प्रयागी मुस्कान....❤️इक अनकही मुहब्बत.....🥀
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ये कहानी है मुस्कान की। मुस्कान त्रिवेणी घाट की सीढ़ियों पर बैठी गिटार बजाती हुई सांग गा रही थी। जिसे सुन लोगो की भीड़ वहां इकठ्ठी हो गयी थी। वहीं कोई था जो दूर से ही मुस्कान को देख रहा था। उसके चेहरे प
उसकी बात सुन कर सब जाने लगते हैं ... तभी देव बोलता है ... तुम सब जाओ मुझे मुस्कान से कुछ जरुरी बात करनी है , हम बात करके आते हैं !आगे.........................राधिका मुस्कुराते हुए बोलती है = अब तुम दो
मुस्कान अन्दर जा ही रही थी .. तभी वो किसी से टकरा जाती हैं !!वो जैसे ही गिरने की होती हैं , तभी दो मजबूत बाहें उसे थाम लेती हैं .... मुस्कान ने डर के मारे अपनी आंखें बंद कर लेती हैं !आगे..............
उसके जाते ही __सब उसकी नौटंकी पर हंसने लगते हैं ।तभी मिसेज सिंह थोडा सीरियस होते हुए कहती हैं __"फिर अब क्या करेंगे हम ?इसे कैसे मनाएंगे शादी के लिए .....आगे.....................तभी सरिता जी ,&n
तभी चिल्ला कर रेयांश बोलता है___अरे ऐसे कैसे कह दिया दी..की बात खत्म तो खत्म !<div><br></div><div>हमारी कोई मर्जी मायने नहीं रखता.. हमारी जिंदगी पर सब कुछ.. सबकुछ सबको बस अपनी मन की चलाना होता हैं बस.
राधिका चुप चाप सर झुकाए खड़ी उसकी डांट सुन रही थी ,, और मन ही मन मुस्करा भी रही थी !देव थोडा तेज आवाज में __तुम्हें सुनाई नहीं देता क्या ?? मैं डांट रहा हूं और तुम्हें हसी आ रही है !अरे अब हस्ती ही रह
तभी सरिता जी ,, क्या बात कर रहे हो ये लड़की तुम्हारी नातिन नही है ?<div><br></div><div>तिवारी जी = नहीं !</div><div><br></div><div>तिवारी जी __</div><div>फिर राधिका से कहते हैं _" राधिका जाओ जा कर लाड
राधिका = मैन , नहीं बेटा मैम होता हैं !वो बच्ची मासूम सा फेस बना कर = अले मैन ..हां वही वही मैन ... ही तो तहां था आमने ...इस बार मुस्कान उसकी बाते सुन कर खिलखिला कर हंसने लगती हैं ..और उस बच्ची को गले
याद आजा यार कहां देखा था .. कहां .. कहां .. ( तभी उसे याद आता है ,, अरे हां उस दिन मंदिर में इन्होंने ही बचाया था ,, मैंने थैंक यू भी नहीं बोला था ... चल मुक्कू आज थैंक्यू बोल दे क्या पता आज भी ना बोल
अरे यहां तो कोई नहीं है .. ये मुस्कान मुझे बुला कर खुद कहां गायब हो गई ..??<div><br></div><div>तभी उसके कमर पर किसी के पकड़ का उसे एहसास होता हैं ,,, वो पिछे से ही खींच कर एक लात उसके पैर पर मारती हैं
रेयांश बोल कर मुस्कुरा देता है.......रेयांश का कोई जवाब ना पा कर .... कीर्ति जी ,,, फिर बोलती हैं ,, यांशु ..... वो ख्यालों से बाहर आता है ,,, ह ... हां दी कुछ कहा आपने ???आगे....…....................
टिंग टोंग .. टिंग टोंग .. टिंग टोंग .. अरे कौन है जो मरे जा रहा है,,, नाक में दम कई देत है ई घंटी बजाई बजाई के ... ई घंटी तो आऊरी मुसीबत है..वो औरत दरवाज़ा खोलते हुए बड़बड़ाई ....<div><br></div>
देव उसे अच्छे से लेटा .. ब्लैंकेट उढ़ा देता है और अपने कमरे मे चला जाता हैं....<div><br></div><div>मुस्कान सो तो गई थी , पर सोते हुए भी उसका बड़बड़ाना कम नहीं हुआ था ... वो नींद में भी एक ही बात बोले
मुस्कान – हम्म ...( बोल कर जल्दी जल्दी पैकिंग करने लगती हैं ....)देव सीढ़ियों से उतरते हुए आ रहा था तभी ... सामने से आता किसी को देख वो वापस मुड़ने लगता है ... तभी उसके कानों में एक आवाज़ गूंजती
निशांत – दी आइए लेट हो रहा है....तीनो बाहर आते हैं तो , देखते हैं देव ड्राइविंग सीट पर बैठा उन लोगों का ही वेट कर रहा था...देव एक नज़र राधिका , मुस्कान पर डालते हुए – अच्छा चलों अब कार में बैठो
देव को ये एहसास आज ही क्यों हुआ ..??राधिका तो हमेशा से ही देव को अपना कहती हैं ... तब तो उसे ये एहसास नहीं हुआ ...सायद देव को भी राधिका का साथ अच्छा लगने लगा है... देव को राधिका से दूर जाना कहीं ना कह
रेयांश – क्या दी आप भी ...कीर्ति जी – हम्म .. सही तो कह रही हूं ... चल मै जाती हूं .. चंचल रूम में अकेली सो रही है ... "" चल तू अपना काम जल्दी जल्दी खत्म कर ...कीर्ति जी बोल कर चली जाती हैं !!रेयांश ख
वो जीजू आपको अपने पास बुला रहे हैं .. वो बोल रहे थे ऑफिस में कुछ जरूरी काम हैं इसलिए ... आप बात कर लीजिए मैं निकलता हूं ,,,, मुझे ऑफिस के लिए लेट हो रहा है !<div><br></div><div>बोल कर रेया
राधिका बैग को देखते हुए – हम्म मिल गया !देव – उसको ओपन करो !राधिका – हम्म कर दिया ... ओपन करते ही उसकी आंखें एकदम से बड़ी हो जाती राधिका , "" वाओ ये तो बहुत बहुत ही खूबसूरत साड़ी है , फिर एकदम से ये त
वो जैसे ही पंडित जी के पास दुबारा पहुंचते हैं !एक जोरदार आवाज़ पूरे गार्डन में गूंजती है ... उस आवाज़ का पीछा करते सबकी नजरें उस ओर बढ़ गई जहां से तेज़ तेज़ से चिल्लाने की आवाजे आ रही थी !सब उस ओर देख
इधर रेयांश गुस्से में गाड़ी चला रहा था अचानक ब्रेक मारने से अनमोल जी का सर कार के डेस्क से टकरा जाता है ,, " वो अपना सर सहलाते हुए आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह लग गई मुझे जोर की ... आगे .................
बेटा जैसे आज खड़ी हो ऐसे ही डट कर खड़ी रहना कभी हिम्मत मत हारना , कभी महादेव से मुंह मत मोड़ना जानते हैं तुम्हारी जिदंगी में बहुत संघर्ष हैं पर इन संघर्ष से निकलने का रास्ता तुम्हे महादेव ही दिखायेंगे
रेयांश ऑफिस में जैसे ही एंटर करता है सब उसे ही एक टक घूरे जा रहे थे अरे भाई घूरे भी क्यों ना आखिर हमारा रेयांश हैं ही इतना हैंडशाम अगर वो सामने हो तो कोई उसे देखे बिना रह ही ना सके !<div><br></div><di
आंचल जी मुस्कुराते हुए = नही मांजी हमे नींद नहीं आ रही अभी ,,,,, फिर वो कीर्ति जी की तरफ देखते हुए ,,,, और कीर्ति तुम्हारा ऑफिस में सब काम ठीक से चल रहा है ना ???<div><br></div><div>कीर्ति जी मु
मुस्कान टावल से अपने बाल पोंछते हुए ,,,,, ओए होने वाली भाभी जान जाइए जल्दी से नहा लीजिए उसके बाद हमारे भईया को याद करके मुस्कुरा लीजिएगा ! राधिका मुस्कुराते हुए वॉशरूम में जल्दी से भाग जाती है...
वो खुद मे बोल कर चुप हो जाती हैं ,,,,, फिर भी वो अपनी आंखे बंद किए वैसे ही खड़ी रहीं !रेयांश था तो ख़ामोश पर मुस्कान की तरफ़ से कोई जवाब ना आता देख उसकी बैचेनी बढ़ती ही जा रही थी ... उसे डर लग रहा था
दूकान वाला आइसक्रीम रेयांश के हाथ में पकड़ाता है और रेयांश जैसे ही उसे मुंह पे खाने के लिए लगाता है चंचल उसके हाथ से आइसक्रीम छीन लेती हैं और उसे मुंह चिढ़ाते हुए खाने लगती हैं !रेयांश को तो पहले से ह
वो वहां की खुली हवा में टहल रहा था और सुकुन ढूंढ़ रहा था, मगर जब दिल में घबराहट और बैचैनी हो और अंदर ही अंदर तुफान मचा हो तो बाहर की किसी भी चीज से शांति नही मिलती..... ऐसा ही कुछ रेयांश के साथ भ
मुस्कान अपना सारा सामान अच्छे से देख कर पैक कर रही थी की कहीं कोई सामान छूट ना जाए वैसे भी अब शादी के बाद बिदाई भी वहीं से हो जायेगी तो यहां आने का कोई सवाल ही नहीं होता !कुछ घंटे बाद,,,,,,,तिवारी जी
सारी रस्में अच्छे से पूरी हो चुकी थी मुस्कान एक नज़र सब ओर डाल तेज़ी से घर से निकल जाती हैं । और जा कर सीधा गाड़ी में बैठ जाती हैं !उसके बाद उसने दुबारा मुड़ कर घर की तरफ नहीं देखा ........थोड़ी देर म
रेयांश __ दी अभी हम बिजी हैं बाद में बात करते हैं !कीर्ति जी __ मै बात करने के लिए कॉल नहीं की सामान पैक हुआ तुम्हारा ??रेयांश __ अभी नहीं !कीर्ति जी ___ कब करोगे ???रेयांश __ अभी काम कर लूं फिर कॉल क
समीर __ सर जल्दी कीजिए सब आपका ही वे...यांशु जल्दी करो बेटा हमे लेट हो रहा है मैं कबसे तुम्हें आवाज़ दे रही हूं । और तुम हो की तुमको सुनाई ही नहीं देता ! उनका फ़ोन दो बार आ चुका है । अब चलो जल्दी से स
सरिता जी = बेटा कभी तो अपनी दादी से नॉर्मल बात कर लिया करो !कीर्ति जी , मुस्कुराते हुए = आप दोनों कभी नहीं सुधरने वाले !तभी पिछे से __ ये सुधर जाए तो बात ही क्या है ?? क्यूं सही कहा ना अनमोल जी ......
हम इन सबसे जीतना दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं महादेव वो हमारे उतने ही पास क्यों आते जा रहे है क्यों कर रहे हैं आप ऐसा हमारे साथ , क्यों , आखिर क्यों ?? –"बोल कर मुस्कान बेतहाशा रोने लगती जिसकी च
क्यूं ऐसा होता है कि कभी कभी हमारी खुशी हमारे अपनो के दर्द की वजह बन जाती है ?? और ये दिल क्यूं उसी चीज की चाहत करता है जो उसे कभी मिल नही सकता ? क्यों भईया क्यों आप हमसे इतने दूर चले गए क्यूं?? क्या
वो हॉस्पिटल से लौटते हुए ....समीर – ये क्या था ऐसे खुद को चोट पहुंचाना कब बंद करेगा तू , अगर मै थोड़ी देर से आता तो ?? कल तेरी शादी है यार और खुद को देख ये क्या हाल बना रखा है अपना ??रेयांश कुछ
राधिका – पर दी यहां ???महिमा जी – अनिका है !राधिका – जी !बारात आ गई थी.....बारात को देख कर देव को एक झटका सा लगता है.............आगे............................दूल्हे के रूप में रेयांश को देख कर देव क
कीर्ति जी, मुस्करा कर पिछे हट जाती हैं !पंडित जी ने विवाह की रस्में आगे बढ़ाई .... थोड़ी देर बाद पंडित जी एक दूसरे को वरमाला पहनाने को कहते हैं । दोनो वरमाला पहनाने के लिए खड़े होते हैं । और वरमा
आप दोनों का विवाह विधि का विधान था उस ऊपर वाले का आशीर्वाद है आप दोनों के रिश्ते पर भले ही आप दोनों के जीवन पर बहुत उतार चढ़ाव आयेंगे और आपके बिच भी बहुत अनबन होगी पर आप दोनों का बंधन टूट कर भी कभी नह
वहीं वो आदमी एक नज़र रेयांश पे डाल मुस्कान का हाथ पकड़ उसे खींचते हुए आगे बढ़ने लगता है । .. तभी रेयांश किसी तरह ख़ुद को छुड़ाते हुए आगे बढ़ कर मुस्कान का हाथ पकड़ अपनी ओर खींच लेता है और उस आदमी
जानते क्या हो तम हमारी बेटी के बारे में जानना ही है तो अपनी मां सरिता सिंह से सुन लेना फिर आना बात करने बोल कर वो भारी कदमों से मुस्कान की ओर बढ़ते हैं और उसे अपने साथ ले कर बाहर आते हैं कार में देव ब