प्रेम तो..........!
मन के गहरे से गहरे भावों का
शांत और निर्मल भाव है..........!
प्रेम तो
हवाओं में सरगम-सा
सर्द रातों में ओंस कि बूंद सा है
प्रेम तो........ !
स्वरों कि सरगम सा है
उर में समाहित प्रीत-राग सा
प्रेम तो..........!
खामोश लफ्जों का एहसास है
जो महसूस कर उर में समाहित हो जाता
प्रेम तो........!
इबा़दत स्वरूप है
जो परमात्मा में विलय कर
समा जाता है...........
रक्त बनकर बहता रहता,
निरंतर नश्वर देह में .......... !
प्रेम सरिता बनकर
कल कल कि ध्वनि सुनाई देती
हदय धड़कनों में............!
Neha Mishra