8 अक्टूबर 2016
दलालों को दलाली दिखीझूठों ने मांगा सबूत ।उनकी माँ शर्मिंदा होगी ,कैसे जने कपूत ।इस युग के जयचंद बनेये दुश्मन की चालों के मोहरे ।जख्म दे गए जनमानस को गहरे ।