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रिजेक्शन

24 जुलाई 2019

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धीरज जैसे ही बाइक खड़ी कर हेलमेट उतारता है, वैसे ही बगल वाली सविता आंटी की आवाज़ आती है, "क्यों धीरज बेटा, इंटरव्यू देकर आ रहे हो?

"जी आंटी"

"अब तक तो कई इंटरव्यू दे चुके हो, कहीं कुछ बात नहीं बनी क्या?"

होठों पर नकली मुस्कान लाते हुए धीरज कहता है, "आंटी, कोशिश कर रहा हूँ।" और तुरन्त गेट खोलकर अंदर चला जाता है।

सविता आंटी हाउस वाइफ हैं। उससे कहीं ज़्यादा सोसायटी की सीसीटीवी। किसके घर में क्या चल रहा है, कौन आ रहा, कौन जा रहा है, उनको सबकी ख़बर रहती है।

"अरे आ गया बेटा, हाथ मुंह धो लो। कुछ खाने को लेकर आती हूँ।" किचन से धीरज की मां की आवाज़ आती है।

लेकिन धीरज बगैर कुछ सुनें अपने कमरे में जाता है और धड़ से दरवाज़ा बन्द कर देता है। दरवाज़े की ज़ोर से बंद करने की आवाज़ सुनकर धीरज की मां अनीता किचन से दौड़ पड़ती हैं। थोड़ी ही देर में ना आने कितने सवाल उनके दिमाग में घूमने लगते हैं।

दरवाज़े को थपथपाते हुए कांपती हुई आवाज़ में वो कहती हैं, "धीरज बेटा, क्या हुआ, दरवाज़ा क्यों बन्द किया। बता तो सही, किसी ने कुछ कहा क्या? अजी...सुनते हो, जल्दी आइए। देखिए धीरज दरवाजा नहीं खोल रहा है।"

अनीता की आवाज सुनकर धीरज के पापा यानि महेश जी तुरन्त बगल वाले कमरे से निकलर धीरज के कमरे के पास पहुंचते हैं।

"धीरज बेटा, दरवाज़ा खोलो। ये क्या नादानी है बेटा।

थोड़ी देर बाद धीरज दरवाज़ा खोलकर पास में ही रखी एक कुर्सी पर बैठ जाता है। धीरज पिछले कई महीनों से नौकरी की तलाश में था। लेकिन उसे हर जगह से सिर्फ रिजेक्शन ही मिल रहा था।

"पापा मै टूट चुका हूं। थक गया। जहां भी इंटरव्यू के लिए जाता हूँ, उससे पहले सिफारिशी फ़ोन पहुंच जाते हैं। ऊपर से आरक्षण, काबिलियत तो देखी ही नहीं जाती, और लोगों के ताने अंदर तक चोट करते हैं।"

महेश जी बेटे का हौसला बढ़ाते हुए कहते हैं, "इतना जल्दी हार मान गए बेटा, अभी तुम्हारा बाप ज़िंदा है। दो वक्त की रोटी बड़े प्रेम से तुम्हारी माँ बनाकर खिला सकती है। तुम अपनी कोशिश जारी रखो बेटा।"

बेटे को सीने से चिपकाते हुए अनीता जी कहती हैं "लोगों के ताने, रिजेक्शन से घबराना नहीं है बच्चे। इनको अपनी ताकत बनाओ। देखना जिस दिन तुम कुछ बन जाओगे ना, इन सबके बोल बदल जाएंगे।"

बेटे धीरज की तरफ पानी का गिलास आगे बढ़ाते हुए वो कहती है, "चलो उठो और अपना मूड ठीक करो।"

तभी फोन की घन्टी बजती है, महेश जी फोन उठाने ड्रॉइंग रूम की ओर बढ़ते हैं, "धीरज, तुम्हारा फ़ोन है बेटा"

धीरज तुरन्त अपने कमरे से भागता हुआ फ़ोन लपक लेता है।

"हलो मिस्टर धीरज, आप इंटरव्यू में सिलेक्ट हो गए हैं। कल आकर एचआर से मिल लीजिएगा।"

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