shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

प्रेम - एक करूणा

Kanak Nayan

0 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
0 पाठक
निःशुल्क

पहला प्रेम कुछ शिशुवत होता है ,जिस प्रकार एक शिशु के लिए उसकी माँ से अत्यधिक कुछ और महत्वपूर्ण नही होता ठीक उसी तरह जब एक लडकी प्रेम मे होती है तो उसके लिए उसके प्रिय से अत्यधिक महत्वपूर्ण और कुछ नही होता , वो उसको ही आधार मानकर स्वयं निराधार हो जाती है, उस प्रिय को कृष्ण और स्वयं को राधा मानकर तृप्त अनुभूत करती है, पर जब उसे ये एहसास होता है कि उसके प्रिय का प्रेम एक मृग मरीचिका के समान मात्र एक भ्रम था तब उसका जीवन उस विरक्त वैरागी के समान हो जाता है जिसका प्रेम ही प्रस्फुटित होकर करूणा बन जाता है और अब वह पुनः शिशुवत हो जाती है। शायद अत्यधिक संवेदना ही स्त्री के जीवन की वेदना है। 💖💖  

prem ek karuna

0.0(0)

पुस्तक के भाग

no articles);
अभी कोई भी लेख उपलब्ध नहीं है
---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए