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ओ खुदा एक कविता

रोहित कुमार मधु वैभव

13 अध्याय
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5 पाठक
18 नवम्बर 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

यह एक कविता संग्रह है जिसमे कवि ने खुदा से प्राथना की है ।उसके मन में जो प्रश्न चिन्ह है वह उनका उत्तर खुदा से चाहता है। इस कविता में कवि ने अपने व्यक्तिगत प्रेम को शामिल किया है जो की तार्किक व हकीकत का प्रेम है जो एक गहरा अर्थ रखता है व अन्य प्रश्नों को भी उजागर किया है जो की हकीकत के बहुत नज़दीक है। कवि के हृदय में प्रेम,करुणा का भाव है जो की कविता में साफ नजर आता है, कवि की विशेषता है की कविता का अर्थ अभिधा शब्द सकती में प्रेम व गरीबों की स्थिति देख कर करुणा से भरा हुआ है जिसका अर्थ एक तरफ और कुछ, व व्यंजना शब्द शक्ति में सियासत की सच्चाई को भी उजागर करता है। कविता में कुछ कॉमन पारिवारिक दृश्य भी उभर कर आए है, सभी कविताएं छंदबद्ध व लयतात्मक है । आप इस कविता को प्रेम व कवि के भावों के साथ पढ़े व आशीर्वाद प्रदान करे ।। धन्यवाद............ 

o khuda ek kavita

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पुस्तक के भाग

1

ओ खुदा, ओ खुदा.., कविता..1, भाग-1

5 नवम्बर 2022
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ओ खुदा, ओ खुदा, ओ खुदा... किसी आंखों में आंसू जो दिख जाते है दूकानों में भगवां(ईश्वर)भी बिक जाते है परिंदे मोहब्बत पे टिक जाते है जो कुकर्ने लगी कुछ लबों की कथा बिखरती हुई आ रही है सदा...

2

ओ खुदा, ओ खुदा..., कविता..1, भाग-2

6 नवम्बर 2022
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ओ खुदा, ओ खुदा, ओ खुदा... घर की खातिर जो घर से निकल जाते है डगर पे अकेले ही चल जाते है शौंक अचानक बदल जाते है फिज़ा में जहर है घुला तितलिया हो रही गुम-सुदा...

3

ओ खुदा, ओ खुदा..., कविता..1, भाग-3

6 नवम्बर 2022
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ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा... लड़की जो मुझसे वो अंजान है जाने नही क्यों मेरी जान है मधु मेरे दिल की वो महमान है पलक झपकते ही तसव्ववुर नखशिखा अज़ीज दिल को तेरी हर इक अदा...

4

ओ खुदा, ओ खुदा..., कविता..1, भाग-4

7 नवम्बर 2022
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5

ओ खुदा ओ खुदा..., कविता..1, भाग-5

8 नवम्बर 2022
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ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा... बदन रोज एक लहू-लुहान है नफ़रत, देखो कैंसी महान है खूबसूरत चिड़िया जो महमान है कैंसे थमे जुल्म का शिलशिला कब थमेगा दिलो का धुआं... ओ खुदा ओ खुदा ओ खुदा...

6

कहारिन..., कविता..2

9 नवम्बर 2022
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जात की कहारिन हूं मैं प्यार की ढेकेदारन हूं मैं मन की मदारिन हूं मैं मुझे बस इक तू ढूंढ़ ले, इक भिखारिन हूं मैं.... लुटाया मधुकरियो को तूने खिलाया भूखों को तूने जगाया ढिकानों को तूने..

7

सूरज उगने आने को है..., कविता -3

18 नवम्बर 2022
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सूरज मधु उषा फैलाने को हैसूरज उगने आने को है..आसमां में सुर्ख लालिमामानो खरगोश की आंखों जैसाकिसी प्रिय के कोपलो का गुलालमानो किसी नायिका के सुर्ख अधरचढ़ता जा रहा है गगन मेंमानो मांग की सिंदूर रेखासभी

8

डर अब मुझको लगता है..., कविता -4

27 नवम्बर 2022
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प्रश्न एक था सबका लेकिन, हल सौ हल हार गए रिश्ते नाते सभी थे झूठे, जो आड़े फिर आ गए प्रश्नों की उलझन को अब ना भेदा जाता है हर एक नए प्रश्न से डर अब मुझको लगता है... देख उसे उस चौराहे

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याद... कविता -5

27 नवम्बर 2022
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रातो को तेरी याद आ गईआंखों में मेरी बिखरा गईसूखी पवन , महका गईशर्द हवाओ में पिघला गईमोहब्बत में मेने कूबूल ये कियाकिताबे देकर, वो शरमा ग

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व्योम पटल पे लिख दो.. कविता -6

7 जनवरी 2023
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व्योम पटल पे लिख दो,नई कहानी अपनीलहू अक्षरो से ये जवानी अपनी..हाहाकार मचे शत्रु के सीने मेंअंतर न रहे मरने जीने मेंगलत दिशा में शीश उठाने वालोनफ़रत को गले लगाने वालोशत्रु के माथे पर गढ़ दोखुद नि

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नैना... कविता -7

7 जनवरी 2023
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शहद से नैना , तेरे नैनामधु है तेरी बहना, नैनाथोड़ा पलकों को छलका नैनामहज़ थोड़ा सा मुझको पीनानैनों से बहते मेरे नैनाजुदाई को सहते मेरे नैनाजब तेरी बहना से मिले नैनानैनों मे बस, नैना ही नैनामधु के ख्या

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सलाम.... कविता-7

8 जनवरी 2023
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<div><br></div><div><br></div><div>दिलो में रखो श्याम <span style="font-size: 1em;">करते रहो राम-राम</span></div><div><span style="font-size: 1em;">कोई बोले सलावलेकुम &nbsp

13

गाॅंव

10 जुलाई 2024
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<div><br></div><div>हमारी आरज़ू पीपल हमारे गाॅंव की </div><div>गुजरती थी वहीं दोपह र सारे गाॅंव की</div><div><br></div><div>वही पे बैठ कर के खेलती थीं लड़कियां </div><div>गुजरती रा

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