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सरस्वती वंदना

12 मई 2015

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शब्दनगरी संगठन

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13 मई 2015

देवेन्द्र मिश्र -उत्कर्ष गोंडवी-

देवेन्द्र मिश्र -उत्कर्ष गोंडवी-

वीणापाणि मातु वरदायनि विमलबुद्धि हिय में प्रकाश सिद्धता का भरि दीजिए। बुद्धि सन्मार्ग पे लगादे आज अम्बे मेरी अन्तर् तिमिर सब दूरि करि दीजिए।। मिले न विचार तुच्छ कर दे सहाय आज तन मई दीप ज्ञान तेल धरि दीजिए। मातु 'उत्कर्ष'आज विकल पड़ा है द्वार कविता करन हेतु सिद्धि वर दीजिए।।

12 मई 2015

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