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प्रेम रावत के बारे में

प्रेम रावत एक विश्वविख्यात अध्यात्मिक गुरु है। जन्म १० दिसम्बर १९५७ में भारत के अध्यात्मिक नगर हरिद्वार में हुआ था। प्रख्यात अधय्त्मिक गुरु हंस जी महाराज इनके पिता थे। ये एक विशेष रूप से ध्यान लगाने वाला अभ्यास, ज्ञान देते हैं। ये वैयक्तिक संसाधन की खोज जैसे अंदरूनी शक्ति, चुनाव , अभिमूल्यन आदि पर आधारित शांति की शिक्षा देते हैं। रावत, हंस जी महाराज, जो की एक प्रसिद्ध भारतीय आध्यात्मिक गुरु थे, के सबसे युवा पुत्र हैं। ये दिव्य सन्देश परिषद् के संस्थापक हैं जिसे की बाद में डीवाइन लाइट मिशन या डी.अल.ऍम.के नाम से जाना गया। इनके पिता के स्वर्गवास के बाद ८ वर्ष की उम्र के रावत सतगुरु (सच्चा गुरु) बन गए। १३ वर्ष की उम्र में रावत ने पश्चिम की यात्रा की और उसके बाद यूनाइटेड स्टेट्स में ही घर ले लिया। कई नवयुवको ने इस दावे पर रूचि दिखाई की रावत ईश्वर का ज्ञान सीधे ही खुद के अनुयाइयों को दे सकतें हैं। विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न बालक से शुरूआत कर, 70वें दशक के किशोर आइकॉन के रूप में और फिर विश्व शांतिदूत के रूप में प्रेम रावत जी, लाखों लोगों के लिए असाधारण स्पष्टता, प्रेरणा और जीवन की गहरी सीख लेकर आए हैं। प्रेम रावत फाउंडेशन के संस्थापक, प्रेम जी अब संयुक्त राज्य अमेरिका में रहते हैं और जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के साथ काम करते हैं। उन्हें यह दिखाते हैं कि अपने अंदर शांति के स्रोत का अनुभव कैसे करें। उनका यह विश्ववापी प्रयास 100 से अधिक देशों में फैला हुआ है, जो हर एक व्यक्ति को आशा, खुशी और शांति का व्यावहारिक संदेश देता है। वे ‘पीस इज़ पॉसिबल’ पुस्तक के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेस्टसेलिंग लेखक और ‘द पीस एजुकेशन प्रोग्राम’ के संस्थापक हैं। प्रेम 14,500 घंटे से अधिक अनुभव वाले एक पायलट होने के साथ, एक फोटोग्राफर, क्लासिक कार रेस्टोरर और चार बच्चों के पिता और चार के दादा भी हैं

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प्रेम रावत की पुस्तकें

Swayam Ki Awaaz

Swayam Ki Awaaz

आधुनिक जीवन का शोर, हमें बहरा कर देने वाला हो सकता है, जो हमें हतप्रभ और असहज कर देता है। इस स्नेह-पूर्ण और प्रबुद्ध पुस्तक में, प्रेम रावत हमें सिखाते हैं कि इस शोर को कैसे कम करें ताकि हम “स्वयं को सुन सकें”- शांति के कोमल संगीत को, जो हम में से प

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2 रचनाएँ
0 लोगों ने खरीदा

प्रिंट बुक:

299/-

Swayam Ki Awaaz

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आधुनिक जीवन का शोर, हमें बहरा कर देने वाला हो सकता है, जो हमें हतप्रभ और असहज कर देता है। इस स्नेह-पूर्ण और प्रबुद्ध पुस्तक में, प्रेम रावत हमें सिखाते हैं कि इस शोर को कैसे कम करें ताकि हम “स्वयं को सुन सकें”- शांति के कोमल संगीत को, जो हम में से प

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