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राधा कृपा कटाक्ष

13 सितम्बर 2021

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,🌺श्री राधाकृष्ण कृपाकटाक्ष स्तोत्र🌺

मूकं करोति वाचालं पंगु लंघयते गिरिम्’

अर्थात् उन परमानन्दस्वरूप माधव की कृपा से गूंगे बहुत बोलने लगते हैं; पंगु (लंगड़े) पहाड़ को लांघ जाते हैं ।

भगवान श्रीकृष्ण मंगलरूप हैं अत: उनके नाम-रूप-लीला का गान भी मंगलरूप हैं । जो मनुष्य भगवान श्रीकृष्ण के स्तोत्र आदि का पाठ करते हैं उनकी वाणी शुद्ध होकर आत्मा को पावन कर देती है और मनुष्य श्रीकृष्णस्वरूप होकर उनमें इस तरह मिल जाता है जैसे हवन में डाला हुआ घी अग्नि में मिल जाता है अर्थात् भगवान के साक्षात्कार के योग्य बन जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण स्वयं ब्रह्माजी से कहते हैं–‘जो कृष्ण ! कृष्ण !! कृष्ण !!!–यों कहकर मेरा प्रतिदिन स्मरण करता है, उसे जिस प्रकार कमल जल को भेद कर ऊपर निकल जाता है, उसी प्रकार मैं नरक से उबार लेता हूँ ।’

श्रीकृष्ण कृपाकटाक्ष स्तोत्र (कृष्णाष्टक) भगवान श्रीशंकराचार्य द्वारा रचित बहुत सुन्दर स्तुति है।

बिना जप, बिना सेवा एवं बिना पूजा के भी केवल इस स्तोत्र मात्र के नित्य पाठ से ही श्रीकृष्ण कृपा और भगवान श्रीकृष्ण के चरणकमलों की भक्ति प्राप्त होती है।

भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं,

स्वभक्तचित्तरंजनं सदैव नन्दनन्दनम्।

सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं,

अनंगरंगसागरं नमामि कृष्णनागरम्॥१॥

भावार्थ–व्रजभूमि के एकमात्र आभूषण, समस्त पापों को नष्ट करने वाले तथा अपने भक्तों के चित्त को आनन्द देने वाले नन्दनन्दन को सदैव भजता हूँ, जिनके मस्तक पर मोरमुकुट है, हाथों में सुरीली बांसुरी है तथा जो प्रेम-तरंगों के सागर हैं, उन नटनागर श्रीकृष्णचन्द्र को नमस्कार करता हूँ।

मनोजगर्वमोचनं विशाललोललोचनं,

विधूतगोपशोचनं नमामि पद्मलोचनम्।

करारविन्दभूधरं स्मितावलोकसुन्दरं,

महेन्द्रमानदारणं नमामि कृष्ण वारणम्॥२॥

भावार्थ–कामदेव का मान मर्दन करने वाले, बड़े-बड़े सुन्दर चंचल नेत्रों वाले तथा व्रजगोपों का शोक हरने वाले कमलनयन भगवान को मेरा नमस्कार है, जिन्होंने अपने करकमलों पर गिरिराज को धारण किया था तथा जिनकी मुसकान और चितवन अति मनोहर है, देवराज इन्द्र का मान-मर्दन करने वाले, गजराज के सदृश मत्त श्रीकृष्ण भगवान को मैं नमस्कार करता हूँ।

कदम्बसूनकुण्डलं सुचारुगण्डमण्डलं,

व्रजांगनैकवल्लभं नमामि कृष्णदुर्लभम्।

यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया,

युतं सुखैकदायकं नमामि गोपनायकम्॥३॥

भावार्थ–जिनके कानों में कदम्बपुष्पों के कुंडल हैं, जिनके अत्यन्त सुन्दर कपोल हैं तथा व्रजबालाओं के जो एकमात्र प्राणाधार हैं, उन दुर्लभ भगवान कृष्ण को नमस्कार करता हूँ; जो गोपगण और नन्दजी के सहित अति प्रसन्न यशोदाजी से युक्त हैं और एकमात्र आनन्ददायक हैं, उन गोपनायक गोपाल को नमस्कार करता हूँ।

सदैव पादपंकजं मदीय मानसे निजं,

दधानमुक्तमालकं नमामि नन्दबालकम्।

समस्तदोषशोषणं समस्तलोकपोषणं,

समस्तगोपमानसं नमामि नन्दलालसम्॥४॥

भावार्थ–जिन्होंने मेरे मनरूपी सरोवर में अपने चरणकमलों को स्थापित कर रखा है, उन अति सुन्दर अलकों वाले नन्दकुमार को नमस्कार करता हूँ तथा समस्त दोषों को दूर करने वाले, समस्त लोकों का पालन करने वाले और समस्त व्रजगोपों के हृदय तथा नन्दजी की वात्सल्य लालसा के आधार श्रीकृष्णचन्द्र को नमस्कार करता हूँ।

भुवो भरावतारकं भवाब्धिकर्णधारकं,

यशोमतीकिशोरकं नमामि चित्तचोरकम्।

दृगन्तकान्तभंगिनं सदा सदालिसंगिनं,

दिने-दिने नवं-नवं नमामि नन्दसम्भवम्॥५॥

भावार्थ–भूमि का भार उतारने वाले, भवसागर से तारने वाले कर्णधार श्रीयशोदाकिशोर चित्तचोर को मेरा नमस्कार है। कमनीय कटाक्ष चलाने की कला में प्रवीण सर्वदा दिव्य सखियोंसे सेवित, नित्य नए-नए प्रतीत होने वाले नन्दलाल को मेरा नमस्कार है।

गुणाकरं सुखाकरं कृपाकरं कृपापरं,

सुरद्विषन्निकन्दनं नमामि गोपनन्दनं।

नवीन गोपनागरं नवीनकेलि-लम्पटं,

नमामि मेघसुन्दरं तडित्प्रभालसत्पटम्।।६।।

भावार्थ–गुणों की खान और आनन्द के निधान कृपा करने वाले तथा कृपा पर कृपा करने के लिए तत्पर देवताओं के शत्रु दैत्यों का नाश करने वाले गोपनन्दन को मेरा नमस्कार है। नवीन-गोप सखा नटवर नवीन खेल खेलने के लिए लालायित, घनश्याम अंग वाले, बिजली सदृश सुन्दर पीताम्बरधारी श्रीकृष्ण भगवान को मेरा नमस्कार है।

समस्त गोप मोहनं, हृदम्बुजैक मोदनं,

नमामिकुंजमध्यगं प्रसन्न भानुशोभनम्।

निकामकामदायकं दृगन्तचारुसायकं,

रसालवेणुगायकं नमामिकुंजनायकम्।।७।।

भावार्थ–समस्त गोपों को आनन्दित करने वाले, हृदयकमल को प्रफुल्लित करने वाले, निकुंज के बीच में विराजमान, प्रसन्नमन सूर्य के समान प्रकाशमान श्रीकृष्ण भगवान को मेरा नमस्कार है। सम्पूर्ण अभिलिषित कामनाओं को पूर्ण करने वाले, वाणों के समान चोट करने वाली चितवन वाले, मधुर मुरली में गीत गाने वाले, निकुंजनायक को मेरा नमस्कार है।

विदग्ध गोपिकामनो मनोज्ञतल्पशायिनं,

नमामि कुंजकानने प्रवृद्धवह्निपायिनम्।

किशोरकान्ति रंजितं दृगंजनं सुशोभितं,

गजेन्द्रमोक्षकारिणं नमामि श्रीविहारिणम्।।८।।

भावार्थ–चतुरगोपिकाओं की मनोज्ञ तल्प पर शयन करने वाले, कुंजवन में बढ़ी हुई विरह अग्नि को पान करने वाले, किशोरावस्था की कान्ति से सुशोभित अंग वाले, अंजन लगे सुन्दर नेत्रों वाले, गजेन्द्र को ग्राह से मुक्त करने वाले, श्रीजी के साथ विहार करने वाले श्रीकृष्णचन्द्र को नमस्कार करता हूँ।

यदा तदा यथा तथा तथैव कृष्णसत्कथा,

मया सदैव गीयतां तथा कृपा विधीयताम् ।

प्रमाणिकाष्टकद्वयं जपत्यधीत्य यः पुमान्,

भवेत्स नन्दनन्दने भवे भवे सुभक्तिमान ॥९॥

प्रभो! मेरे ऊपर ऐसी कृपा हो कि जहां-कहीं जैसी भी परिस्थिति में रहूँ, सदा आपकी सत्कथाओं का गान करूँ। जो पुरुष इन दोनों—-श्रीराधा कृपाकटाक्ष व श्रीकृष्ण कृपाकटाक्ष अष्टकों का पाठ या जप करेगा, वह जन्म-जन्म में नन्दनन्दन श्यामसुन्दर की भक्ति से युक्त होगा और उसको साक्षात् श्रीकृष्ण मिलते हैं ।

श्री राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र

राधा साध्यम साधनं यस्य राधा,

मंत्रो राधा मन्त्र दात्री च राधा।

सर्वं राधा जीवनम् यस्य राधा,

राधा राधा वाचि किम तस्य शेषम् ।।

“भावार्थ”:

“राधा” साध्य है उनको पाने का साधन भी राधा नाम ही है। मन्त्र भी राधा है और मन्त्र देने वाली गुरु भी स्वयं राधा जी ही है सब कुछ राधा नाम में ही समाया हुआ है और सबका जीवन प्राण भी राधा ही है राधा नाम के अतिरिक्त ब्रम्हांड में शेष बचता क्या है?

इस स्तोत्र के पाठ से साधक नित्यनिकुंजेश्वरि श्रीराधा और उनके प्राणवल्लभ नित्यनिकुंजेश्वर ब्रजेन्द्रनन्दन श्रीकृष्ण की सुर-मुनि दुर्लभ कृपाप्रसाद अनायास ही प्राप्त कर लेता है।

मुनीन्दवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी,

प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी।

व्रजेन्दभानुनन्दिनी व्रजेन्द सूनुसंगते,

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (1)

भावार्थ : समस्त मुनिगण आपके चरणों की वंदना करते हैं, आप तीनों लोकों का शोक दूर करने वाली हैं, आप प्रसन्नचित्त प्रफुल्लित मुख कमल वाली हैं, आप धरा पर निकुंज में विलास करने वाली हैं। आप राजा वृषभानु की राजकुमारी हैं, आप ब्रजराज नन्द किशोर श्री कृष्ण की चिरसंगिनी है, हे जगज्जननी श्रीराधे माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ?

अशोकवृक्ष वल्लरी वितानमण्डपस्थिते,

प्रवालज्वालपल्लव प्रभारूणाङि्घ् कोमले।

वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये,

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (2)

भावार्थ : आप अशोक की वृक्ष-लताओं से बने हुए मंदिर में विराजमान हैं, आप सूर्य की प्रचंड अग्नि की लाल ज्वालाओं के समान कोमल चरणों वाली हैं, आप भक्तों को अभीष्ट वरदान, अभय दान देने के लिए सदैव उत्सुक रहने वाली हैं। आप के हाथ सुन्दर कमल के समान हैं, आप अपार ऐश्वर्य की भंङार स्वामिनी हैं, हे सर्वेश्वरी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ?

अनंगरंगमंगल प्रसंगभंगुरभ्रुवां,

सुविभ्रम ससम्भ्रम दृगन्तबाणपातनैः।

निरन्तरं वशीकृत प्रतीतनन्दनन्दने,

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (3)

भावार्थ : रास क्रीड़ा के रंगमंच पर मंगलमय प्रसंग में आप अपनी बाँकी भृकुटी से आश्चर्य उत्पन्न करते हुए सहज कटाक्ष रूपी वाणों की वर्षा करती रहती हैं। आप श्री नन्दकिशोर को निरंतर अपने बस में किये रहती हैं, हे जगज्जननी वृन्दावनेश्वरी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (3)

तड़ित्सुवणचम्पक प्रदीप्तगौरविगहे, मुखप्रभापरास्त-कोटिशारदेन्दुमण्ङले।

विचित्रचित्र-संचरच्चकोरशावलोचने,

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (4)

भावार्थ : आप बिजली के सदृश, स्वर्ण तथा चम्पा के पुष्प के समान सुनहरी आभा वाली हैं, आप दीपक के समान गोरे अंगों वाली हैं, आप अपने मुखारविंद की चाँदनी से शरद पूर्णिमा के करोड़ों चन्द्रमा को लजाने वाली हैं। आपके नेत्र पल-पल में विचित्र चित्रों की छटा दिखाने वाले चंचल चकोर शिशु के समान हैं, हे वृन्दावनेश्वरी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (४)

मदोन्मदातियौवने प्रमोद मानमणि्ते,

प्रियानुरागरंजिते कलाविलासपणि्डते।

अनन्यधन्यकुंजराज कामकेलिकोविदे

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (5)

भावार्थ : आप अपने चिर-यौवन के आनन्द के मग्न रहने वाली है, आनंद से पूरित मन ही आपका सर्वोत्तम आभूषण है, आप अपने प्रियतम के अनुराग में रंगी हुई विलासपूर्ण कला पारंगत हैं। आप अपने अनन्य भक्त गोपिकाओं से धन्य हुए निकुंज-राज के प्रेम क्रीड़ा की विधा में भी प्रवीण हैं, हे निकुँजेश्वरी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ?

अशेषहावभाव धीरहीर हार भूषिते,

प्रभूतशातकुम्भकुम्भ कुमि्भकुम्भसुस्तनी।

प्रशस्तमंदहास्यचूणपूणसौख्यसागरे,

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (6)

भावार्थ : आप संपूर्ण हाव-भाव रूपी श्रृंगारों से परिपूर्ण हैं, आप धीरज रूपी हीरों के हारों से विभूषित हैं, आप शुद्ध स्वर्ण के कलशों के समान अंगो वाली है, आपके पयोंधर स्वर्ण कलशों के समान मनोहर हैं। आपकी मंद-मंद मधुर मुस्कान सागर के समान आनन्द प्रदान करने वाली है, हे कृष्णप्रिया माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ?

मृणालबालवल्लरी तरंगरंगदोलते,

लतागलास्यलोलनील लोचनावलोकने।

ललल्लुलमि्लन्मनोज्ञ मुग्ध मोहनाश्रये,

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (7)

भावार्थ : जल की लहरों से कम्पित हुए नूतन कमल-नाल के समान आपकी सुकोमल भुजाएँ हैं, आपके नीले चंचल नेत्र पवन के झोंकों से नाचते हुए लता के अग्र-भाग के समान अवलोकन करने वाले हैं। सभी के मन को ललचाने वाले, लुभाने वाले मोहन भी आप पर मुग्ध होकर आपके मिलन के लिये आतुर रहते हैं ऎसे मनमोहन को आप आश्रय देने वाली हैं, हे वृषभानुनन्दनी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ?

सुवर्ण्मालिकांचिते त्रिरेखकम्बुकण्ठगे,

त्रिसुत्रमंगलीगुण त्रिरत्नदीप्तिदीधिअति।

सलोलनीलकुन्तले प्रसूनगुच्छगुम्फिते,

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (8)

भावार्थ : आप स्वर्ण की मालाओं से विभूषित है, आप तीन रेखाओं युक्त शंख के समान सुन्दर कण्ठ वाली हैं, आपने अपने कण्ठ में प्रकृति के तीनों गुणों का मंगलसूत्र धारण किया हुआ है, इन तीनों रत्नों से युक्त मंगलसूत्र समस्त संसार को प्रकाशमान कर रहा है। आपके काले घुंघराले केश दिव्य पुष्पों के गुच्छों से अलंकृत हैं, हे कीरतिनन्दनी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ?

नितम्बबिम्बलम्बमान पुष्पमेखलागुण,

प्रशस्तरत्नकिंकणी कलापमध्यमंजुले।

करीन्द्रशुण्डदण्डिका वरोहसोभगोरुके,

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (9)

भावार्थ : आपका उर भाग में फूलों की मालाओं से शोभायमान हैं, आपका मध्य भाग रत्नों से जड़ित स्वर्ण आभूषणों से सुशोभित है। आपकी जंघायें हाथी की सूंड़ के समान अत्यन्त सुन्दर हैं, हे ब्रजनन्दनी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी।

अनेकमन्त्रनादमंजु नूपुरारवस्खलत्,

समाजराजहंसवंश निक्वणातिग।

विलोलहेमवल्लरी विडमि्बचारूचं कमे,

कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (10)

भावार्थ : आपके चरणों में स्वर्ण मण्डित नूपुर की सुमधुर ध्वनि अनेकों वेद मंत्रो के समान गुंजायमान करने वाले हैं, जैसे मनोहर राजहसों की ध्वनि गूँजायमान हो रही है। आपके अंगों की छवि चलते हुए ऐसी प्रतीत हो रही है जैसे स्वर्णलता लहरा रही है, हे जगदीश्वरी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ?

अनन्तकोटिविष्णुलोक नमपदमजाचिते,

हिमादिजा पुलोमजा-विरंचिजावरप्रदे।

अपारसिदिवृदिदिग्ध -सत्पदांगुलीनखे,

कदा करिष्यसीह मां कृपा -कटाक्ष भाजनम्॥ (11)

भावार्थ : अनंत कोटि बैकुंठो की स्वामिनी श्रीलक्ष्मी जी आपकी पूजा करती हैं, श्रीपार्वती जी, इन्द्राणी जी और सरस्वती जी ने भी आपकी चरण वन्दना कर वरदान पाया है। आपके चरण-कमलों की एक उंगली के नख का ध्यान करने मात्र से अपार सिद्धि की प्राप्ति होती है, हे करूणामयी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ?

मखेश्वरी क्रियेश्वरी स्वधेश्वरी सुरेश्वरी,

त्रिवेदभारतीयश्वरी प्रमाणशासनेश्वरी।

रमेश्वरी क्षमेश्वरी प्रमोदकाननेश्वरी,

ब्रजेश्वरी ब्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते॥ (12)

भावार्थ : आप सभी प्रकार के यज्ञों की स्वामिनी हैं, आप संपूर्ण क्रियाओं की स्वामिनी हैं, आप स्वधा देवी की स्वामिनी हैं, आप सब देवताओं की स्वामिनी हैं, आप तीनों वेदों की स्वामिनी है, आप संपूर्ण जगत पर शासन करने वाली हैं। आप रमा देवी की स्वामिनी हैं, आप क्षमा देवी की स्वामिनी हैं, आप आमोद-प्रमोद की स्वामिनी हैं, हे ब्रजेश्वरी! हे ब्रज की अधीष्ठात्री देवी श्रीराधिके! आपको मेरा बारंबार नमन है।

इतीदमतभुतस्तवं निशम्य भानुननि्दनी,

करोतु संततं जनं कृपाकटाक्ष भाजनम्।

भवेत्तादैव संचित-त्रिरूपकमनाशनं,

लभेत्तादब्रजेन्द्रसूनु मण्डलप्रवेशनम्॥ (13)

भावार्थ : हे वृषभानु नंदिनी! मेरी इस निर्मल स्तुति को सुनकर सदैव के लिए मुझ दास को अपनी दया दृष्टि से कृतार्थ करने की कृपा करो। केवल आपकी दया से ही मेरे प्रारब्ध कर्मों, संचित कर्मों और क्रियामाण कर्मों का नाश हो सकेगा, आपकी कृपा से ही भगवान श्रीकृष्ण के नित्य दिव्यधाम की लीलाओं में सदा के लिए प्रवेश हो जाएगा।।

Aniruddhsinh zala

Aniruddhsinh zala

सत्यवचन

13 सितम्बर 2021

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रचनाएँ
स्तुति संग्रह
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इस पुस्तक में वेद पुराण संहिता आदि से लेकर भगवान नारायण माता लक्ष्मी राधा कृष्ण सीताराम सहित अन्य देवी देवताओं की स्तुतियों का संग्रह किया है जिससे हमारे सभी सनातन प्रेमियों तक यह ज्ञान पहुंच सके जय श्रीमन्नारायण
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लघु श्रीराम रक्षा स्तोत्र

28 अगस्त 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425242f7ed561c89

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राधा कृपा कटाक्ष

13 सितम्बर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425242f7ed561c89

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श्रीगोपाल स्तुति

15 सितम्बर 2021
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<p>।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।।</p> <p><br></p> <p> नमो विश्वस्वरूपाय विश्वस्थित्यन्तहेतवे।</p>

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श्री वामन स्तोत्र

17 सितम्बर 2021
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<p>*‼️ वामन स्तोत्र ‼️*</p> <p><br></p> <p>अव्यादो वामनो यस्य कौतुभ प्रतिबिंबता ।</p> <p>कौतुकालोकिन

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माता दुर्गा के बत्तीस नाम

27 सितम्बर 2021
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<p>|| *देवी महात्म्यं द्वात्रिशन्नामावलि* ||❤🙏</p> <p><br></p> <p>दुर्गा दुर्गार्ति शमनी दुर्गापद्व

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माँ कामाख्या स्तोत्र

28 सितम्बर 2021
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<p>माँ कामाख्या स्तोत्र</p> <p>〰️〰️🌼🌼〰️〰️</p> <p>आज हर व्यक्ति उन्नति, यश, वैभव, कीर्ति, धन-संपदा

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श्रीदुर्गा अष्टोत्तरशत नामावली

5 अक्टूबर 2021
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<p>श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्</p> <p><br></p> <p>ईश्वर उवाच</p> <p> </p> <p>शतनाम प्रवक्ष

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श्रीदुर्गा स्तुति

9 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <p><br></p> <p> &

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श्रीदुर्गाआपदुद्धास्तोत्र

10 अक्टूबर 2021
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<p>*‼️दुर्गापदुद्धारस्तोत्र ‼️*</p> <p><br></p> <p> *नमष्चण्डिकाये*</p> <p><br></p> <p>नम

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महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र

14 अक्टूबर 2021
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<p>|| महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम ||❤🙏</p> <p><br></p> <p>अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि

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श्री तुलसी कवच , चालीसा स्तोत्र पूजन विधि

20 अक्टूबर 2021
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<p>🌹🌹1..श्री तुलसी देवी कवचं</p> <p>🌹🌹2..श्री तुलसी स्तोत्र</p> <p>🌹🌹3..श्री तुलसी नाम स्तोत्र

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श्रीकाली ताण्डव

21 अक्टूबर 2021
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<p>श्रीकालीताण्डवस्तोत्रम् </p> <p><br></p> <p>हुंहुंकारे शवारूढे नीलनीरजलोचने ।</p> <p>त्रैलोक

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श्रीदामोदर स्तुति

21 अक्टूबर 2021
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<p>🌹*श्रीदामोदराष्टकम्*🌹</p> <p> 🌹 जय गोपाल🌹</p> <p><br></p> <p>*नमामीश्वरं सच्

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श्रीमहालक्ष्मी स्तोत्र

24 अक्टूबर 2021
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<p>श्री महालक्ष्मी अष्टक स्तोत्र </p> <p><br></p> <p>नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते। शङ्

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श्रीसूक्त

1 नवम्बर 2021
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<p>❀ श्रीसूक्त ❀</p> <p>(❑➧मूलपाठ ❑➠अर्थ)</p> <p>❑➧ *ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्*।</p> <p

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काली कवच

12 नवम्बर 2021
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<p>*अथ श्रीकाली कवच*</p> <p><br></p> <p>*विनियोग- ॐ अस्य श्री कालिका कवचस्य भैरव ऋषि: गायत्रीछन्दः श

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भवान्याष्टक

28 नवम्बर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425242f7ed561c89

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गिरीश स्तोत्र

7 दिसम्बर 2021
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<p>|| श्री गिरीश स्तोत्रम् ||🙏</p> <p><br></p> <p>श्रीगणेशाय नमः ।</p> <p><br></p> <p>शिरोगाङ्गवासं

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श्री सरस्वती सूक्त

18 दिसम्बर 2021
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<p>*|| सरस्वती सूक्त ||*</p> <p><br></p> <p>🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🦢🦢🦢🦢🦢🦢🦢🦢</p> <p>इयमददाद् रभसमृणच

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श्री महालक्ष्मी स्तोत्र

18 दिसम्बर 2021
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<p>*|| महालक्ष्मीस्तुतिः ||❤🙏*</p> <p><br></p> <p>आदिलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरूपिणि ।</p> <p

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श्रीवैद्यनाथ स्तोत्र

20 दिसम्बर 2021
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<p>🐍🐍🐍🐍🐍🐍🐍🐍</p> <p><br></p> <p>*|| श्री वैद्यनाथ अष्टकम् ||🙏*</p> <p><br></p> <p>श्री राम स

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श्रीसुदर्शन कवच

20 दिसम्बर 2021
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<p><br></p> <p>|| सुदर्शन कवचम् ||</p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/ar

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जय भवानी

20 दिसम्बर 2021
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<p>*|| भवानीस्तुति ||🙏*</p> <p><br></p> <p>आनन्दमन्थरपुरन्दरमुक्तमाल्यं मौलौ हठेन निहितं महिषासुरस्

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भवानी स्तोत्र

20 दिसम्बर 2021
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<p>*|| भवानीस्तुति ||🙏*</p> <p><br></p> <p>आनन्दमन्थरपुरन्दरमुक्तमाल्यं मौलौ हठेन निहितं महिषासुरस्

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श्रीनृसिंह कवच

23 दिसम्बर 2021
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<p>*!!श्रीमते रामानुजाय नमः!!*</p> <p> || श्री नृसिंह कवच ||</p> <p><br></p> <p>नृसिंह कवचम वक्

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श्रीभद्रकाली स्तुति

29 दिसम्बर 2021
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<p>|| भद्रकालीस्तुतिः ||❤🙏</p> <p><br></p> <p> </p> <p><br></p> <p>ब्रह्मविष्णु ऊचतुः -</p> <p

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आद्या स्तोत्र

3 जनवरी 2022
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॥ आद्यास्तोत्रम् ॥       ॐ नम आद्यायै ।श‍ृणु वत्स प्रवक्ष्यामि आद्या स्तोत्रं महाफलम् ।यः पठेत् सततं भक्त्या स एव विष्णुवल्लभः ॥ १॥मृत्युर्व्याधिभयं तस्य नास्ति किञ्चित् कलौ युगे..

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आद्या स्तोत्र

7 जनवरी 2022
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॥ आद्यास्तोत्रम् ॥ ॐ नम आद्यायै । श‍ृणु वत्स प्रवक्ष्यामि आद्या स्तोत्रं महाफलम् । यः पठेत् सततं भक्त्या स एव विष्णुवल्लभः ॥ १॥ मृत्युर्व्याधिभयं तस्य नास्ति किञ्चित् कलौ युगे । अपुत्रा लभते पुत्रं त्

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श्री हरिद्रा गणपति स्तोत्र

9 जनवरी 2022
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|| हरिद्रा गणेश कवचम् ||🙏 ॥ अथ हरिद्रा गणेश कवच ॥ ईश्वरउवाच: शृणु वक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिकरं प्रिये । पठित्वा पाठयित्वा च मुच्यते सर्व संकटात् ॥१॥ अज्ञात्वा कवचं देवि गणेशस्य मनुं जपेत् । सिद्धिर

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श्रीसरस्वती स्तोत्र

31 जनवरी 2022
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|| श्रीसरस्वतीस्तोत्रं बृहस्पतिविरचितम् ||❤🙏 श्रीगणेशाय नमः । बृहस्पतिरुवाच सरस्वति नमस्यामि चेतनां हृदि संस्थिताम् । कण्ठस्थां पद्मयोनिं त्वां ह्रीङ्कारां सुप्रियां सदा ॥ १॥ मतिदां वरदां चैव सर्व

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महाकाली स्तोत्र

10 फरवरी 2022
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*।। श्रीकालिकाष्टकम् ।।* ध्यानम् । गलद्रक्तमुण्डावलीकण्ठमाला         महोघोररावा सुदंष्ट्रा कराला । विवस्त्रा श्मशानालया मुक्तकेशी     महाकालकामाकुला कालिकेयम् ॥ १॥ भुजेवामयुग्मे शिरोऽसिं दधाना      

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महाकाली स्तोत्र

10 फरवरी 2022
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*।। श्रीकालिकाष्टकम् ।।* ध्यानम् । गलद्रक्तमुण्डावलीकण्ठमाला         महोघोररावा सुदंष्ट्रा कराला । विवस्त्रा श्मशानालया मुक्तकेशी     महाकालकामाकुला कालिकेयम् ॥ १॥ भुजेवामयुग्मे शिरोऽसिं दधाना      

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महाकाली स्तोत्र

10 फरवरी 2022
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*।। श्रीकालिकाष्टकम् ।।* ध्यानम् । गलद्रक्तमुण्डावलीकण्ठमाला         महोघोररावा सुदंष्ट्रा कराला । विवस्त्रा श्मशानालया मुक्तकेशी     महाकालकामाकुला कालिकेयम् ॥ १॥ भुजेवामयुग्मे शिरोऽसिं दधाना      

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श्रीवराह स्तोत्र

14 फरवरी 2022
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|| वराह स्तोत्र|| ऋषयः ऊचुः जितं जितं तेऽजित यज्ञभावन त्रयीं तनुं स्वां परिधुन्वते नमः । यद्रोमरन्ध्रेषु निलिल्युरध्वरा- स्तस्मै नमः कारणसूकराय ते ॥१॥ रूपं तवैतन्ननु दुष्कृतात्मनां दुर्दर्शनं देव

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श्रीवराह स्तोत्र

14 फरवरी 2022
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|| वराह स्तोत्र|| ऋषयः ऊचुः जितं जितं तेऽजित यज्ञभावन त्रयीं तनुं स्वां परिधुन्वते नमः । यद्रोमरन्ध्रेषु निलिल्युरध्वरा- स्तस्मै नमः कारणसूकराय ते ॥१॥ रूपं तवैतन्ननु दुष्कृतात्मनां दुर्दर्शनं देव

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श्री ललिता पंचरत्न

7 अप्रैल 2022
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*|| श्री ललिता पञ्चरत्नं स्तोत्र ||*🙏 प्रातः स्मरामि ललितावदनारविन्दं बिम्बाधरं पृथुलमौक्तिकशोभिनासम् ।   आकर्णदीर्घनयनं मणिकुण्डलाढ्यं मन्दस्मितं मृगमदोज्ज्वलफालदेशम् ॥१॥     प्रातर्भजामि ललिताभुजक

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श्री चण्डी ध्वज स्तोत्र

8 अप्रैल 2022
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श्रीचण्डी ध्वज स्तोत्रम्   〰🌼〰🌼〰🌼〰 महत्व 👉 देवी के अनेक रुपों में एक रुप चण्डी का भी है. देवी काली के समान ही देवी चण्डी भी प्राय: उग्र रूप में पूजी जाती हैं, अपने भयावह रुप में मां दुर्गा चण्डी अ

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अपराजिता स्तोत्र

8 अप्रैल 2022
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देवी अपराजिता स्तोत्र विशेष 〰️〰️🌼〰️🌼〰️🌼〰️〰️ अपराजिता का अर्थ है जो कभी पराजित नहीं होता।देवी अपराजिता के सम्बन्ध में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य भी जानने योग्य हैं जैसे कि उनकी मूल प्रकृति क्या है ? देवी

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आनन्द स्तोत्र

18 जून 2022
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*।। आनन्दस्तोत्रम् ।।* 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️   श्रीकृष्णः परमानन्दो गोविन्दो नन्दनन्दनः । तमालश्यामलरुचिः शिखण्डकृतशेखरः ॥ १॥ पीतकौशेयवसनो मधुरस्मितशोभितः । कन्दर्पकोटिलावण

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कामाख्या कवच

24 जून 2022
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|| मां कामाख्या देवी कवच || महादेव उवाच शृणुष्व परमं गुहयं महाभयनिवर्तकम्।कामाख्याया: सुरश्रेष्ठ कवचं सर्व मंगलम्।। यस्य स्मरणमात्रेण योगिनी डाकिनीगणा:। राक्षस्यो विघ्नकारिण्यो याश्चान्या विघ्नकारिक

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गणपति शरणागति स्तोत्र

3 जुलाई 2022
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*|| एकदन्तशरणागतिस्तोत्रम् ||*   श्रीगणेशाय नमः । देवर्षय ऊचुः । सदात्मरूपं सकलादिभूतममायिनं सोऽहमचिन्त्यबोधम् । अनादिमध्यान्तविहीनमेकं तमेकदन्तं शरणं व्रजामः ॥ १॥ अनन्तचिद्रूपमयं गणेशमभेदभेदादिविही

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गणपति शरणागति स्तोत्र

3 जुलाई 2022
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*|| एकदन्तशरणागतिस्तोत्रम् ||*   श्रीगणेशाय नमः । देवर्षय ऊचुः । सदात्मरूपं सकलादिभूतममायिनं सोऽहमचिन्त्यबोधम् । अनादिमध्यान्तविहीनमेकं तमेकदन्तं शरणं व्रजामः ॥ १॥ अनन्तचिद्रूपमयं गणेशमभेदभेदादिविही

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श्रीशालिग्राम स्तोत्र

10 नवम्बर 2022
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*श्रीयतिराजाय नमः*  🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 *|| शालग्राम स्तोत्रम् ||* श्रीरामं सह लक्ष्मणं सकरुणं सीतान्वितं सात्त्विकं वैदेहीमुखपद्मलुब्धमधुपं पौलस्त्वसंहारिणम् ।  वन्दे वन्द्यपदांबुजं सुरवरं भक्तानुक

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गणेश स्तुति

12 नवम्बर 2022
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Today is Sankashti Chaturthi🙏🌺 *जय श्रीमन्नारायण* *|| गणेश मंगलाष्टकम् ||* गजाननाय गांगेयसहजाय सदात्मने । गौरीप्रिय तनूजाय गणेशायास्तु मंगलम् ॥ 1 ॥ नागयज्ञोपवीदाय नतविघ्नविनाशिने । नंद्यादि गणन

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