तुमसे दूर रहना कातिलाना सा हों गया
गुम हुए होश मन दीवाना सा हों गया
हंसा देता हूॅं मैं लोगों को एक पल में
मुझे मुस्कुराएं हुए जमाना सा हों गया
फिर भी शिकवा नहीं हैं, मुझे किसी से
ख़ुशी देकर दर्द कमाना सा हों गया ।
किया था जिससे प्यार जान से ज्यादा
वहीं प्यार आज फ़साना सा हो गया
लेटा हूॅं मैं आलीशान गदे पर लेकिन
कांटों की सेज पर सुस्ताना सा हो गया
✍️✍️ जयश्री पाण्डेय