सतरंगी आसमान बिखर गया,
अपने में समाहित सातों रंग।
सतरंगी आसमान में उड़ने को,
बेताब पंछी उन्मुक्त गगन को।।
बिखरे रंग सतरंगी आसमान में,
उड़ कर अपनी छटा बिखेरते।
उड़ते बादल आह्लादित होते,
पुलकित हो फिर मन मुस्काते।।
इन्द्रधनुष सी छटा बिखेरता,
आगोश में समाहित करता।
सतरंगी आसमान की लालिमा,
छा जाती है चहुंओर लालिमा।।
धरा को किंचित मात्र भी,
अपने पे अहंकार नहीं होता।
सतरंगी आसमान की लालिमा,
आभा अपनी बिखेरे लालिमा।।
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