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कुछ नहीं बचा यहाँ,ज़िंदगी की लहर के लिए। दौलत लुटाते हैं लोग,थोड़े से ज़हर के लिए। ये ख़ूबसूरत दुनिया उजाड़ दी हमने, जंगल के जंगल कट गए,छोटे से शहर के लिए। हम करते रहे मरम्मत,खाली मकानों की, ग़