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आहों के सिवा

31 मई 2016

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गली गली हर कूचे से

डाली डाली हर बूटे से

गली जली हर हिस्से से

खाली खाली हर किस्से से

आहों के सिवा और कुछ नहीं आएगा


धूँआ धूँआ होगा अम्बर 

खेत खलिहान होगा बंजर

कूप कुँआ सूखा होगा

नन्हा पेट भूखा होगा

काली काली हर रात से

धानी धानी हर बात से 

आहों के सिवा और कुछ नहीं आएगा


बम बारूद हथीयार छोड़ दे 

दिल से दिल जोड़ दे

वरना टूटी फूटी हर ईंट से

अंजर पंजर हर भींत से 

आहों के सिवा और कुछ नहीं आएगा


चरमराते अस्थिपंजर से

वीराने में ऊंघते खंडहर से

आहों के सिवा और कुछ नहीं आएगा


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