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Rahul kumar manjhi के बारे में

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Rahul kumar manjhi की पुस्तकें

Rahul kumar manjhi के लेख

अब मैं समझा (हिरण)

20 सितम्बर 2022
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वाह। मेरे सिंग कितने सुंदर हैं।  इनसे मैं कितना अच्छा दिखता हूं।                     लेकिन मेरी टांगें कितनी भद्दी और पतली है ।                   इन्हें देखकर तो खुद पर शर्म आती हैं ।  अरे । यह तो

मन करता है

20 सितम्बर 2022
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मन करता है  पंछी बन उड़ जाएं हम  सूरज चंदा से बतियाते दूर दूर हो आएं हम,  मन करता है ।          दूर देश रहती है पारियां          लाल, रूपहली सुंदर पारियां          जादू की छड़ लिए हाथ में     

मेरा घर

20 सितम्बर 2022
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सबसे पहले मेरे घर का  अंडे जैसा था आकर  तब मैं यही समझती थी बस  इतना सा ही है संसार ।                              फिर मेरा घर बना घोंसला                               सूखे तिनकों से तैयार      

matri bhumi

20 सितम्बर 2022
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