समय एक ऐसी पहेली है जिसे आज तक कोई भी हल नहीं कर पाया है,समय का खेल इतना निराला होता है की खिलाडी कौन है और दर्शक कौन यह पता ही नहीं चलता आप सोच रहे होंगे मैं यह क्या लिख रहा हुँ आपका यह सोचना स्वाभाविक है क्युकी इस पहेली में मैं और आप हम दोनों ही कभी खिलाडी और कभी दर्शक की भूमिका निभाते हैं जब आपका समय अच्छा चलता है अर्थात जब आप बुलंदियों पर होते है तो आपकी गलतिया हास्य क रूप में स्वीकार कर ली जाती है और हम सब दर्शक होते है सिवाय आपके लेकिन अगर आपका समय अच्छा नहीं चल रहा होता है तो आपके मजाक को भी लोग गलतिया समझ बैठते हैं! समय और मनुष्य दोनों ही एक सिक्के के दो पहलु होते हैं दोनों का मिलन बहुत ही विकट परिस्थितियों में संभव है जब आपको लगत है की समय अब आपकी मुठी मे है तभी वो आपसे बहुत दूर निकल चूका होता है! खैर मे अपनी लेखनी को यही पर विराम देते हुए समय की पहेली को सुलझाने के असमंजस में आपसे विदा लेता हुँ मेरी लेख कैसी लगी आप यह जरूर बताइयेगा! धन्यवाद!