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प्रबंधन ---कला are विज्ञानं

21 जून 2015

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प्राचीन समय में का मुख्य उद्देश्य उद्दमी के पास सेवा के लिए श्रम, संगठन ,प्रशासन इत्यादि तैयार करना होता था .लेकिन आज सिक्स का महत्वपूर्ण उद्देस्य विद्यार्थी को उद्दमी बनाना होना चाहिए उद्दमी ही देश को इस प्रतियोगी युग में विकास की अग्रिम पंक्ति में लेकर खड़ा कर सकता है आज समय बदल गया है ,दुनिया का क्षेत्र फल भले ही काफी बड़ा हो लेकिन क्षेत्र अत्यंत छोटो हो गया है सर्भोमिक के इस दौर में प्रतियोगिता के इस युग में पुरानी सभी मान्यताये व् उनके अर्थ बदल गए है इस दौर में उद्दयोग यवम वाणिज्य के क्षेत्र परिभाषाये एवं अर्थ बदले है पूंजीपतियों की पारम्परिक शैली आज बदल रही है ,पहले पूंजीपति ही उद्दयोगपति तथा विकास का आधार मन जाता था ,लेकिन आज प्रत्येकव्यक्ति इस दौड़ इ शामिल हो रहा है अब्ब उत्पादन के समस्त साधनो की उपलब्धि अलग--अलग जगह से होती है ,इन साधनो को इकट्ठा इनमे वैज्ञानिक समन्वय स्थापित करने वाला ही सही अर्थो में उद्दमी है ,उद्द्योग्पति ,साहसी है सामान्यतः किसी भी देश का आर्थिक विकास के लिए उत्पादन के सभी साधन महत्व रखते है ,लेकिन प्रथम भूमि ,,श्रम ,पूंजी ,संगठन स्वप्रेरित नहीं होते अज्ज सम्पूर्ण विशव ओद्योगिकक्षेत्र में नयी चुनौतियां ,समस्याएं ,एवं संसाधनो की कमी के कठिन दौर से गुजर रहा है साम्यवादी 'सहस या उद्दयम आर्थिक क्रांति का मुख़्यआधार बन बन गया है जोसेफ सुगेर्मन के अनुसर१---"उद्दमी '"वास्तव में आज के समाज का सच्चा नायक है किसी देश की सफलता का आंकलन करने के लिए उद्दमियो ने नवप्रवर्तन से लेकर कार्य स्रान सृजन तक अनेक कार्य किये है जो शायद ही किसी एक समूह ने किये हो वे भावी समाज के सच्चे स्वपन द्रस्ता इस महत्व को देखते हुए सभी देशो की सरकार उद्दमियो के विकास के लिए अनेक नीतिया ,कार्यक्रमों योजनाओ का निर्माण एवं निर्धारण कर रही है चाहे अमेरिका ,जापान, जर्मनी इन सभी विकसित रास्ट्रो के विकास की कहानियो शाहसियो के वकास से ही आरम्भ होती है अरे अब प्रबंधकीय अर्थव्यवस्था को उद्द्मिय अर्थ व्यवस्था में परिवर्तित करने का समय आ गया है . साहसिक योग्यता ,जोखिम उठाने ,लाभप्रद निर्णय लेने ,सामाजिक परिवर्तन करने व् गतिशील नेतृत्व प्रदान करने का सम्बल है "प्रबंधन"-----एक कला या विज्ञानं अचोलाविसेंट के अनुसार-------१.'''प्रबंधन एक विज्ञानं के रूप में अच्छी तरह से कला अरे विज्ञानं दोनों है यह वास्तविक स्तिथिकी रोशनी में काम करने की समता है ,क्योक किसी भी अन्य अनुसासन की तरह एक प्रबंध एक कला है प्रबंधन के बारे में संगठित ज्ञान का उपयोग करके कुशलता से प्रबंधन के काम करते है इस ज्ञान ने एक विज्ञानं का गठन किया संगठित ज्ञान रेखांकित अध्ध्य्यन एक विज्ञानं है ,जबकि अध्ध्य्यन के रूप इ प्रबंधन है ,ऐसी लिए यह कला है १. ओजो के अनुसार----- १."प्रबंध' " कला का सबसे पुराण अरे सबसे काम उम्र का विज्ञानं है यह प्रबंधन के बदलते स्वरूप को को बतलाते है एक विज्ञानं के रूप में --------- १.'प्रबंधन' "ज्ञान का व्यवस्थित सरीर है अरे अपने सिधान्तो के अवलोकन के आधार पैर विकसित किया है २.प्रयोग की तरह (प्राकृतिक विज्ञानं के रूप में )मानव तत्व के साथ प्रबंधन के सौदों के बाद से प्रबंधन के क्षेत्र में साथ नहीं किया जा सकता "प्रबंधन" ------कला के रूप में १.प्रबंधन दुसरो के द्वारा काम करवाने की गतिविधियों के प्रदर्सन के लिए कला जरुरी है जो कुछ भी अन्तर्निहित सिधान्तो के ज्ञान को लोग करने के लिए आवशयक है जबकि, २.प्रबंधन केवल निरन्तर अभ्यास के के माध्यम से प्रबंधन की कला में पूर्ण हो जाता है ३.'प्रबंधन' समस्याओ को हल करने के लिए स्तिथि का सामना करने के लिए अरे पूरी तरह से समय पैर उद्देश्यों को साकार करने के लिए सही ढंगसे हेर स्थिति से निपटने के लये होती है निस्कर्स ---- प्रबंधन कला अरे विज्ञानं दोनों है ,पड़े में सम्मिलित है ,जो प्रबंधन के ज्ञान का एक विज्ञानं है तथा प्रबंधन के व्यव्हार में एक कला है कला विश्वविद्यालयों कीमनुस्य के दवारा बनाईअवधारणा है यह एक सामाजिक प्रक्रिया है ,इसलिए यह सामाजिक विज्ञानं है के अन्तर्गत आता हैयह एक लचीला विज्ञानं है अरे अपने सिधान्तो अरे सिद्धांतो का बाल्टी परिणाम परिवर्तित समय के साथ देता है इसीलिए यह एक व्याहारिक विज्ञानं है सामाजिक विज्ञानं मनुस्य के स्तर पैर अरे आणविक सतर पैर काम बल देता है ऐसी कारन से कला अरे विज्ञानं दोनों हैके सम्बंदो को अलग करता है वास्तव ,में ये अध्यन किया जा रहा है ? प्रतिभा, योग्यता सफलता के बीज प्रत्येक मानव इसके है ,वह है परिश्रम है अंतराल में छुपे हुए है ,जरुरत है उन्हें अंकुरित करने की है आत्मविस्वास इसके लिए जो कला आवशयक है वह है परिश्रमशीलता और " हेमिंग्वे' अर्नेस्ट योगता ,

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