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रक्षा बंधन के पर्व की वैदिक विधि

25 अगस्त 2015

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रक्षा बंधन के पर्व की वैदिक विधि -वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि : इसके लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है - (१) दूर्वा (घास) (२) अक्षत (चावल) (३) केसर (४) चन्दन (५) सरसों के दाने । इन ५ वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी । इन पांच वस्तुओं का महत्त्व - (१) दूर्वा - जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेज़ी से फैलता है और हज़ारों की संख्या में उग जाता है, उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमे सदगुणों का विकास तेज़ी से हो । सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बदता जाए । दूर्वा गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए । (२) अक्षत - हमारी गुरुदेव केप्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे । (३) केसर - केसर की प्रकृति तेज़ होती है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैं, वह तेजस्वी हो । उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो । (४) चन्दन - चन्दन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध देता है । उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो । साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे । (५) सरसों के दाने - सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें । इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम भगवान -चित्र पर अर्पित करें । फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे । इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार बांधते हैं हम पुत्र-पौत्र एवं बंधुजनों सहित वर्ष भर सूखी रहते हैं । राखी बाँधते समय बहन यह मंत्र बोले – येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल: | तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल || शिष्य गुरुको रक्षासूत्र बाँधते समय – ‘अभिबन्धामि ‘ के स्थान पर ‘रक्षबन्धामि’ कहे | और चाकलेट ना खिलाकर भारतीय मिठाई या गुड से मुहं मीठा कराएँ। अपना देश अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति अपनी भाषा अपना गौरव वन्दे मातरम्
ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

अति सुन्दर प्रस्तुति ! आभार !

25 अगस्त 2015

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Sixth Sense

7 अगस्त 2015
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परमात्मा को किसी परिभाषा किसी जाति या किसी समय सीमा मे नही बाधा जा सकता है। बह कही खोया नही जो ढूढा जाय। उसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता ओर अनुभव मे अनेको महानतम पुरुषो के आया है। परमात्मा को शब्द परिभाषा सिद्धांत शास्त्र मे मत खोजो यह तो मार्ग है मंजिल नही। उसे पुकारो ,प्रार्थना करो बह अन्तर

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कर्म का फल कैसे और किसे मिलता है ?

21 अगस्त 2015
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एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में भोजन करा रहा था। तब पंक्ति के अंत मैं बैठे एक ब्राम्हण को भोजन परोसते समय एक चील अपने पंजे में एक मुर्दा साँप लेकर राजा के उपर से गुजरी। और उस मुर्दा साँप के मुख से कुछ बुंदे जहर की खाने में गिर गई। किसी को कुछ पत्ता नहीं चला। फल स्वरूप वह ब्राह्मणजहरीला खान

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रक्षा बंधन के पर्व की वैदिक विधि

25 अगस्त 2015
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रक्षा बंधन के पर्व की वैदिक विधि-वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि :इसके लिए ५ वस्तुओं की आवश्यकता होती है -(१) दूर्वा (घास)(२) अक्षत (चावल)(३) केसर(४) चन्दन(५) सरसों के दाने ।इन ५ वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो

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