shabd-logo

रेत का महल

28 फरवरी 2022

27 बार देखा गया 27

आभा किनारे किनारे पश्चिम की तरफ चलती जा रही थी!

तभी पीछे से फिर जानी पहचानी आवाज आई ! सॉरी माफ़ कीजियेगा ! मैं आपको परेशान नहीं करना चाहता हूँ ,मगर मुझे आपसे कुछ जरुरी बात करनी है ! मेरा नाम आकाश है ! मैं एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता हूँ ! मैं इस बार आपसे बस एक जरूरी सवाल के जबाब के लिए आया हूं, जो बुरी तरह से  मेरे मन में खटक रहा है। बस मेरे एक सवाल का जबाब दे दीजिए उसके बाद मैं कभी भी नही आऊंगा। मैने बहुत कोशिश की मगर मैं खुद को रोक नहीं पाया। बस एक सवाल का जबाब दे दो।

तब आभा ने कहा ठीक है पूछिए ! क्या आप अपना नाम बता सकती है ? आभा ने अपना नाम बताया ! नाम सुनते ही जैसे उसके चेहरे पर एक गजब की चमक आ गई ! पर उसने यह जाहिर नहीं होने दिया ! क्या आप हमें उस रिबन के बारे में कुछ बता सकती है ? आभा ने कहा , ये रिबन का टुकड़ा मेरे लिए एक अनमोल तोहफा है ! ये मुझे बचपन में किसी से ,यही इसी समुन्द्र के किनारे मिला था ! उसका नाम क्या था ,आकाश ने पूछा ? आभा बोली उसका भी नाम आकाश ही था ! आकाश ने पूछा अगर आज वो आपको मिल जाये तो क्या आप आज भी उसे उतना ही प्यार करेंगी ? वो तो उनसे मिलकर ही बता सकती हूँ ,आभा ने जबाब दिया !

आकाश ने बात को आगे बढाते हुए कहा आपके पास तो रिबन का आधा हिस्सा ही है, अगर इसका दूसरा हिस्सा भी जुड़ जाए तो ये पूरा हो जाएगा। हाँ, वो तो है मगर अब ये संभव कहा है? आभा ने अफसोस भरे लहजे में कहा । आकाश ने कहा भगवान चाहे और दिल में सच्चाई हो तो कुछ भी संभव है। अगर रिश्तों को भगवान ने जोड़ा है तो प्रेम की डोर मिल ही जाती है। आभा ने कहा कैसे पता चलेगा कि किसी का रिश्ता ,किसके साथ जुड़ा हुआ है?  और क्या मुझे रिबन का दूसरा टुकड़ा मिल सकता है?

आकाश के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई और उसने कहा मुझे दूसरों के बारे में तो पता नहीं मगर मुझे अपने बारे में और आपके बारे में पता है कि  किसका रिश्ता किसके साथ जुड़ा है। और फिर आकाश ने मुस्कुराते हुए अपनी जेब से उसी रिबन का दूसरा टुकड़ा निकालकर आभा की हाथ में रखते हुए कहा क्युकि उसका दूसरा टुकड़ा मेरे पास है ,और मैं वही आकाश हूँ ,जिसे आपने प्रॉमिस करके छोड़ दिया था ! यह सुनकर आभा के आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रहती है ! वह हक्का-बक्का रह जाती है ! उसकी आँखों से प्रेम के मोती टपक पड़े थे ! फिर वो किसी तरह से अपने आपको सँभालते हुए बोली मुझे तो आपकी सादगी और जिंदादिली ने पहले ही जीत लिया था लेकिन मैं खुद को बांध कर रखी थी, क्योंकि कुछ लोग बाहर से अच्छा बनने का दिखावा बस करते हैं। और क्या आपने भी इस रिबन के टुकड़े को आज तक संभाल कर रखा था ? आकाश ने कहा, हाँ  संभाल कर भी और प्यार से भी ! जब आप रख सकती हो तो मैं क्यों नहीं ? उस समय आभा के मन की तरंगे सागर की लहरों से भी ज्यादा ऊँची ऊँची उठ रही थी ! मन में एक अजीब सी ख़ुशी और उलझन थी ! आखिर इतना बड़ा संयोग कैसे हो सकता है ? 

और इधर चन्द्रमा की उजली आभा पुरी धरती पर फैल चुकी थी ! चलते चलते मुड़कर एक बार समुन्द्र की तरफ देखा तो चन्द्रमा की उजली किरणों से उसका पानी हीरे की तरह चमक रहा था ! अब चारो ओर शांति छा गई थी ! कितना मनोरम ,कितनी निर्मलता और सौम्यता थी, इस वातावरण में ! बड़ा ही अद्भुत नजारा लग रहा था और मन में संवेदनाओ की गंगा उमड़ रही थी ! अब भी कुछ जोड़े हमारी तरह ,इस चन्द्रमा की रौशनी में टहल रहे थे ! आभा का दिल जोर जोर से धड़क रहा था । और बार बार आकाश के चेहरे को देखने के लिए मचल रहा था !

वो जी भरकर आकाश को देख लेना चाहती थी और उसे अपने आँखों में समा लेना चाहती थी, जिसके लिए उसने बचपन से इंतजार किया था। और जिसके सपने आँखों में सजाएं हुए थे। मगर एक संकोच और चन्द्रमा की रौशनी में उसका चेहरा सही से नजर नहीं आ रहा था ! आकाश भी उसके साथ-साथ चल रहा था ! मगर साथ होकर भी दोनो दूर थे ! जज़्बातो का बवंडर तो आकाश के भी मन में फुट रहा था ,मगर उसने कभी आभा के हाथो को भी टच करने की भी कोशिश नहीं की !

फिर आभा ने आकाश से कहा क्या आप मेरे लिए एक काम कर सकते हो ? और उसके जबाबो की प्रतीक्षा किये बिना ही मैं दौड़ कर भागी और सामने जाकर रेत को इकट्ठा करने लगी ! यह देख कर वह भी तेजी से दौड़ा आया और आभा के सामने बैठ गया ! आभा बार बार कोशिश कर रही मगर महल नहीं बन रहा था ! तब आकाश बिलकुल उसके पास आते हुए , उसके दोनों हाथो को अपने दोनों हाथो में लेकर ,एक मुट्ठी रेत उठाकर उस अधूरे महल पर रख देता है ! उसके बाद आभा के खुशियों की सीमा नहीं रही ! वो जैसे एक फूल सी खिल कर महक उठती है। एक रूमानी सी अहसासों और उसके छुअन से  आभा का मन पिघल सा रहा था ! फिर वह आभा के हाथो को छोड़ कर हँसता हुआ वही रेत पर सो जाता है ! और अपनी दोनों बाहे फैला कर जोर से चिल्लाता है I Love my Zindagi...और फिर शांत हो कर बड़ी सुकून से चन्द्रमा को निहारने लगता है !

आभा जैसे मंत्र मुग्ध होकर उसे देखती रही। फिर उसने  भी अपना सर आकाश के सीने पर रख कर वही रेत पर निढाल हो गई ! यह देख कर आकाश ख़ुशी से झूमते हुए बोल पड़ा धन्यवाद् भगवान,आज तूने हमे जिंदगी की सबसे बड़ी ख़ुशी दे दी ! तुमने मेरे लिए भी एक चाँद बनाया है जिसकी आभा हमेशा मेरे साथ रहती है ! तुम्हारी चाँद तो केवल रातो में अपनी आभा बिखेरती है ,मगर मेरी चाँद तो हमेशा अपनी आभा बिखरे कर हमारी दुनियाँ को रोशन करेगी ! और आभा भी ख़ुशी से झूमकर बोल पड़ी ,I LOVE YOU ZINDGI !

चन्द्रमा की रौशनी में नहाया सारा जहाँ अद्भुत दिख रहा था ! और ऐसा लग रहा था ,कि इस जहाँ में केवल वो दोनों ही भगवान के सबसे प्यारे और खास है ! उनदोनो के रमणीय दृश्य को देख कर शायद सागर भी लहरा लहरा कर उसके पास आने की कोशिश कर रहा था ! और चन्द्रमा अपनी पूरी चांदनी और प्यार हमदोनो पर बिखेर रहे था…………


उसके बाद आकाश अचानक से खड़ा होते हुए बोला अब मैं और ज्यादा रिश्क नहीं ले सकता ! अब सपनो की दुनिया से बाहर आने का समय हो गया है ! आभा ने पूछा क्या मतलब ? आकाश ने हल्की सी चुटकी लेते हुए कहा, जमाना ख़राब है मैं आपने चाँद को किसी की नजर नहीं लगने देना चाहता हूँ ! रात होने को है अब घर चलना चाहिए ! फिर दोनों प्रेमी जोड़े रेत से बाहर आने लगते है ! तभी थोड़ी दूर पर सामने कोई छोटा सा साया उसकी तरफ आता दिखाई देता है ! आभा थोड़ी सी डर कर से आकाश से चिपक जाती है ! लेकिन आकाश आगे बढ़ता जाता है ! जब वो पास जाता है तो उसी गुब्बारे वाले बच्चे को देख कर हैरान रह जाता है !

आकाश उसके सामने बैठता हुआ पूछता है आप यहाँ क्यों हो ? तब वो कहता है कि मेरा कोई घर नहीं है, मैं ऐसे ही जहाँ तहा रह जाता हूँ ! यह देख कर आभा की आँखे भर आती है, और भावावेश में बहती हुई एकाएक बोल पड़ती है, आज लोग यहाँ पर अपनी झूठी शान और धर्म को महान बताने में लगा है ! धर्म के नाम पर लड़ना कटना तो जानता है लेकिन उसका धर्म उससे धोखा कर जाता है और उसमे इंसानियत ,दया ,प्रेम और संवेदना डालना ही भूल जाता है ! झूठी शान दिखाने के लिए तो वो लाखो रुपये खर्च कर देता है मगर एक गरीब और लाचार लोगो की मदद नहीं कर सकता है ! आकाश बच्चे को गोद में उठाता हुआ उससे पूछता है क्या तुम मेरे साथ चलोगे ? बच्चे ने कहाँ , हाँ मुझे भी आपके साथ रहना अच्छा लगता है ! आकाश ने कहा मेरी कोई गर्ल फ्रेंड भी नहीं है इसिलए मेरे खर्चे भी कम है ,हमदोनो का अच्छे से काम चल जायेगा !

फिर उसने पूछा ये कौन है ? आकाश ने कहा ये मेरी चाँद और आपका चंदा मामा,जो फ्री में प्यार बांटती है ! और ये चाँद औरो की गर्लफ्रेंड की तरह पैसे खर्च नहीं करवाती है! तब बच्चे ने कहा,क्या मैं उनको छू कर सकता हूँ ? आकाश ने आश्चर्य से कहा यार अभी तो मैंने भी...फिर बात को टालते हुए कहा अच्छा ये आपको इतनी प्यारी लगती है ? यह सुनकर आभा अपनी हंसी को नहीं रोक पाती है !

बच्चे ने कहा हाँ ,बहुत प्यारी है ! तो फिर जाओ उनके पास,आकाश ने कहा ! बच्चे ने बड़ी मासूमीयत से कहा नहीं मुझे आप दोनों के पास रहना है ! आभा ये सब देख दंग रह जाती है ! और खुशियों से उमड़ती हुई बच्चे को गोद में ले लेती है ! फिर तीनो हॅसते हुए वहाँ से बाहर की ओर चल पड़ते है और पीछे, बस सन्नाटों की चीरती हुई समुन्द्र की लहरें रह जाती है !

 

4
रचनाएँ
रेत का महल
0.0
रेत का महल एक अनोखी प्रेम कहानी है। जो प्रकृति के इर्द गिर्द रची गई है। इसमें प्रेम और प्राकृतिक सन्दर्य का अनोखा संगम है। सच्चे प्रेम और संयोग की एक अनूठी कहानी है। इस कहानी का अगर कोई सरल और पूरा शीर्षक हो सकता है वो होगा, प्रीत की डोर से बंधा रेत का महल। क्योंकि इस कहानी में दो मुख्य बिंदू है जो साथ साथ चलते हैं।
1

रेत का महल

28 फरवरी 2022
1
0
0

ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग.... मोबाइल की रिंग सुनते ही अचानक से हड़बड़ा कर आभा की आँखें खुलती है। मोबाइल की स्क्रीन पर देखा तो माँ का कॉल आ रहा था। सामने घड़ी पर 7 बजे चुके थे। आभा ने अलसाये हुए आवाज में कहा ग

2

रेत का महल

28 फरवरी 2022
0
0
0

आज से 22 साल पहले आभा बचपन में एक बार अपने मम्मी-पापा के साथ घूमने के लिए यहाँ आई थी ! और उनसे बिछड़ जाती है ! जब वो अपने मम्मी-पापा को ढूंढ़ रही थी ,तभी चारो तरफ बच्चो को खेलते हुए देखकर सब कुछ भूल जात

3

रेत का महल

28 फरवरी 2022
1
0
0

और वह आगे बढ़ जाता है ! लेकिन उसे देखकर ऐसा लग रह था कि उसके मन में कुछ और ही चल रहा है ! कुछ दूर आगे जाता है फिर वह पलट कर उस बच्चे की तरफ देखता है ! किसी को अपनी तरफ ना देखकर तेजी से गुब्बारे वाले बच

4

रेत का महल

28 फरवरी 2022
0
0
0

आभा किनारे किनारे पश्चिम की तरफ चलती जा रही थी! तभी पीछे से फिर जानी पहचानी आवाज आई ! सॉरी माफ़ कीजियेगा ! मैं आपको परेशान नहीं करना चाहता हूँ ,मगर मुझे आपसे कुछ जरुरी बात करनी है ! मेरा नाम आकाश है !

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए