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रूठें सनम

Poonam kaparwan

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चलिए मान भी  जाईऐ ऐ मेरे सनम बलैय्या लूं हजारों तुम पर ऐ मेरे सनम माफ करना हो गई गलतियां जो नागवार गुजरी दिल पर लगाना जो हमारी बद्जुबानी गुजरी सम्बंध है हमारा कुदरत का तोहफ़ा चलो घर आते हुऐ ले आना साड़ी का तोहफ़ा नाराज नही पर बात चुभ गई मेरे नाजुक मन पर मैं पुरुष सहभागी अंकित है नाम तुम्हारा मन पर मुझे लगी बाणभेदी वचन वो भी  तुमने जान ली चलो छोड़कर नराजगी एक दूजे की बात मान ली हमारा है पवित्रत बंधन कहासुनी माफ की... तुम सजनिया मेरी कहासुनी दिल से साफ की.... स्वरचित  

ruthen sanam

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