मैं प्रसार भारती में बतौर अपर महादिनेशक कार्यरत हूँ . हिंदी में समय-समय पर कुछ-कुछ लिखता रहता हूँ .
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जेएनयू में पिछलेदिनों "देश कीबर्बादी तक जंगजारी रखने", "कश्मीरकी आजादी" औरपाकिस्तान के समर्थनजैसे नारों सेमुझे आहत हुईहै। पूर्व सैनिकोंने देशद्रोहियों कोपनाह देने वालेजेएनयू से प्राप्तडिग्री को वापसकरने का फैसलाकिया है। जेएनयू मेंपढ़ाई करने केकारण मुझे भीघोर निराशा हुईहै। मैं मानताहूँ कि अन्यविश्ववि
नेताजीसुभाषचन्द्र बोस महात्मागांधी, जवाहरलाल नेहरू कीतरह हमारे स्वतंत्रताआंदोलन के पहलीपंक्ति के नेताथे। पर अपनेआप को भारतमाता पर उत्सर्गकरने की आतुरतामें उनकी तुलनाशहीद भगत सिंहजैसे वीरों सेही की जासकती है। उनकानाम सुनते हीहमारे अंदर जिसतरह का जोशऔर स्फूर्ति जगतीहै वह विलक्षणहै। 1941 के जनवरीमहीने