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रमन का गरीब परिवार

4 सितम्बर 2023

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रमन एक गरीब व्यक्ति था उसकी पत्नी और दो बच्चों के साथ एक बूढी मां भी रहती थी उसका घर एक झोपड़ी का था रामपुर गांव का रहने वाला था उसे गांव में सभी लोगों के पास बहुत ज्यादा  जायदाद था लेकिन केवल रमन अकेला ही ऐसा था जो बिल्कुल गरीब था पूर्वजों का कोई धन और संपत्ति उसे विरासत में नहीं मिली थी इस वजह से वह गरीब का गरीब रह गया गांव में लोग उसे बहुत नफरत करते थे घीरना की दृष्टि से देखते थे रमन का गरीब होने में उसकी कोई गलती नहीं थी बेचारा वह बहुत ही सीधा-साधा भोला भाला व्यक्ति था गांव में लोग उसे किसी तरह का मदद नहीं करते थे बेचारा बहुत ही मजबूरी और लाचारी में जीवन व्यतीत कर रहा था वह दूसरे गांव में जाकर काम करके अपने परिवार का पेट भरता था उसके गांव में कोई भी उसे काम पर नहीं रखता था वह इस बात से दुखी तो था लेकिन सभी लोग अमीर थे इस वजह से किसी से अपनी बात कहने से या मदद मांगने से घबराता था और कोई उसकी तरफ देखाता भी नहीं था ऐसे ही जीवन बिताता रहा बच्चों को अच्छा कपड़ा और अच्छा खाना पीना नहीं मिल पता था रूखी सूखी खाकर जीवन व्यतीत कर रहा था लेकिन बच्चे बड़े हो रहे थे उसकी पत्नी भी कितना दुख सहती थी लेकिन कभी शिकायत नहीं करती थी पति का हर बात मानती थी एक समय की बात है रमन की मां बहुत बीमार हो गई वह भी रात का समय था और मूसलाधार बारिश हो रहा था रमन की पत्नी ने कुछ पैसे बचा कर रखे थे और रमन को देते हुए कहां पास के गांव में एक डॉक्टर बाबू रहते हैं वहां से कुछ दवा लेकर आओ ताकि मां को ठीक किया जा सके अब गरीब आदमी इतनी रात को तो मा को ले नहीं जा सकता था तो उसने पैसे लीए और आंधी तूफान में बिघते हुए डॉक्टर के पास पहुंचे और अपनी बात बताई डॉक्टर ने कुछ दवाई लिख कर दी और इसे दवाई की दुकान से खरीदने की सलाह दी लेकिन इतनी रात को दवाई की दुकान कहीं भी खुली नहीं थी इसलिए वह सुबह होने का इंतजार करने लगे सुबह हुई एक दवाई की दुकान में जाकर उन्होंने दवाई खरीद ली और अपने घर के लिए चल दिया लेकिन जैसे ही घर पहुंचा उसकी झोपड़ी से रोने की आवाज आ रही थी क्योंकि उसके मा का स्वर्गवास हो चुका था उसने घर में प्रवेश किया तो देख मा तो अब दुनिया छोड़कर चली गई है उसे बहुत दुख हुआ उन्होंने अपनी मां का अंतिम संस्कार करने की तैयारी करने लगे लेकिन गांव में कोई भी लोग उसके पास नहीं आया और उसकी कोई मदद नहीं की तब सभी परिवार ने मिलकर किसी तरह मिलाकर अपने मां का अंतिम संस्कार किया कुछ दिन बीत जाने के बाद उसके मन में तरह-तरह के सवाल उठने लगे कि अगर मैं इस गांव में रहा तो मेरा भी यही हाल होगा जब मैं मर जाऊंगा तो मेरे लाश को उठाने के लिए कोई नहीं आएगा मेरे मासूम बच्चे और पत्नी के अलावा कोई नहीं है यह सब सोच कर उसे बहुत अफसोस होने लगा यहां के लोग इतने घमंडी और स्वार्थी है कि गरीबों का मदद ही नहीं करते नफरत की दृष्टि से देखते हैं अतः उसने यह गांव छोड़ने का फैसला लिया और थोड़े बहुत घर में जो कीमती सामान थे उसे पड़ोस के एक कारोबारी के हाथों में बेचकर कुछ पैसे आ गए तो उसे लेकर सभी परिवारों को लेकर शहर की ओर चल पड़े वह गांव से काफी दूर चला गया एक शहर में जाकर बसने का फैसला लिया लेकिन उसके पास ना घर था और ना ही खाने के पैसे लेकिन उसे भगवान पर भरोसा था कि भगवान जरूर कुछ ना कुछ करेंगे उन्होंने अपने परिवार को शहर के एक मंदिर के चबूतरे पर बैठा दिया और काम ढूंढने निकल गए और ही दूर पर एक सेट को किसी की मदद की जरूरत थी इस वक्त रमन वहां से गुजर तो उसे सेठ ने उसे बुलाया और अपनी मदद करने को कहा इस पर रमन उसकी मदद कर दिया वह सेठ बहुत खुश हुआ और उसे बहुत पैसे दिए और कहां तुम बहुत ईमानदार जान पढ़ते हो तुम कहां के रहने वाले हो पहले मैंने तुम्हें यहां नहीं देखा है तो रमन ने दुखी लहजे में कहा बाबूजी मैं बहुत अभागा हूं मेरा परिवार मंदिर के चबूतरे के पास है मैं गांव से अपना घर बार छोड़ कर इस शहर में काम ढूंढने आया हूं मेरे पास रहने के लिए घर भी नहीं है और तो मैं क्या करूंगा मुझे तो बहुत डर लग रहा है मेरे मासूम बच्चे हैं और मेरी प्यारी पत्नी उन लोगों का क्या होगा मेरे पास एक घर भी नहीं है उसे सेठ को इस बात पर रमन पर बहुत दया आई और रमन को अपने यहां कम पर रखने की बात कही और रमन से कहा जो अपने परिवार को लेकर आओ मेरे पास एक छोटी कोठली है वहां रहना और मेरा काम करना मैं तुम्हें अच्छी पगार दूंगा जिस तुम्हारे परिवार का पालन पोषण होगा रमन इस सहायता को पाकर बहुत खुश हुआ और सेठ के पांव पर गिर पड़ा और रोने लगा बाबूजी आप नहीं होते तो मेरा क्या होता है सेट भी दयालु था उसे उठाते हुए कहा अरे रोते क्यों हो पगले कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती और तुम तो अभी नौजवान हो मैं तुम्हें देखना कहां से कहां  पहुंचा दूंगा रमन अपने परिवार को ले आया और सेठ जी से मिलवाया और छोटी सी झोपड़ी में रहने के लिए दे दिया अबतो रमन के मुंह में खुशी की झलक थी एक नया सवेरा दिख रहा था अब वह सेठ का काम करने लगा सेठ के पास कोई भी लड़का नहीं था एक लड़की थी वह कॉलेज में पढ़ती थी सेठ की पत्नी और उसकी मां रहते थे बड़ा महल था अब रमन सेठ का काम बहुत ईमानदारी से करने लगा व्यापार में दिन-रात मेहनत करने लगा सेठ को भी एक ईमानदार आदमी की जरूरत था जो कि उसके व्यापार को बढ़ाएं कुछ दिनों में सेठ को बहुत मुनाफा हुआ इससे खुश होकर सेठ ने रमन के लिए एक अच्छा से घर बनवा दिया और बहुत सारे पैसे दिए जिससे रमन ने अपने बीवी बच्चों के लिए बहुत सारे कपड़े और हर जरूरत का सामान खरीदा अब रमन अमीर बन चुका था और उसके पास खाने-पीने के लिए पहनने के लिए कुछ भी कमी नहीं थी अब उसके पास गाड़ी भी आ चुकी थी अब उसका जीवन बिल्कुल बदल गया था जिस गांव में रमन का इतना शोषण हुआ था उस गांव में अकाल और महामारी फैलने लगी लोग बीमार से मरने लगे और सब धीरे-धीरे सब गरीब हो गए अब सारी संपत्ति का सर्वनाश हो चुका था अहंकार का सजा मिल रहा था रमन के साथ किस तरह का व्यवहार किया था उसी की सजा मिल रही थी ऊपर वाले की नजर में देर होती है अंधेर नहीं यही कहावत ठीक बैठी अब गांव के लोग बहुत मुश्किल में फंस चुके थे उसे बचाने का कोई भी रास्ता नहीं दिख रहा था यह बात  रमन तक किसी तरह पहुंची यह बात सुनकर रमन को बहुत दुख हुआ उसे पुराने दिन याद आने लगे थे कि मेरे साथ इस गांव के लोगों ने क्या-क्या जुल्म नहीं किया खुद इन लोगों के ऊपर ऊपर वाले की मार पड़ी है लेकिन वह तो दयावान आदमी था अतः उसने इस बात की जानकारी बड़े मंत्रालय अधिकारियों तक पहुंचा दी अब वह अमीर व्यक्ति था इसलिए उसकी पकड़ थी ऊंचे मंत्री पदों के लोगों में मंत्रालय ने जल्द से जल्द मदद और चिकित्सा सेवा लेकर रमन वह गांव पहुंचा और सभी का इलाज करवाया और खाने-पीने का व्यवस्था किया और सभी को आर्थिक सहायता देकर एक दो महीने में सबको ठीक कर दिया अब उस गांव के लोगों को शर्मिंदा हो रही थी रमन से आंख मिलाने में सभी ने रमन के पैर में गिरकर माफी मांगी कि हमने तुम्हारे साथ बहुत अत्याचार किया  फिर भी तुमने हमारी मुसीबत में तुमने आकर हमारी मदद की वाकई में तुम बहुत ही दयावान और ईमानदार व्यक्ति हो हम लोगों को तो किए की की सजा मिल गई हो सके तो हमें माफ कर देना रमन ने सबको गले लगा कर सबको माफ कर दिया         ..... समाप्त

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