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अन्तू, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश की निवासिनी शालिनी तिवारी स्वतंत्र लेखिका हैं । पानी, प्रकृति एवं समसामयिक मसलों पर स्वतंत्र लेखन के साथ साथ वर्षो से मूल्यपरक शिक्षा हेतु विशेष अभियान का संचालन भी करती है । लेखिका द्वारा समाज के अन्तिम जन के बेहतरीकरण एवं जन जागरूकता के लिए हर सम्भव प्रयास सतत् जारी है ।" सम्पर्क - shalinitiwari1129@gmail.com प्रतापगढ़ ,अन्तू, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश की निवासिनी शालिनी तिवारी स्वतंत्र लेखिका हैं । पानी, प्रकृति एवं समसामयिक मसलों पर स्वतंत्र लेखन के साथ साथ वर्षो से मूल्यपरक शिक्षा हेतु विशेष अभियान का संचालन भी करती है । लेखिका द्वारा समाज के अन्तिम जन के बेहतरीकरण एवं जन जागरूकता के लिए हर सम्भव प्रयास सतत् जारी है ।" सम्पर्क - shalinitiwari1129@gmail.com प्रतापगढ़

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मेरे लफ़्ज तुझसे यकीं माँगे

6 मई 2017
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झुरमुट में दिखती परछाइयाँ घुँघुरू की मद्दिम आवाजलम्बे अर्से का अन्तरालतुझसे मिलने का इन्तजारचाँद की रोशन रातों मेंपल हरपल थमता जाएऐसा लगता है मानो तुममुझसे आलिंगन कर लोगीपर कुछ छण में परछाइयाँनयनों से ओझल हो जायेंदिन की घड़ी घड़ी में बसबस तेरी ही याद सतायेसच कहता हूँ मै तुमसेमेरे लफ़्ज तुझसे यकीं मा

अल्लाह का दूसरा रूप है : पंचमहाभूत

20 अप्रैल 2017
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अल्लाह ( अलइलअह ), यदि हम इसका विश्लेषण करें तो पाएगें कि अ- आब यानी पानी, ल- लब यानी भूमि, इ- इला यानी दिव्य पदार्थ अर्थात् वायु, अ- आसमान यानी गगन, ह- हरक यानी अग्नि. ठीक इसी तरह भगवान भी पंचमहाभूतों का समुच्चय है, भ- भूमि यानी पृथ्वी

तुमसे ही सवाल क्यूँ ?

6 अप्रैल 2017
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जय जवान जय किसान दोनों आज बेहाल हैंएक सीमा पर खड़ा हैदूजा खेत में ड़टा हैअन्न और रक्षा से हीदेश आज भी खड़ा हैदेश के जवानों की वेतन इतनी कम है क्यूँ ?अन्नदाता आत्महत्या और भुखमरी का शिकार क्यूँ ?सबका साथ सबका विकासइसका उल्टा दिखता क्यूँ ?फिर तुम मुझसे क्यूँ पूछते होतुमसे ही सवाल क्यूँ .....?यह तो गर्

हम सबकी जिम्मेदारी है

26 मार्च 2017
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जरा समझिए:प्रतिभाशीलता शब्द एक विशेषण है, जिसका तात्पर्य है कि एक ऐसा व्यक्ति जो विशेष रूप से असाधारण योग्यता या बुद्धि से सम्पन्न हो. प्रतिभाशाली व्यक्तियों पर अध्ययन लेविस तरमन के सन् 1925 के कार्य से प्रारम्भ हुआ, जिसमें उन्होने उच्च योग्यता वाले व्यक्तियों की पहचान करने के लिए बुद्धि परीक्षण का

यकीऩ मानिए, आपके शब्द आपको महान बना देंगें

23 मार्च 2017
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यह कोई नई बात नही है कि शब्दों में अथाह ऊर्जा होती है. गर हम गौर करें तो पाएगें कि हमारा सम्पूर्ण जीवन ही उस तरफ प्रवाहित होता है, जिस तरफ की अधिक ऊर्जा हमारे अन्दर सन्चित होती है. हाँ यह जरूर है कि वह सकारात्मक ऊर्जा भी हो सकती है और

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