इस कहानी के माध्यम से यह बताया गया है कि एक छोटी सी बच्ची ने कैसे सभी डाकुओं को सुधार दिया और सब को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया।
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Bahut hi lajwab likha aapne awesome 👏👏👏👏
Bahut sundar likha hai aapne ma'am 👌👌👌👍👌👌
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साहब सिर्फ पांच हजार रुपये का कर्ज लिया था, आज चुकाते हुए एक वर्ष हो गए। फिर भी यह साहूकार कहता है कि दस हजार बकाया है, पांच हजार रुपये हर महीने का देता है। छः हजार रूपये तो दे चुका हूं और
लगभग 1600 सालों के दशक से जब ओरहठा नरेश वीरसिंग जूदेव की सियासत हुआ करती थी, और बंगरा पहाड़ियों में अलक नारायण के बुजुर्गों का एक छत्र राज हुआ करता था जो हमेशा जूदेव सरकार के दुर्ग की ढाल बनकर आक्रमणक
दिन ब दिन दूर-दूर गांव से दान पेटी में अनेकों समस्या आती है। वही रामदास का गिरोह एक विशाल सेना का रूप लेता जा रहा था, अब वह पूरे राज्य में उस मंदिर के देवता का सच्चा सेवक माना जाने लगा था। &nbs
काफी दिनों बाद दान पेटी से अबीर लगा एक खत प्राप्त हुआ, जिसके अंदर एक और खत था। पहला खत खोलने पर पंडित जी ने देखा उस खत पर लिखा था,यह खत सिर्फ विशेष रूप से रामदास प्रमुख को दिया जाए। अति विशिष्ट और गोप
सूर्य की पहली किरण के साथ हथियारों के बंकर से खनखन की आवाज और अलग-अलग बावडियों से से खबरियों की फुसफुसाहट के साथ सभी गुट प्रमुख जिन्हें रात्रि में अपनी अपनी जिम्मेदारियां सौंपी गई थी, &nb
प्रातः पूजन के पश्चात रामदास पंडित जी और गुप्तयोगी को भी साथ ले अवधेश कुमार के गाँव की ओर बढ़ चल।पंडित और गुप्तयोगी, रामदास के निर्णय को लेकर हमेशा से ही असमंजस में नजर आते थे क्योंकि रामदास एक अलग ही
जमीदार के भीतर जाते ही रामदास ने जेब में हाथ डाला और दो लिफाफे पंडित और गुप्त रोगी को थमा दिए। दोनों ने जैसे ही उसे खोल कर देखा तो दंग रह गए क्योंकि रामदास ने कल्याणी और गुप्त योगी की कुंडलियां विवाह