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साप्ताहिक2022-06-05

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काव्यांजलि

काव्यांजलि

कविताओं के विभिन्न स्वरूपों का संग्रह

45 common.readCount
20 common.articles

निःशुल्क

काव्यांजलि

काव्यांजलि

कविताओं के विभिन्न स्वरूपों का संग्रह

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निःशुल्क

काव्य सुलेखा 2

काव्य सुलेखा 2

यह पुस्तक कविताओं का संकलन जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को दर्शाती है। इस पुस्तक में मेरी स्वरचित मौलिक रचनाएं है।

निःशुल्क

काव्य सुलेखा 2

काव्य सुलेखा 2

यह पुस्तक कविताओं का संकलन जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को दर्शाती है। इस पुस्तक में मेरी स्वरचित मौलिक रचनाएं है।

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मन मंथन दैनंदिनी (सितंबर)

मन मंथन दैनंदिनी (सितंबर)

जीवन के विभिन्न स्वरूपों का संग्रह

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मन मंथन दैनंदिनी (सितंबर)

मन मंथन दैनंदिनी (सितंबर)

जीवन के विभिन्न स्वरूपों का संग्रह

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काव्य कुंज द्वितीय

काव्य कुंज द्वितीय

मेरी स्वरचित कविताओं का संग्रह

24 common.readCount
12 common.articles

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काव्य कुंज द्वितीय

काव्य कुंज द्वितीय

मेरी स्वरचित कविताओं का संग्रह

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लेखन सार

लेखन सार

लेखन सार भिन्न भिन्न विषयों पर लेखों का संग्रह है।

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लेखन सार

लेखन सार

लेखन सार भिन्न भिन्न विषयों पर लेखों का संग्रह है।

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मन मंथन ( दैनंदिनी) अगस्त

मन मंथन ( दैनंदिनी) अगस्त

डायरी मेरे जीवन के विभिन्न पहलुओं का स्वरूप है।

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मन मंथन ( दैनंदिनी) अगस्त

मन मंथन ( दैनंदिनी) अगस्त

डायरी मेरे जीवन के विभिन्न पहलुओं का स्वरूप है।

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काव्य सुलेखा

काव्य सुलेखा

काव्य सुलेखा मेरी कविताओं का संग्रह है, जिसमें मैंने जीवन के भिन्न भिन्न पहलुओं को उजागर किया है। कहीं रिश्तों का मर्म, कभी मन शांत तो उठते सवाल, पारिवारिक जीवन, मान सम्मान, नारी का आत्म विश्वास, जिंदगी के भिन्न भिन्न रंगो को अपनी कलम से सजाया है।

निःशुल्क

काव्य सुलेखा

काव्य सुलेखा

काव्य सुलेखा मेरी कविताओं का संग्रह है, जिसमें मैंने जीवन के भिन्न भिन्न पहलुओं को उजागर किया है। कहीं रिश्तों का मर्म, कभी मन शांत तो उठते सवाल, पारिवारिक जीवन, मान सम्मान, नारी का आत्म विश्वास, जिंदगी के भिन्न भिन्न रंगो को अपनी कलम से सजाया है।

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काव्य तरंग

काव्य तरंग

काव्य तरंग मेरी कविताओं का संकलन है जिसमें मैंने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को दर्शाया है। ये मेरी स्वरचित कविताओं पर सिर्फ मेरा कॉपी राइट है।

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ईबुक:

₹ 77/-

काव्य तरंग

काव्य तरंग

काव्य तरंग मेरी कविताओं का संकलन है जिसमें मैंने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को दर्शाया है। ये मेरी स्वरचित कविताओं पर सिर्फ मेरा कॉपी राइट है।

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ख़ामोश चेहरे

ख़ामोश चेहरे

कविता संग्रह

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₹ 71/-

ख़ामोश चेहरे

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कविता संग्रह

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मन मंथन ( दैनंदिनी ) जून

मन मंथन ( दैनंदिनी ) जून

ये डायरी मेरे मन के भावों का मंथन है जिसे एक प्रारूप देने का प्रयास किया है।

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मन मंथन ( दैनंदिनी ) जून

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ये डायरी मेरे मन के भावों का मंथन है जिसे एक प्रारूप देने का प्रयास किया है।

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सोनचिरैया

11 अक्टूबर 2024
0
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ओ री मेरी सोनचिरैया, फुदकती रहती घर आंगन में। एक छोर से दूजे छोर तक, लहराती घर कोने कोने में।। ओ री मेरी सोनचिरैया, बैठ जाती हो अटरिया पर। दाना पानी लेकर तुम, उड़ जाती हो पंख पसार।। ओ री मेरी सोनचिरैय

बेटियां

11 अक्टूबर 2024
1
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बेटियां होती पराया धन, ब्याहना इन्हें जरूर है। कैसी है ये रस्म अदायगी, निभाना इन्हें जरूर है।। छोड़ बाबुल का घर आंगन, पिया घर जाना जरूर है। ढलना है नए परिवेश में, रिश्तों को निभाना जरूर है।। कैसी मां

मात पिता

8 अक्टूबर 2024
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श्राद्ध मास आया अब, करते पूर्वजों को याद। दुआ बड़ो की रहे , करते सदा हम फरियाद। हम उनके वंशज हैं, तस्वीरों में उन्हें सजाते, देख तस्वीर पूर्वजों की, याद आए बुनियाद।। श्रद्धा सुमन अर्पित कर

पुस्तकालय

8 अक्टूबर 2024
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पुस्तकों का भंडारण जहां, होता है यह पुस्तकालय।नित विद्यार्थी ज्ञानार्जन जहां, प्रातः जाते विद्यालय।हर विषय पर क्षेत्र दिखे, भिन्न भिन्न होते हैं विषय,हिन्दी अंग्रेज़ी विज्ञान जहां, होता है अपना

जीवन के सुर ताल

8 अक्टूबर 2024
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जीवन के सुर ताल बिठाना, होता नहीं है आसान। कभी सतरंगी इंद्रधनुष सा, जैसा होता आसमान।। उड़ते नील गगन में पंछी, कितने ही पंख पसारे। जीवन के सतरंगी बादल, उड़ते रहते हों बहुसारे।। जीवन के सुर

मुठ्ठी भर रेत

8 अक्टूबर 2024
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मुठ्ठी भर रेत हाथ भर लिए।चाह प्रबल इच्छा भाव किए।वक्त का दरिया बहता चला।रेत प्रतिक्षण फिसलता चला।।मुठ्ठी भर रेत हाथ भर बांधी।सोच ऐसी वक्त रोकेगा आंधी।।जानें कब रेत हाथ फिसली यहीं।उद्वेलित

मुस्कान

6 अक्टूबर 2024
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मुस्कान कैसी भिन्न भिन्न होती। कभी मीठी मुस्कान छा जाती।। चेहरे का नूर गहरा असर दिखाए। देख मां अपने बच्चे पर मुस्काए।। कभी मन खिन्न खिन्न सा होता। किन्तु फीकी मुस्कान बिखेरता।। दुःखी मन संतप्त कोशिश ह

महाशक्ति

4 अक्टूबर 2024
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हे महाशक्ति , हे महाशक्ति , तू मेरी जगदम्बा।विपदाएं कैसी आन घिरी ,संकट हरती विलम्बा।।मनोकामना पूरी करे, मनसा देवी कहलाए।चिंताएं गर हरण करे, चिंतापूर्णी कहलाए।शुभकारी तू मंगलकारी, मां

महंगाई की मार

1 अक्टूबर 2024
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महंगाई की मार सही न जाए,गृहलक्ष्मी को चूल्हा चौका कैसे सुझाए।सिलेंडर महंगा, महंगी है कैरोसिन,लगी लाइन में ,धूप खून झुलसाए।।महंगाई की मार सही न जाए,चूल्हे की लकड़ी की सुध आए।माचिस महंगी, है महंगी लकड़ी

अनकही फरियाद

28 सितम्बर 2024
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अनकही फरियाद खुदा से, लौट आजा बीता समय तू, किंतु कालचक्र ऐसा चलता, समय ऐसा चलता ही रहता। कभी न एक पल को ठहरता। चलती घड़ी की टिक टिक, कहती अपनी जुबानी कहानी। अनकही फरियाद खुदा से बीते समय में पहुंच ज

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