मंथन
हम सब पृथ्वी के साथ गोल गोल घूम रहे हैं, इसलिए सब कुछ बेमायने है। अगर सब कुछ बेमायने है तो हम किस दौड़ में लगे रहते हैं? भीड़ में अकेले, हम किसे ढूँढते हैं? वो नज़रें मुझ तक क्यूँ नहीं रुकती, बस मुझ तक।बिगुल बजाती रेलगाड़ी कहाँ जा रही है?अंतिम यात्री की बारात क्यूँ आँख भिगोय जा रही?धर्म कर्म की लड़ा