shabd-logo

सरस्वती वंदना

12 मई 2015

307 बार देखा गया 307
empty-viewयह लेख अभी आपके लिए उपलब्ध नहीं है कृपया इस पुस्तक को खरीदिये ताकि आप यह लेख को पढ़ सकें
शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

देवेन्द्र जी, किसी त्रुटि के कारन आपकी रचना में वंदना नहीं लिखी है. इसलिए आप लेख प्रबंधन पर जा कर अपना लेख सही कर पुनः प्रकाशित कर सकते है. शब्दनगरी को किस प्रकार इस्तेमाल कर आप अपनी रचनाएँ प्रकाशित करे, इसके लिए हमने आपको शब्दनगरी का परिचय विडियो का लिंक दिया है। https://www.youtube.com/watch?v=Z_JqloC1nHY

13 मई 2015

देवेन्द्र मिश्र -उत्कर्ष गोंडवी-

देवेन्द्र मिश्र -उत्कर्ष गोंडवी-

वीणापाणि मातु वरदायनि विमलबुद्धि हिय में प्रकाश सिद्धता का भरि दीजिए। बुद्धि सन्मार्ग पे लगादे आज अम्बे मेरी अन्तर् तिमिर सब दूरि करि दीजिए।। मिले न विचार तुच्छ कर दे सहाय आज तन मई दीप ज्ञान तेल धरि दीजिए। मातु 'उत्कर्ष'आज विकल पड़ा है द्वार कविता करन हेतु सिद्धि वर दीजिए।।

12 मई 2015

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए