,उसे लगता था की छोटा है इसके लिए उसे प्यार पाने का हक है वैसे वह भी अपने छोटे भाई को बहुत चाहता था ,*"!!
विनय सिविल इंजीनियर बन गया ,उसका अच्छा जॉब भी लग गया था ,विजय तो अभी पढ़ ही रहा था , !!
समय से विनय की शादी भी गरिमा से हो गई थी ,गरिमा पढ़ी लिखी समझदार लड़की थी ,पर रमाकांत और उर्मिला के रूढ़िवादी विचार धारा के चलते , कभी कभी खट पट हो जाया करती थी ,पर गरिमा उनकी बारे सुनकर चुप हो जाया करती थी ,,!!
उनके दो बच्चे भी हो गए तो दो कमरे का घर छोटा पड़ने लगा था ,!!
विनय ने कहा ,*" बाबूजी मैं सोच रहा था की इस घर को बेचकर एक बड़ा चार कमरे का घर ले लेते हैं , तो सब आराम से रहेंगे , मैं और गरिमा ज्वाइंट लोन ले लेंगे , तो हो जायेगा ,काम से कम आराम से रहेंगे तो ,*"!!
उसके दो दिन पहले ही गुप्ता जी रामाकांत से मिलकर अपनी कहानी सुना चुके थे ,तो रमाकांत के कान खड़े हो जाते हैं ,*"!!
वह सीधे सीधे नकार देते हैं ,इतना ही नहीं उसे पता नही क्या क्या नहीं सुना देते है ,बीवी का गुलाम और ससुराल वालो के कहने पर चलने वाला , और भी बहुत कुछ बोल जाते हैं , *"!!
उर्मिला उन्हे समझाना चाहती है तो उसे भी डांट देते हैं , !!
विनय को अपनी चिंता नही थी पर बाबूजी ने जिस तरह गरिमा के साथ व्यवहार किया था वह उसे अच्छा नही लगा था गरिमा ने कभी भी उन दोनो का अनादर नही किया था , वह कॉरपोरेशन में बी ग्रेड की ऑफिसर थी ,अच्छी सैलरी थी फिट भी मां बाबूजी को पसंद ना होने के कारण कभी घर में नौकरानी नही रखा , सुबह नाश्ता खाना बना कर जाती शाम को आकर बनाती थी ,फिर भी बाबूजी हर बात में कमी निकालते रहते थे , बच्चो के होने के टाइम भी नौकरानी नही रखने दिया था ,बेचारी सिर्फ छ दिन ही किचेन से दूर रही थी फिर उसे ही खटना पड़ा था , जिस से उसकी तबियत भी बेटी के टाइम पर खराब हो है थी ,*"!!
इन सब वजह को देखते हुए विनय ने अपना एक अलग से घर लेने का प्लान बनाया तो घर में हंगामा मच गया था , रामकांत ने तो ऐलान कर दिया था*" आज से मेरा एक ही बेटा है , बड़ा बेटा मर गया ,**!!
और विनय से कह दिया की अभी और इसी वक्त मेरा घर खाली करके जा , !!
और लाख कहने और समझने पर भी अड़े रहे की तु यहां रुका तो मेरा मरा मुंह देखेगा , !!
बेचारा विनय दो छोटे बच्चो को लेकर एक सप्ताह होटल में कमरा लेकर रुका था फिर उसने अपना ट्रांसफर अपने ससुराल के शहर में करवा लिया था , गरिमा ने कुछ दिन छुट्टी ले लिया था ,फिर उसने भी ट्रांसफर करवा लिया था ,दो साल वहा किराए पर रहने के बाद उन्होंने एक बड़े सोसाइटी में बड़ा घर ले लिया था ,"*
इधर छोटे बेटे विजय को बीमारी ने पकड़ लिया था जो शुरुआत में डॉक्टर्स को समझ ही नही आया फिर उन्हे पता लगा की उनकी आतों में इन्फेक्शन है ,फिर कुछ और बताया लाखो रुपए खर्च होने के बाद भी समझ नही आ रहा था की क्या हुआ है,""!!
मुंबई जा कर चेक करवाया तो आतों में कैंसर था ,इसके लिए पूरे आतों को ट्रांसप्लांट करना था ,और उसमे करीब तीस लाख का खर्चा था , रामाकांत की नौकरी बेटे के इलाज के चक्कर में छोड़नी पड़ी थी , क्योंकि हर बार उसे कभी दिल्ली तो कभी चेन्नई एक एक महीना पड़े रहना पड़ता था ,और कितनी छुट्टी लेते ,तो उन्होंने वी आर एस ले लिया था , उनके पास अब मुश्किल से पन्द्रह लाख बच्चे थे , वह लोगो से उधर मांगने लगे तो कोई देने को तैयार नहीं हुआ ,सभी ने कहा जाकर बड़े बेटे से मांग लो अपकिकोई कमाई तो है नही तो पैसे लौटोगे कैसे ,*"!!
वह सोचते हैं घर गिरवी रख देते है। ,तो उर्मिला कहती है ,*" इतनी भी जिद्द किस बात की ,ऐसा क्या बिगाड़ा था बेटे ने एक बार चल कर तो देखो नही देगा बस यही ना पर मेरा दिल कहता है ,वो जरूर भाई के लिए खड़ा होगा ,""!!
वह एक बच्चे से एड्रेस पूछते है , जो दूसरे बच्चों के साथ खेल रहा था ,वह बच्चा एड्रेस देखता है और उनको देखता है , और दोनो के ही पैर छूकर कहता है * आप हमारे दादा पंडित रमाकांत गोस्वामी हैं ,""!!
रामकांत उसे ध्यान से देखते है तो उसमे उन्हे अपना अक्स दिखता है ,वह उसे गले लगा कर रो पड़ते हैं , ""!!
विनय और गरिमा ऑफिस से लौटे नही थे , नाती और नातिन उनका हाथ पकड़ कर घर ले जाती हैं, घर के हाल में ही दोनो माता पिता की बड़ी सी तस्वीर लगी थी ,*"!!
थोड़ी देर में ही दोनो पति पत्नी भी हुए आते हैं ,और मां बाबूजी के गले लग कर रोते हैं *"!!
दूसरे दिन ही वह सब मुंबई के लिए चल दिए थे , किसी ने किसी से कुछ नही कहा सब आंसुओ ने हिसाब किताब कर दिया था ,*"!!
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