सलोने रूप ने चैन है छीना मुश्किल कर दिया मेरा जीना रूप माधुरी बरस रही है बूंद-बूंद कर मधुरस पीना बाण चला नैनों से अपने हृदय का सारा सुख-चैन छीना रक्ताम्बर सा रूप है उजला वसन है मलमल सा झीना बह रही मंद- मंद पवन ने शीतल कर दिया मेरा सीना चाँद की उतरती धवल चाँदनी में लगती रूप की रानी ज्यों मीना चंद्रकला सी पल-पल रूप बदलती जैसे सवर्ण सी मुद्रिका में नगीना।। आशा झा सखी जबलपुर मध्यप्रदेश