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स्त्री विमर्श -

hindi articles, stories and books related to Stri vimarsh -


समाज में गुम हो चुकी संवेदनशीलता को जगाने का प्रयास करती एक कहानी है, जीवन सारथि! एकसाथ कईं सामाजिक मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करती,स्त्री सशक्तिकरण का उदाहरण प्रस्तुत करती, 'भिखारी' कह कर समाज से अलग क

मसल दी गई कमसिन कलियां लूटी दरिंदों ने खुशियां बिखर गई बनकर हवस की शिकार अस्मिता हुई तार तार क्यों खामोश हो जाती है काली स्वरूप क्यों जाती है भूल क्यों कमजोर हो जाती है क्यों नहीं बन जाती ज्वालामुखी क

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कलयुग है भाई,घोर कलयुग आया है।लेकिन स्त्रियों के लिए तो,कलयुग हर युग में छाया है।त्रेता युग में रावण,सीता को उठाकर ले गया था।और फिर शुरू,राम और रावण का युद्ध हुआ था।लौट कर आईं सीता माता, तो श्रीर

मां से मुझे बहुत कुछ कहना है जो मैंने हमेशा उनसे छुपाया है मां आपके प्यार करने का अंदाज मुझे हर बार जुदा सा लगता है मां ऐसा बहुत बार हुआ दूसरों का प्यार करने का तरीका ना जाने क्यों अजीब सा लग

हम गृहणियाँ होतीं बड़ी कमाल, रखते पूरे घर का ख्याल। चाहे हो खुद की साड़ी, या पति का रुमाल।रहती है हर चीज पर नजर, हर सदस्य की रहती खबर। होते घर के हर कोने से वाकिफ, इसी में बीत जाती है उमर। बन जाए दोस

मुस्कुराते हुए व्यक्ति के मुस्कुराहट के पीछे का वो दुःख देखो कभी कितना दर्द होता है उसे अपने ख़ुद के व्यक्तित्व को छिपा कर  ये सब नही वो मुस्कुराने वाला ही जान सकता है

सुनो तुम लड़की हो..... सुकून से जीने नही देंगे हम तुम्हें क्योंकि तुम लड़की हो  पैदा होने पर जन्मदिन नही मनाया जाएगा क्योंकि तुम लड़की हो...  पैरो में पायल और हाथो में कड़े पहनो क्योंकि तुम लड़क

मन उड़ने की तमन्ना में मुस्कुराने लगा, मैंने जब उसे रोका तो  अकुलाने लगा, बोला बांधो न मन को आज़ादी दो, मुझे उन्मुक्त हो उड़ना है परिंदा बन, तुमने वर्षों मुझे क़ैद कर  रूलाया है, अब उड़ने क

 जिम्मेदारियों का अहसास " जिम्मेदारियों ने समय से पहले ही रिया को बड़ा बना दिया है" रिया की मां सुनीता जी अपनी भाभी कुसुम से कह रही थीं उसी समय रिया पूरी तरह पानी में भीगी हुई घर के अन्दर दाखिल ह

अनुच्छेद 79          मेरी यादों के झरोखों से ------------------------------------------------------------------------------------------- सेठ जी की कोठी आज रंग बिरंगे बल्बों की

अनुच्छेद 78                    मेरी यादों के झरोखों से -------------------------------------------------------------------------------------मधु क

अनुच्छेद 77          मेरी यादों के झरोखों से ______________________________________________संसार मे आना जाना यह लगा हुआ है इसीलिये इसे सांसारिक नियम माना है, जिसकी मृत्यु हुई

अनुच्छेद  75        मेरी यादों के झरोखों से    ----------------------------------------------------------------------------------------- मधु की जिद के आगे परिवार के

 अनुच्छेद  74          मेरी यादों के झरोखों से-------------------------------------------------------------------------------------------सेठ रविशंकर जी का उनके परिजन

अनुच्छेद 72               मेरी यादों के झरोखों से------------------------------------------ - ------------------------------------------------------------------

अनुच्छेद 70                  मेरी यादों के झरोखों से ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^           "मानव जीवन भी बड़ा

अनुच्छेद 69            मेरी यादों के झरोखों से----------------------------------------------------- ----------------------------------------------------------------------

जब छोटी थी मैं, घर घर खेला करती थी मैं।   आँखों में काजल लगा कर,   माथे पर बड़ी सी बिन्दी। गहरी गहरी लगा के लिपस्टिक, पाउडर पोत लेती थी मैं। मम्मी की चुनरी को, साड़ी की तरह लपेट कर

      ये कहानी शुरु होती है, निशा से! निशा यू तो भरा पुरा परिवार रहा है उसका, पर उसी परिवार के बीच हर किसीसे जूडे हेने के बावजूद अपना अलग वजूद की तलाश में अकेले सबसे दूर रहती, निशा! निश

अनुच्छेद 58                   मेरी यादों के झरोखों से ______________________________________________________________________________ पिछले अंक मे

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