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रेत का महल

28 फरवरी 2022

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ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग.... मोबाइल की रिंग सुनते ही अचानक से हड़बड़ा कर आभा की आँखें खुलती है। मोबाइल की स्क्रीन पर देखा तो माँ का कॉल आ रहा था। सामने घड़ी पर 7 बजे चुके थे। आभा ने अलसाये हुए आवाज में कहा गुड मॉर्निंग माँ। उधर से माँ ने कहा बेटा अभी तक सो रही हो। सुबह के 7 बज चुके है और तुम अभी तक..बीच में ही आभा ने कहा नही माँ आज छुट्टी है और रात में देर से सोई थी, इसलिए नींद नहीं खुली। 

माँ ने बातों ही बातों में कहा , बेटा पापा तुम्हारे लिए रिश्ता देखने के लिए कह रहे थे। मैं तुम्हें कब से कह रही हूँ कि कोई लड़का अगर तुम्हारी नजर में है तो बताओ। देखो बेटा अब तुम अपने पैरों पर खड़ी हो चुकी हो और अब उम्र भी काफी हो गई है। आभा बात काटते हुए बोली क्या माँ अब फिर से शुरु हो गई। माँ अगर कोई अच्छा लड़का होगा तो जरूर बताऊंगी। अच्छा छोड़ो बताओ घर में सब कैसे है?

 कुछ देर तक बात करने के बाद फोन रखने के बाद उसकी नजर खिड़की की तरह गई। खिड़की के बीच से हल्की हल्की ठंडी हवा आ रही थी। खिड़की के बाहर झाँक कर देखा तो बाहर का मौसम बड़ा ही सुहाना था। आज आसमान में हल्का हल्का बादल छाया हुआ था। मौसम में हल्की ठंडक और हल्की गर्मी थी। बाहर रह रह कर हवाओं का एक झोखा आता और मन को छू कर चला जाता। आज हवा बड़ी ही सुहानी लग रही थी। इस तरह की जादू भरी हवाओं से मन मचल उठा था। धीरे धीरे आभा ने पूरी खिड़की खोल दी और उसपर चढ़ कर बैठ गई। जैसे ही उसने पूरी खिड़की खोली, एक तेज हवा का झोंका आकर आभा के चेहरे से टकराया और उसकी घनी सी जुल्फों को लहराते हुए जैसे अन्तः मन में समा गया। इन झोंको से आभा का रोम रोम खिल उठा। ऐसा लगा जैसे ये हवाए उसके खिड़की खोलने का ही इंतजार कर रही थी।  हवाओं के साथ खेल खेल में वो सारी दुनिया को जैसे भूल गई हो।

बार बार हवाओं का झोंका ऐसे छूकर जाता जैसे कोई प्यारा सा संदेश देने आई हो। हवाओं के छुवन से यौवन महक उठती थी। हवाओं के साथ अटखेलियां करती  हुई वो पूरी तरह जैसे उसी में ही गुम हो गई थी। 

तभी फिर से फोन की घंटी ने उसका ध्यान तोड़ा। स्क्रीन पर रश्मि का नाम दिखाई पड़ा। फोन रिसीव करते ही दूसरी तरफ से आवाज आई किसके ख्यालों में खो गई थी ? पता है ना आज हमलोग घूमने जाने वाले हैं। चल फटा फट तैयार हो जाओ। हमसब रेडी हो चुके है। उसके फोन कटते ही रोहन का फोन आया, फिर बारी बारी से सभी दोस्त फोन करने लगे। सबका फोन आने के कारण वो तेजी से खिड़की से उठी और जल्दी जल्दी  तैयार होने को चली गई।

 

22 साल बाद आभा ,आज फिर से उसी समुन्द्र के किनारे खड़ी थी ! जहाँ से उसके जीवन की सबसे बड़ी यादें जुड़ी थी ! आभा की नई-नई नौकरी लगी है ,और वह 6 महीने पहले ही इस शहर में आई थी ! मगर इस शहर से उसका काफी पुराना रिश्ता था। 

उस दिन वैलेंटाइन डे थी और ऑफिस में छुट्टी भी थी ! इसिलए आभा और उसके साथियो ने कही घूमने जाने की प्लानिंग की ! और अंत में समुन्द्र के किनारे जाने का फैसला किया !

दूर से ही समुन्द्र किनारे का नजारा देख कर सब ख़ुशी से उछल पड़ते है ! हंसी मजाक करते हुए पांचो आगे बढ़ने लगे ! जैसे ही उन्होंने किनारे पर फैले हुए रेत में प्रवेश किया ,सब लोग वहाँ का नजारा देखते ही अपने अतीत को भूल जाते है और एक नई ऊर्जा एवं खुशियों से झूम उठते हैं!

 

शहर की कोलाहल और भाग-दौड़ से दूर यहाँ बड़ी राहत और सुकून मिल रहा था ! थोड़ी सी हलचल के बीच भी एक गजब सी शांति महसूस हो रही थी ! पूरब से पश्चिम की ओर दूर- दूर तक रेत ही रेत ,सामने क्षितिज तक फैला विशाल समुन्द्र ,दौढ़कर किनारे तक आती और दूर जाती लहरे ,रेत पर चारो तरफ बैठे लोग ,छोटे -छोटे खेलते बच्चे ,ये सारे नज़ारे मन में खुशियों की तरंगे पैदा कर रही थी ! और साथ ही , दुनियाँ कि परम्पराओ और बंधनो से मुक्त ,प्रेमी जोड़े एक दूसरे के कंधे पर सर रख कर बैठे दूर दूर तक नजर आ रहे थे ! वहाँ पर बहती ठंडी -ठंडी हवाये मन के तार छेड़ कर मन में उत्साह और उमंग पैदा कर रही थी !

उसके बाद पांचो एक जगह पर आकर बैठ जाते है ! और फिर सब एक दूसरे पर कमेंट करके चिढ़ाने लगते है ! तभी रोहन चारो तरफ देखते हुए हल्की सी अंगड़ाई लेते हुए कहता है कि यार देखो कितने प्यारे -प्यारे कपल साथ में बैठे हुए है ! काश...तभी बीच में बात काटते हुए किरण उसे हल्का सा धक्का देते हुए कहती है ,काश क्या ,काश क्या… ? काश तुम्हे भी मौका मिला होता! ये देख कर सब हँस पड़ते है ! फिर रश्मि छेड़ते हुए आभा से कहती है ,आभा क्या तुम्हारा सच में कोई बॉयफ्रेंड नहीं है!

आभा अचानक से खड़ी होती है और बिना जबाब दिए मुस्कुराते हुए किनारे कि तरफ बढ़ जाती है ! पीछे से चारो आवाज़ देने लगता है लेकिन वह उसी अंदाज़ में मुस्कुराते हुए हवाओ के संग आठखेलिया करती हुई आगे बढ़ चली थी।

तभी रश्मि जोर से चिल्लाते हुए पूंछती है जरा ये तो बताते जाओ कि कहा चली रानी ? अपने बॉयफ्रेंड की तलाश में ,उधर से किरण अचानक से जबाब देती है ! यह सुनकर सब जोर से हँस पढ़ते है !

आभा चारो तरफ देखते हर हवाओ में बहती हुई किनारे की तरफ चली जा रही थी ! वह छोटे -छोटे बच्चो को रंग -बिरंगे गुब्बारे उड़ाते हुए देखकर बड़ी खुश हो रही थी !

रेत पर खेलते बच्चो की प्यारी -प्यारी हरकतों और उसकी मासूम-मासूम गलतियों को देख कर मन के सारे तनाव और विकार ख़त्म हो गए थे !

मन में थोड़ा सा काम का तनाव तो था ही ,साथ में घर वालो की शादी करने की ज़िद ने परेशान कर रखा था ! लेकिन ऐसे कैसे किसी से भी शादी कर लेती ! उसे पता है घर वाले उसके लिए अमीर और अच्छा लड़का देख रहे है ! लेकिन आज के औद्योगिक और भाग-दौड़ भरी दुनियाँ में ,केवल पैसे बनाने वाले और अपने स्वार्थ के बारे में सोचने वाले रोबोट ही ज्यादा पैदा होते है ! व्यवहारिकता के नाम पर लोग आज हद से ज्यादा स्वार्थी और संवेदनहीन होता जा रहा है ! अपनी जरुरत और लालसा पूरी करने के लिए लोग किसी की आत्मा को आहत करने से भी नहीं संकुचाते है ! आज की आधुनिक दुनियाँ में अधिकतर ऐसे ही लोग भरे पड़े है !

लेकिन आज एक संवेदनशील ,संजीदा और ज़िंदादिल इंसानो का मिलना बहुत मुश्किल हो गया है ! भले ही जमाना कितना बदल जाये पर ,अगर इंसानो में उसकी गुण और जज़्बात ही न हो तो वो इंसान कैसा ? और एक इंसान होने के नाते इतना तो हक़ बनता है कि मैं एक इंसानो के साथ जीवन गुजर सकू ! इसलिए ज़िंदगी का सबसे बड़ा फैसला जल्दबाजी में नहीं लेना चाहती हूँ ! ये सोचते हुए उसका मन बोझिल होने लगा था ! लेकिन फिर आस-पास खेलते बच्चो कि आवाज़ों से ध्यान टूटा !

और अचानक एक तेज़ हवा का झोका आकर उसके चेहरे से टकराया और वो सारी परेशानी पल में भूल गई ! बच्चो की उन मासूम हरकतों और वहाँ के माहोल से  उसका मन फिर से बहल उठा ! धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी , तभी अचानक मेरी नजर रेत के महल बनाते बच्चो पर पड़ती है ! यह देखते ही मन आज से 22 साल पीछे जाकर बचपन के दिनों में जाकर खो जाता है ! 

आखिर 22 साल पहले आभा के साथ ऐसा क्या हुआ था?

उस समुद्र और रेत के महल का क्या राज था?

इन सारे सवालों को जानने के लिए पढ़िए इसका अगला भाग।

 

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रचनाएँ
रेत का महल
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रेत का महल एक अनोखी प्रेम कहानी है। जो प्रकृति के इर्द गिर्द रची गई है। इसमें प्रेम और प्राकृतिक सन्दर्य का अनोखा संगम है। सच्चे प्रेम और संयोग की एक अनूठी कहानी है। इस कहानी का अगर कोई सरल और पूरा शीर्षक हो सकता है वो होगा, प्रीत की डोर से बंधा रेत का महल। क्योंकि इस कहानी में दो मुख्य बिंदू है जो साथ साथ चलते हैं।
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ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग.... मोबाइल की रिंग सुनते ही अचानक से हड़बड़ा कर आभा की आँखें खुलती है। मोबाइल की स्क्रीन पर देखा तो माँ का कॉल आ रहा था। सामने घड़ी पर 7 बजे चुके थे। आभा ने अलसाये हुए आवाज में कहा ग

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आज से 22 साल पहले आभा बचपन में एक बार अपने मम्मी-पापा के साथ घूमने के लिए यहाँ आई थी ! और उनसे बिछड़ जाती है ! जब वो अपने मम्मी-पापा को ढूंढ़ रही थी ,तभी चारो तरफ बच्चो को खेलते हुए देखकर सब कुछ भूल जात

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और वह आगे बढ़ जाता है ! लेकिन उसे देखकर ऐसा लग रह था कि उसके मन में कुछ और ही चल रहा है ! कुछ दूर आगे जाता है फिर वह पलट कर उस बच्चे की तरफ देखता है ! किसी को अपनी तरफ ना देखकर तेजी से गुब्बारे वाले बच

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आभा किनारे किनारे पश्चिम की तरफ चलती जा रही थी! तभी पीछे से फिर जानी पहचानी आवाज आई ! सॉरी माफ़ कीजियेगा ! मैं आपको परेशान नहीं करना चाहता हूँ ,मगर मुझे आपसे कुछ जरुरी बात करनी है ! मेरा नाम आकाश है !

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