समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी एक येसी कहानी है, जिसमें मेरी भावनाओ को मैंने समाज के दर्पण के रूप में, समाज के कभी कड़वे तो कभी सुखद पल के अनुभव के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, समाज के छुपे उन पहलुओं और बिखरे, लेकिन पाक भावनावो वाला बचपन, टुटा मन और छुपे दर्द में छुपी मुस्कान को कहानियों में दर्शाना और शास्त्रों के अध्यन को अपना मूल आधार बना, बीच-बीच में ज्ञान की बाते समाहित करना मेरी कहानियों में नजर आएगा। मैंने अपनी कहानी में समाज के अलग-अलग पहलुओं को लिखा है। यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है, इस कहानी के पात्र के नाम या घटना अगर किसी से जुड़े हैं, तो वह सिर्फ एक संयोग ही होगा, सभी पाठकों से निवेदन है, कि जैसे मेरी सारी कहानियों को सुंदर सुंदर समीक्षा दी है, वैसे ही इस कहानी को भी अपनी सुंदर समीक्षा दीजिए।
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