हमारे राम आ गए हैं......
तो क्यों ना रामराज्य बनाया जाए...?
हालांकि है ये देव दुर्लभ लेकिन क्यों ना इक कदम उठाया जाए…. ✍🏻 शिवा प्यासी"शिवाक्षि" ✍🏻
है सबके बस की बात नही; ये तुम पहले से ही जान लो
है त्याग ही इसका मर्म भाग कर पाओ तो ठान लो
अरे…प्रभुता पाना है तुमको........क्या लगता है ऐसे ही पा जाओगे
राम–राम कहने से तुम राम को ना जान पाओगे
लाना है यदि रामराज्य राम तुमको भी बनना होगा
मर्यादा और चरित्र–त्याग दिल में अपने रखना होगा
किया पितृ आज्ञा में राज त्याग ; तुम बात पिता की मानो तो
शबरी के बेर, मित्र निषाद; तुम भेदभाव को त्यागो तो
है प्रेम सिया से, है चरित्रवान; तुम प्रेम परिभाषा जानो तो
किया धर्म युद्ध था नैतिक जीवन ; तुम मार्ग पाप का त्यागो
तुम राम–राम का घोष करो गर अर्थ राम का जानो तो
कौन है राम........?
है राम वही जो चरित्रवान
है राम वही जिसमे है त्याग
है राम वही जो समता जाने
हैरान वही जो करुणा माने
है राम वही जो सच्चा होगा
है राम वही जो नैतिक होगा
चलो करते हैं प्रयास;राम राज्य का आगाज़
यदि बन जाएगा राम राज्य तो क्या होगा.....?
तुलसी दास जी के अनुसार
अल्पमृत्यु नहिं कवनिउ पीरा। सब सुंदर सब बिरुज सरीरा॥
नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना। नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना॥