प्राइवेसी, डेटा शेयरिंग, इनक्रिप्शन, मेटाडाटा , आजकल ये शब्द खूब सुनने को मिलते हैं
कई लोग चिंतित हैं , कई लोग इस फिक्र को धुंए में उड़ा रहे हैं।
अधिकतर लोगों को पता ही नहीं कि क्या हो रहा है तो आइए चर्चा करते हैं कि भिया आखिर ये मामला है क्या..?
तो भिया, मामला शुरू होता है 2007 से... जब दो आजाद तकनीशियन ब्रायन ऐक्टन और जेन कोआम, अपनी याहू की नौकरी छोड़ घूमने निकल पड़ते हैं। वापिस आकर एक IPhone खरीदते हैं और एप्पल के App Store को देखकर समझ जाते हैं कि आने वाला जमाना है APPS का..।
तो दोनों दिमाग लगाते हैं और बतियाने के डिजिटल अड्डे का आईडिया आता है उनके दिमाग में, नाम रखा जाता है whatsapp, जल्द ही whatsapp भयंकर फेमस हो जाता है बातोलो के बीच, फिर धीरे धीरे सबके बीच, इनका मूल मंत्र होता है बतियाने का गुप्त अड्डा...
गुप्त मल्लब फुल्ली गुप्त!!!
खैर लोकप्रियता की चाशनी जमती है तो मक्खियां भी आ ही जाती हैं!! और मक्खियों के सरदार जुकरु मिया आते हैं पिक्चर में।
आते ही साथ ऐसी डील देते हैं कि दोनों भँवरे इस अड्डे को बेचने को तैयार हो जाते हैं और डील होती है 21 बिलियन डॉलर की।
1 बिलियन मल्लब 10 अरब डॉलर... इसमे 70 का गुणा मार दो तो भारतीय रुपये में संख्या आ जायेगी!!!
खैर अब जुकरु मिया बनते हैं नए बॉस और दोनो फाउंडर को ही व्हाट्सएप्प सम्भालने देते हैं। दोनो बॉस के पैसे आते हैं तो वो व्हाट्सएप्प को नई सुरक्षा देते हैं। सुरक्षा मल्लब बिल्कुल Z+ टाइप, एन्ड टू एन्ड इनक्रिप्शन वाली… मल्लब अब व्हाट्सएप्प वालों को भी नहीं पता होगा कि मैसेज में क्या है। और ये सुरक्षा मिलती है Signal Protocol से, जो टेक्स्ट ओर वॉयस कॉल इनक्रिप्शन करता है ट्विटर और फेसबुक भी यही इस्तेमाल करते हैं।
और अब आते हैं 2017 में... एक फाउंडर ब्रायन ऐक्टन की जुकरु से ठन जाती है मूल मंत्र प्राइवेसी को लेकर। क्योंकि जुकरु मियां व्हाटसअप का डेटा बेचकर अपने पैसे वसूलने की तैयारी करते हैं, ब्रायन ऐक्टन जो आदर्शों का पक्का आदमी है वो जुकरु लात मार देता है साथ ही 850 मिलियन डॉलर के फेसबुक स्टॉक्स को भी, जो मात्र 11 महीने बाद उसको मिलने वाले थे, समझो तो 1 मिलियन मल्लब 10 लाख डॉलर… मल्लब की समझो तो 85 करोड़ डॉलर। जिसकी मार्किट वैल्यू होती है तब के जमाने मे 5950 करोड़ रुपये।
कलयुग में इससे बड़ा सिद्धान्तवादी मैंने नही देखा...
खैर वहां से निकल कर भाई ऐक्टन अपने मूल सिद्धान्त की रक्षा में लग जाते हैं। मल्लब प्राइवेसी, और साथ मिलता है मोक्सी मर्लिनस्पाइक भिया बहुत बड़े धुरंधर है इन्क्रिप्सन के।
2010 में इन्होंने ही पूरी दुनिया मे चलने वाले SSL इनक्रिप्शन सर्टिफ़िकेट की खामियां बतायी और उसे ठीक किया। उसके बाद उनने बनाई व्हिस्पर सिस्टम नाम की कंपनी। ओर अपना पहला सॉफ्टवेयर बनाया Text secure जो टेक्स्ट को इनक्रिप्ट करता था और दूसरा सॉफ्टवेयर बनाया Red phone… जो वॉयस काल को इनक्रिप्ट करता था। 2011 में उनकी कंपनी को खरीद लिया ट्विटर ने। और फिर दोनों सॉफ्टवेयर मार्किट से गयाब हो गए। जिन्हें केवल ट्विटर इस्तेमाल करता था। खैर मोक्सी भिया का मन भी ट्विटर से भर गया और उन्होने ट्विटर छोड़कर एक नई कंपनी बनाई नाम रखा Open Whisper System…
अब इस नई कंपनी ने और ज्यादा सुरक्षा वाला प्रोग्राम बनाया जिसमे टेक्स्ट और फ़ोन दोनो को इनक्रिप्ट किया और नाम दिया गया Signal Protocol… ओर किस्मत देखो , इसको पहला क्लाइंट मिला फेसबुक और व्हाट्सएप्प। दोनो के इन्क्रिप्सन Signal प्रोटोकॉल से ही होते हैं।
और 2017 में ब्रायन भिया निकले तो अपने जैसा बन्दा उन्हें मिला माक्सी भिया के रुप में। फिर क्या था उन्होंने एक NPO ( नॉन प्रॉफिट आर्गेनाइजेशन ) बनाया और लांच कर दिया नया मैसेंजर... नाम रखा Signal… सही मायने में गुप्त ठिया... इतना गुप्त की एडवर्ड स्नोडन, जिसके पीछे पूरी अमेरिकी खुफिया एजेंसी पड़ी है उसने कहा कि आज मैं जिंदा हु तो सिग्नल की बदौलत।
पत्रकार, व्यापारी, राजनीतिज्ञ सबकी पसंदीदा APP बन गयी Signal
कारण बहुत सिंपल है Signal केवल टेक्स्ट को ही नहीं बल्कि मेटाडाटा को भी इनक्रिप्ट करता है जिसको लेकर अभी का बबाल मचा है मल्लब आपका डेटा तो सर्वर पर है पर लाख कोशिश कर लो पर ये न पता चलना कि कब किसने और कैसे ये मैसेज किया...
वहीं व्हाटसअप का मेटाडाटा व्हाट्सएप्प को पता है और वो इसी को बेचने की तैयारी कर रहा है। साथ ही व्हाटसअप का बैकअप इनक्रिप्टेड नहीं है मल्लब किसी ने हैक किया तो आपकी सारी टेक्स्ट हैकर्स के हाथ में।
लेकिन सिग्नल में ऐसा कुछ भी सम्भव नहीं। चाहे तो इस्राइल के पेगासिस सॉफ्टवेयर को ही खरीद लो लेकिन खुफिया टेक्स्ट खुफिया ही रहेगा , खुफिया इतना कि 2019 में अमेरिकन कोर्ट के आर्डर ओर पूरी FBI की टीम लगने के बाद भी मेसेज भेजने का दिन पता चल पाया , बाकी कुछ भी नही
और इसी बीच व्हाटसअप ने बोल दिया कि अब डेटा खुलेआम बिकेगा। मल्लब आप कहाँ कहाँ गए, किसको मैसेज किया, किसको फ़ोन किया, सब बिकेगा।
तो बबाल मचा ओर सिग्नल जो बेचारा अपने आदर्शों के साथ खड़ा था उसकी चल निकली। दुनिया के सबसे अमीर बन्दे एलन मस्क ने भी बोल दिया कि भिया खूफिया बने रहना है तो सिग्नल चलाओ...
तो अब बहुत सिंपल भाषा में समझा दिया आपको , पूरे मार्किट में खुद की प्रदर्शनी लगवानी है तो व्हाटसअप चलाओ। और नहीं लगवानी है तो सिग्नल चलाओ।
प्रदर्शनी आपकी, फैसला आपका...