हमारी आरज़ू पीपल हमारे गाॅंव की
गुजरती थी वहीं दोपह र सारे गाॅंव की
वही पे बैठ कर के खेलती थीं लड़कियां
गुजरती राह से इठलाती प्यारी लड़कियां
निहारे प्यार से पीपल भी करता मस्तियां
भटकते हम रहे हैं ढूंढ़ते इक-इक कुएं
अकेले हम नहीं, इस राह में भटके हुए
हमे लड़की मिली भी तो हमारे गाँव क़ी...
वहीं से पास में है गांव का मंदिर पुरा
वहीं से पास में है घर पुराना गाॅंव का
वो आती रोज मंदिर सीढ़ियों पे बैठती
हमारा मन कहीं था और कैसी आरती
हमारा दिल धड़कता था कि पायल पांव की
अकेले बैठ कर की बात सारे गाॅंव की...