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12 मई 2015
देवेन्द्र जी, किसी त्रुटि के कारन आपकी रचना में वंदना नहीं लिखी है. इसलिए आप लेख प्रबंधन पर जा कर अपना लेख सही कर पुनः प्रकाशित कर सकते है. शब्दनगरी को किस प्रकार इस्तेमाल कर आप अपनी रचनाएँ प्रकाशित करे, इसके लिए हमने आपको शब्दनगरी का परिचय विडियो का लिंक दिया है। https://www.youtube.com/watch?v=Z_JqloC1nHY
13 मई 2015
वीणापाणि मातु वरदायनि विमलबुद्धि हिय में प्रकाश सिद्धता का भरि दीजिए। बुद्धि सन्मार्ग पे लगादे आज अम्बे मेरी अन्तर् तिमिर सब दूरि करि दीजिए।। मिले न विचार तुच्छ कर दे सहाय आज तन मई दीप ज्ञान तेल धरि दीजिए। मातु 'उत्कर्ष'आज विकल पड़ा है द्वार कविता करन हेतु सिद्धि वर दीजिए।।
12 मई 2015