Prabha Khetan
Aparichit Ujale
साहित्य के किसी भी वाद या नारेबाज़ी से मेरा सम्पर्क नहीं है, न ही मैं साहित्य के प्रति प्रतिबद्ध हूँ। कविता मेरी ज़रूरत है, एक रिलीज़, मेरे व्यक्तित्व की एक अभिव्यक्ति। इसके प्रकाशन के पीछे मेरी केवल एक यही इच्छा है कि मैं उन सबके साथ जो मेरी ही तरह
Aparichit Ujale
साहित्य के किसी भी वाद या नारेबाज़ी से मेरा सम्पर्क नहीं है, न ही मैं साहित्य के प्रति प्रतिबद्ध हूँ। कविता मेरी ज़रूरत है, एक रिलीज़, मेरे व्यक्तित्व की एक अभिव्यक्ति। इसके प्रकाशन के पीछे मेरी केवल एक यही इच्छा है कि मैं उन सबके साथ जो मेरी ही तरह
Husnabano Aur Anay Kavitayen
इक्कम-दुक्कम खेलती हुस्नाबानो सोचती इस गली में अब और नहीं बन सकता कोई घर यदि बनता तो क्या वह हमारा होता? भाई मोहसिन का होता? अम्मी का होता? अब्बा का होता? Read more
Husnabano Aur Anay Kavitayen
इक्कम-दुक्कम खेलती हुस्नाबानो सोचती इस गली में अब और नहीं बन सकता कोई घर यदि बनता तो क्या वह हमारा होता? भाई मोहसिन का होता? अम्मी का होता? अब्बा का होता? Read more
Kirishnadharma Main
मेरी इस पूरी कविता में कृष्ण मौजूद हैं उनकी मौजूदगी उस कौंध की मौजूदगी है जो कभी दिखती है कभी नहीं दिखती, मगर लापता कभी नहीं होती। हाँ, यह भी सच है कि मेरे पास ऐसा कोई विज़न नहीं, बस कहीं कछ आत्मा की गहराई में ज़रूर घटा कि अपने वैयक्तिक अनुभवों का अति
Kirishnadharma Main
मेरी इस पूरी कविता में कृष्ण मौजूद हैं उनकी मौजूदगी उस कौंध की मौजूदगी है जो कभी दिखती है कभी नहीं दिखती, मगर लापता कभी नहीं होती। हाँ, यह भी सच है कि मेरे पास ऐसा कोई विज़न नहीं, बस कहीं कछ आत्मा की गहराई में ज़रूर घटा कि अपने वैयक्तिक अनुभवों का अति