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रेत का महल

28 फरवरी 2022

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और वह आगे बढ़ जाता है ! लेकिन उसे देखकर ऐसा लग रह था कि उसके मन में कुछ और ही चल रहा है ! कुछ दूर आगे जाता है फिर वह पलट कर उस बच्चे की तरफ देखता है ! किसी को अपनी तरफ ना देखकर तेजी से गुब्बारे वाले बच्चे के पास जाता है ! उनकी इस हरकत से पता चलता है कि वो काफी शर्मीला किस्म का इंसान था जो कि अपनी इस भावना को किसी को दिखाना नही चाहता था। क्योंकि उसे मालूम था कि लोग इसकी सराहना करने के बदले मजाक बनाएंगे।

इसलिए वो सबकी नजरों से बचकर ,दुबारा से वो उस बच्चे की ओर जाता है। और वह बच्चा फिर से उसे अपने सामने देख कर पूछता है ,क्या आप गुब्बारे लोगे साहब ? वह उसके सामने बैठते हुए कहता है हाँ ,मैं गुब्बारे लूंगा ! पर तुम पहले ये बताओ की तुमने कब से खाना नहीं खाया है ? बच्चा कहता है तीन दिन से ,यह सुनकर युवक की आँखे भर आई ! वह अपना एक हाथ उसके कंधे पर रखते हुए उसे 50 रुपये का नोट देते हुए कहता है ,ये पैसे रख लो और जाकर खाना खा लेना ! तब बच्चा अपने सारे गुब्बारे उसे देने लगता है तो वह कहता है कि नहीं गुब्बारे भी तुम ही रख लो ! यह सुनते ही बच्चा उसे पैसे वापस करने लगता है ! और कहता है कि पहले आप गुब्बारे लो तब मैं पैसे रखूँगा ! मैं ऐसे ही पैसे नहीं ले सकता ! और थोड़ी दूर खड़ी आभा नजरें छुपा छुपा कर देख रही थी। यह सारी बातें वो बड़ी हैरानी से देख रही थी। 

वह युवक उस बच्चे को समझा कर परेशान हो गया ,लेकिन वह नहीं माना ! तब अंत में उसने कहा मैं गुब्बारे जरूर लूंगा लेकिन तुम्हे भी मेरी एक बात माननी होगी ! तुम्हे मेरे साथ खाने के लिए जाना होगा ! बच्चा हाँ में अपना सर हिलाता है ! फिर वह युवक उसे बिना किसी शर्म के ,वैसे ही गंदे कपड़ो में अपने गोद में उठा कर होटल की तरफ बढ़ जाता है ! बच्चा भी ख़ुशी से अपने हाथो में रंग-बिरंगे गुब्बारे लहराते हुए उसके गले से लिपट जाता है ! आभा जैसे मंत्र-मुग्ध सी होकर ,उसके हाथो में उड़ते हुए गुब्बारे को देखती रह जाती है !

तभी पीछे दूर से किरण कि आवाज़ सुनाई पड़ती है , तब से खड़ी होकर वहाँ किसे देख रही हो रानी जी ? यह सुनकर आभा वही से इशारो से जबाब देती है कुछ नहीं और फिर वह आगे चलते हुए ,समुन्द्र के एकदम किनारे पर पहुँच जाती है ! यहाँ पर लहरे आकर लौंट जाती थी ! अब समुन्द्र की दौड़ती आती लहरे उसके पैरो को छुने लगी थी ! ठन्डे ठन्डे पानी के छुअन से जैसे उसका रोम रोम खिल उठा था ! मन में सिरहन सी उठ आई थी ! फिर पानी में झुकते हुए हाथो से पानी को छप-छपाते हुए बच्चो कि तरह हरकते करने लगती है !

तब उसके साथियो की नजर उसपर पड़ती है! वो सब उसे बाहर आने को कहने लगते है! लेकिन वह बिना किसी बात के परवाह किये ,एक स्वछन्द पंछी की तरह अपनी मस्ती में लगी रहती है ! वह अपने बंधे बालो को बिलकुल आज़ाद कर देती है ! हवा में लहराते बाल भी मन में अजब सी उमंग और उन्माद पैदा कर रहे थे ! आभा एक स्वछंद हिरणी की तरह उन्माद से भर कर ,अपनी दोनों बाँहे फैलाकर जैसे सारी खुशियो को अपने अन्दर समा लेना चाहती थी ! फिर अपने सर को तेजी से चारो तरफ घूमाते हुए ,जोर से चिल्ला कर कहती है , I LOVE YOU ZINDGIIIIIII………..

उसकी आवाज़ सुनकर सबका ध्यान उसकी तरफ चला जाता है ! तब वही से चिल्ला कर रश्मि बोलती है आज तुझे क्या हो गया है पगली ? आभा भी उसी अंदाज में चिल्लाकर कहती है ,प्यार हो गया है मुझे ……खुद से ! आज से पहले किसी ने आभा का ऐसा रूप नहीं देखा था ! उसके बाद थोड़ा शांत होती है तो उसे अहसास होता है कि सब लोग उसकी तरफ देखे जा रहे है ! तब वो धीरे-धीरे पानी से बाहर निकल कर ऊपर की आने लगती है ! लेकिन उसका कदम फिर से वही पर आकर रुक जाता है ,जहाँ पर बच्चा रेत का महल बना रहा था ! जैसे महल पूरा होता है ,वैसे ही उस छोटी बच्ची का छोटा भाई गुस्से से आकर कहता है कि जल्दी चलो पापा तुम्हे बुला रहे है ! अब खेलना बंद करो ! वह नहीं जाती है तब वह बच्चा अपने पैर उठाकर जैसे ही महल में ठोकर मारने को होता है कि तभी एक साया बड़ी तेजी से आकर ,उसके सामने घुटने के बल बैठते हुए ,हाथ जोड़कर कहता है ,सॉरी शक्तिमान , आप इसे मत गिराओ ! आप इतने गुस्से में क्यों हो ? देखो तो कितने प्यार और मेहनत से इस दोनों ने मिलकर बनाया है !

और ना जाने कब आभा भी अपने भावावेश में बहती अपने दोनों हाथो से महल को सहारा दे चुकी थी और उसे इस बात का पता भी नहीं चला ! आकाश का ध्यान बच्चों की ओर और उसका दोनों हाथ महल की ओर बढ़ा था। आभा को ये भी पता नहीं चला कि कब सारे बच्चे चले गए ! तभी उसका हाथ किसी दूसरे हाथ से टकराता है और एक आवाज़ आती है ,महल गिरा तो नहीं ? तब आभा नजर उठा कर देखती है तो सामने वही युवक नजर आता है ! उसे देखकर सहज तो हुई लेकिन फिर भी गुस्साते हुए उसने कहा ,सारे लड़के एक ही जैसे होते है,लड़की देखी नहीं कि सेटिंग करने का बहाना ढूंढने लगता है ! शक्ल से चाहे कितना भी शरीफ दिखे मगर नियत सबकी एक जैसे ही होती है! तब वह युवक बड़ी गंभीरता से बोला, सॉरी मैंने ऐसा कुछ नहीं सोचा ! प्लीज़ आप समझने की कोशिश करे ! इन रेत के महल से मेरी बहुत बड़ी भावनाये जुड़ी हुई है !

फिर आभा अचानक से अपने हाथ हटा लेती है ,और उठकर झुंझलाते हुए समुन्द्र के किनारे किनारे दूसरी ओर जाने लगती है ! इधर युवक उस गिरे हुए महल को फिर से सँभालने में लग जाता है ! आभा अभी कुछ दूर गई ही थी कि पीछे से एक्सक्यूज़ मी की आवाज़ से उसके कदम रुक गए ! पीछे मुड़कर देखा तो वही युवक खड़ा था! फिर आभा बोली क्या है ? जी क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ ? आभा ने कहा नाम से क्या काम है ? फिर युवक ने कहा कुछ नहीं बस आपकी ये कोई चीज हमें रेत में मिली ,उसने एक रिबन का टुकड़ा उसके हाथ में देते हुए कहा ! आभा ने थैंक्स कहा तबतक युवक मूढ़ चूका था !

कुछ सोचते हुए आभा किनारे-किनारे चली जा रही थी ! अब समय बिल्कुल सूर्यास्त होने के कगार पर था ! धीरे धीरे लोग कम होते जा रहे थे ! आभा के बाकी साथी उसका इंतजार कर रहे थे। और आभा अकेले समुद्र के किनारे किनारे पश्चिम की तरफ चलती जा रही थी ! डूबते हुए सूरज की लालिमा उसके चेहरे पर पड़ रही थी। और वो अपने ही खयालो में डूबी हुई आगे को बढ़ती जा रही थी। तभी पीछे से किसी की आवाज आई ! 

आखिर आभा किस खयालो में डूबी हुई आगे बढ़ती जा रही थी?

इन सारे सवालों का जबाब जानने के लिए पढ़िए इसका अगला भाग।

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रचनाएँ
रेत का महल
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आभा किनारे किनारे पश्चिम की तरफ चलती जा रही थी! तभी पीछे से फिर जानी पहचानी आवाज आई ! सॉरी माफ़ कीजियेगा ! मैं आपको परेशान नहीं करना चाहता हूँ ,मगर मुझे आपसे कुछ जरुरी बात करनी है ! मेरा नाम आकाश है !

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