गृहिणी
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तुमसे दूर रहना कातिलाना सा हों गयागुम हुए होश मन दीवाना सा हों गयाहंसा देता हूॅं मैं लोगों को एक पल में मुझे मुस्कुराएं हुए जमाना सा हों गया फिर भी शिकवा नहीं हैं, मुझे किसी से ख़ुशी दे
<div>खुद की खुशियों </div><div>को त्याग कर </div><div>बैठें बस अपनों के </div><div>सा
<div>आंखों में आसूं </div><div>हैं पर किसी को </div><div>नज़र नहीं आतीं </div><div><b
<div>जी करता हैं कि </div><div>आसमान छू लें हम </div><div>क्या पता कल हों ना हों हम <
<div>दिल में हों तुम </div><div>कैसे बताऊं तुम्हे </div><div><br></div><div>ये आंखें ढूंढ़
<div>क्या पता कल हों ना हों </div><div>आज का तो पता नहीं </div><div>कर की क्या फिकर करें&n
<div>कच्चा सा दिल </div><div>लम्हें नए चुन रहा हैं </div><div><br></div><div> भुख के
<div>मैं हूॅं अलबेली </div><div>इस दुनिया से बेगानी</div><div><br></div><div>क्या लिखूं खुद के