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रेत का महल

28 फरवरी 2022

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आज से 22 साल पहले आभा बचपन में एक बार अपने मम्मी-पापा के साथ घूमने के लिए यहाँ आई थी ! और उनसे बिछड़ जाती है ! जब वो अपने मम्मी-पापा को ढूंढ़ रही थी ,तभी चारो तरफ बच्चो को खेलते हुए देखकर सब कुछ भूल जाती है। उसका भी मन खेलने को करने लगता है और वह चारों तरफ देखने लगती है, मगर सारे बच्चे अपनी जोड़ी के साथ खेलने में व्यस्त थे ! और किसी ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया ! अचानक उसकी नजर ,एक अकेले खेलते हुए लड़के पर पड़ती है ! वह दौंड़ कर उसके पास जाती है और उसे साथ में खेलने के लिए पूछती है ! वह छोटा लड़का बस एक बार घुर कर देखता है और फिर बिना जबाब दिए ही अपने खेल में व्यस्त हो जाता है !

 वह बार बार रेत का महल बनाने की कोशिश करता और वह बार बार ढह जाता ! आभा कब से खड़ी -खड़ी यह सब देखते हुए बोली तुम्हारा नाम क्या है ? आकाश , लड़का बेपरवाही से जबाब देता है ! बार बार ढहते हुए महल को देख कर अंत में बर्दाश्त नहीं होता है ,तब बिना जबाब की परवाह किये तेजी से बैठते हुए , गिरते हुए महल को बचा लेती है ! यह देख कर आकाश गुस्सा होने के बदले ख़ुशी से उछल पड़ता है !

फिर थोड़ा सा नाराज होते हुए आभा से कहता है ,पहले तुम मुझे प्रॉमिस करो की तुम मुझे अधूरे खेल में छोड़ कर नहीं जाओगी ! आभा अपना एक हाथ आगे करते हुए बड़ी मासूमियत से कहती है ,मैं प्रॉमिस करती हूँ कि मैं तुम्हे अकेला छोड़ कर कभी नहीं जाऊँगी ! फिर दोनों झूमकर एक दूसरे के गले मिल जाते है ! जैसे ही दोनों खड़ा होता है ,रेत का महल फिर से गिर जाता है ! तब फिर आकाश थोड़ा सा रूठते हुए कहता है कि देखो तुम्हारे बिना मेरा महल बन ही नहीं सकता ! तब आभा कहती है चिंता मत करो मैं हूँ ना फिर से तुम्हारी महल बना दूंगी ! फिर दोनों ख़ुशी -ख़ुशी महल को बनाने लगते है, तभी आकाश थोड़ा सोचते हुए बोलता है अगर तुम चली गई तो फिर मेरे महल को कौन बनाएगा ? ओहो बाबा मैंने कहा ना कि मैं तुम्हे अकेला छोड़ कर कभी नहीं जाऊँगी तो फिर तुम इतना क्यों सोचते हो,तपाक से आभा ने जबाब दिया !

तभी अचानक से आभा के पिता जी उसे ढूंढते हुए आ वहाँ आ गए! और जैसे ही आभा की नजर अपने पिताजी पर पड़ी वो अचानक से खड़ी हो गई। आकाश ने भी उसी तेजी से उसे स्टे-चू  कह दिया और वो भागने की मुद्रा में बिल्कुल मूर्ति सी एक हाथ और एक पैर आगे किए उसी जगह उसी अवस्था में रुक गई। आकाश जोर  जोर से ठहाके लगा कर हँसने लगा। फिर जैसे ही उसकी नजर उस बिखरे हुए महल पर गया। वह  नाराज होकर थोड़े से गुस्से में बोला, तुम अभी नही जा सकती, क्योंकि तुमने मुझे प्रोमिस किया है कि तुम अधूरे खेल में छोड़कर नहीं  जाओगी। तब तक आभा के पिता उसके पास आ चुके थे और जैसे ही आभा का हाथ पकड़ कर ले जाने की कोशिश करते है, तभी आकाश बड़ी मासूमियत से निराशा  भरे  लहजे में कहता है प्लीज़ अंकल थोड़ी देर और खेलने दो ना ! और आभा भी पिता से कहने लगती है पापा मुझे अभी थोड़ी देर और खेलने दो ना। देखो अभी पूरा महल बना भी नहीं है। और मैंने आकाश को प्रॉमिस भी किया है। और यह कहते हुए वह अपने पिता जी से हाथ छुड़ा लेती है। और फिर दोनों फिर से रेत को इकट्ठा कर रेत का महल बनाने की कोशिश करने लगते है। फिर कुछ देर बाद आभा के पिता जी उसे डांटते हुए कहते है अब चलो अब खेल बंद करो। और फिर आभा के पिता ने आगे बढ़ कर जैसे ही उसका हाथ पकड़ कर उठाने की कोशिश की वैसे ही आकाश ने उसके पैर पकड़ कर कहा प्लीज थोड़ी देर और खेलने दो ना। और आपने मेरा महल भी गिरा दिया। प्लीज् थोड़ा देर और।

मगर उसके पिता जी गुस्से से आकाश की तरफ देखते है और आभा को जबरदस्ती गोद में उठाकर ले जाने लगते है! आभा भी डर से बिलकुल सहमी हुए थी ! आकाश एकदम निराश होकर ,डबडबाई आँखों से खड़ा होकर देखते रह जाता है !

कुछ दूर जाने के बाद आभा ,अचानक से अपने पिता जी की गोद से कूदकर आकाश की तरफ भागने लगती है ! लेकिन उसके पिता जी उसे पकड़ लेते है ! तब वह जोर-जोर से रोने लगती है और उसकी तरफ भागने के लिए पूरा दम लगा देती है ! यह देख कर आकाश पुरे तेजी से आवेग में दौढ़ते हुए आता है और आभा का एक हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचने लगता है ! तभी उसके पिता जी जोर से एक धक्का देते है और वह धड़ाम से रेत पर गिर जाता है ! आभा का हाथ छूटने के दौरान आकाश की कलाई पर बंधा रिबन का एक टुकड़ा टूट कर आभा के हाथ में चला जाता है ! फिर वह धीरे धीरे अपने कपडे झाड़ते हुए खड़ा होता है और, आँखों में आँसु भर-भर कर उसे जाता हुए देखते रह जाता है ! ये सोचते सोचते कब आभा कि आँखों से आंसू निकल पड़े पता ही नहीं चला !

फिर वह एक गहरी सांस लेते हुए अपने आंसू पोंछती है और चारो तरफ अपनी एक नजर दौड़ाती है ! तभी उसकी नजर एक छोटे से मासूम और गरीब गुब्बारे बेचने वाले बच्चे पर पड़ती है ! वह अपने हाथ में रंग-बिरंगे गुब्बारे लेकर दौढ़-दौढ़ कर सबके पास जाकर उसे गुब्बारे बेचने का कोशिश करता ! लेकिन कोई भी गुब्बरा नहीं खरीदता और उलटे ही उसे डांट कर भगा देता था ! फिर वह अकेले में जाकर बार बार भूख से अपनी पेट पकड़ कर बैठ जाता था ! तभी उस बच्चे की नजर एक आदमी पर पड़ती है जो अपने छोटे से बेटे के साथ जा रहा था ! वह बच्चा बार बार गुब्बारे के लिए रो रह था ! यह देखकर वह दौढ़ कर उसके पास जाता है ! उसे सामने देख कर वह आदमी बड़ी बेरुखी से गुब्बारे का दाम पूंछता है ! 5 रुपये साहब ,बच्चा बोलता है ! तब वह आदमी फटकारते हुए कहता है तीन रूपये में देना है तो दो वरना यहाँ से जाओ ! बच्चा निराश होकर जाने लगता है ! तब उसका बेटा जोर से रोने लगते है ! फिर वह बच्चे को बुलाकर एक गुब्बारा लेता है और तीन रूपये उसके हाथ में थमा देता है ! बच्चा पैसे गिनकर उससे गिड़गिड़ाते हुए और पैसे मांगने लगता है ,लेकिन वह आदमी उसे बेपरवाही से डांट कर भगा देता है ! फिर वह उस पैसे को लेकर दौढ़ते हुए एक चाट वाले के पास जाता है ,और पैसे देते हुए उससे चाट मांगता है ! लेकिन दो रूपये कम होने के कारण वह उसे भगा देता है ! वह बच्चा फिर से एकांत में जाकर अपना पेट पकड़ कर जोर-जोर से रोने लगता है !

तभी एक युवक शायद जान बुझकर उसके सामने से गुजरता है ! जैसे ही वह गुब्बारे बेचने वाला बच्चा उसे देखता है ,वह दौढ़ कर उसके पास जाता है और गुब्बारे लेने को कहता है ! लेकिन वह युवक यह कहते हुए लेने से मना कर देता है कि उसे इसकी जरुरत नहीं है ! और वह आगे बढ़ जाता है ! 

क्या  इस संवेदनहीन होते समाज और पैसों के लिए इंसान के रूप में रोबोट जन्म लेने वाले समाज में आभा को भावनात्मक रूप से खूबसूरत इंसान की तलाश पूरी हो पाएगी?

और उस रेत का महल का आभा के जीवन से क्या संबंध है जानने के पढ़िए इसका अगला भाग।

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रचनाएँ
रेत का महल
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रेत का महल एक अनोखी प्रेम कहानी है। जो प्रकृति के इर्द गिर्द रची गई है। इसमें प्रेम और प्राकृतिक सन्दर्य का अनोखा संगम है। सच्चे प्रेम और संयोग की एक अनूठी कहानी है। इस कहानी का अगर कोई सरल और पूरा शीर्षक हो सकता है वो होगा, प्रीत की डोर से बंधा रेत का महल। क्योंकि इस कहानी में दो मुख्य बिंदू है जो साथ साथ चलते हैं।
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रेत का महल

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ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग.... मोबाइल की रिंग सुनते ही अचानक से हड़बड़ा कर आभा की आँखें खुलती है। मोबाइल की स्क्रीन पर देखा तो माँ का कॉल आ रहा था। सामने घड़ी पर 7 बजे चुके थे। आभा ने अलसाये हुए आवाज में कहा ग

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आज से 22 साल पहले आभा बचपन में एक बार अपने मम्मी-पापा के साथ घूमने के लिए यहाँ आई थी ! और उनसे बिछड़ जाती है ! जब वो अपने मम्मी-पापा को ढूंढ़ रही थी ,तभी चारो तरफ बच्चो को खेलते हुए देखकर सब कुछ भूल जात

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और वह आगे बढ़ जाता है ! लेकिन उसे देखकर ऐसा लग रह था कि उसके मन में कुछ और ही चल रहा है ! कुछ दूर आगे जाता है फिर वह पलट कर उस बच्चे की तरफ देखता है ! किसी को अपनी तरफ ना देखकर तेजी से गुब्बारे वाले बच

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रेत का महल

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आभा किनारे किनारे पश्चिम की तरफ चलती जा रही थी! तभी पीछे से फिर जानी पहचानी आवाज आई ! सॉरी माफ़ कीजियेगा ! मैं आपको परेशान नहीं करना चाहता हूँ ,मगर मुझे आपसे कुछ जरुरी बात करनी है ! मेरा नाम आकाश है !

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