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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

9 जून 2023

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बप्पा क्या बात करते हो? वो समी  ट्रांस.......... शट अप, डोंट से एनीथिंग........ जिसके बारे में नहीं जानते, उसके बारे में मत बोला करो , और फिर तुम जानती ही क्या हो समी के बारे में, तुम्हें यह क्या पूरा शहर  बेवकूफ लगता है,,, वो नेता ,वो अधिकारी और यहां तक कि कलेक्टर और मुख्यमंत्री भी,  यह शहर की पूरी जनता सब पागल है क्या ??एक तुम्हारी ही पीढ़ी के चार लोग समझदार हो आए हो, और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई समी के बारे में यह बात करने की,  तुम कुछ जानती भी हो उसके बारे में........

                      आज 85 साल की उम्र हो गई, लेकिन आज तक मैंने इस पूरे शहर में किसी बच्चे या बूढ़े में इतनी हिम्मत ना देखी,  सभी उसे और उसके घर को मंदिर से भी ज्यादा तवज्जो देते हैं,  चाहे फिर वह किसी भी संप्रदाय का क्यों ना हो, सभी समी को इतना प्रमुख मानते हैं कि वह अपनी किसी भी काम की शुरुआत उसकी सलाह के बिना नहीं करते। बड़ी बड़ी राजनीतिक पार्टियां, चाहे बाहर कितना भी लड़ाई झगड़ा कर ले लेकिन समी दरबार में किसी की क्या मजाल जो किसी के खिलाफ कोई भी एक बात कहे......


                     उसके आंगन में जाने मात्र से ही सुमेर जैसा अपराधी जिसे ना जाने कहां कहां ढूंढा गया, उसने भी अपने सारे हथियार डाल उस समी के यहां माली का काम चुना, ये वही सुमेर था , जिसने ना जाने कितने अंग्रेजी अफसरों के एक साथ सिर उड़ा दिए थे, सुमेर के नाम सुनते ही बड़ा सा बड़ा बदमाश हथियार डाल देता था, और जब उस दिन भव-भूत समारोह में पूर्णाहुति के समय इस शहर के गणमान नागरिकों जिसमें स्वयं कलेक्टर, पुलिस प्रशासनिक अधिकारी और ना जाने कितने मंत्री शामिल थे, और जब उन्होंने सुमेर को पुष्पगुच्छ के साथ समी के चरणों में बैठा तो उसकी आंखें खुली की खुली रह गई , लेकिन सभी जानते थे जिसके सर पर एक बार भी समी अपना हाथ रख दे, उसके लिए ईश्वरी सत्ता भी झुक कर सभी समृद्धि प्रदान कर देती है। कुछ प्रभाव ही ऐसा है .........


                       क्या तुम जानती हो कि जो तुम कहने जा रही थी,  उसका क्या मतलब है.... हां यह सच है कि समी ना पुरुष दिखता है ना वह स्त्री है, वह तो सिर्फ भगवान शिव की भक्ति में रमा रहने वाला एक  एकाकार जगदंबे का ऐसा सेवक है जिसने मात्र अर्धरात्रि में स्त्री स्वरूप ,सिर्फ एक स्त्री हट को चूर चूर करने और ईश्वरी शक्ति का प्रभाव सिद्ध करने हेतु प्राप्त कर लिया....
                       समी बचपन से ऐसा नहीं था, वह एक सरल स्वभाव का दृढ़ निश्चय ईश्वरी शक्ति का भक्त था, उसके  मां बाप के बारे में कोई नहीं जानता,  बस इतना पता है कि किसी भी समस्या होने पर आज की ही तरह उस समय भी लोग उसके पास कोर्ट कचहरी के चक्कर में ना पड़ जा कर अपनी समस्याएं सुलझा लिया करते थे। 


                   ठीक इसी तरह किसी दूसरे प्रदेश से आई हुई एक नकचढ़ी लड़की जो नई दुल्हन की तरह इस शहर में आई थी , लेकिन उसे इस शहर की शांति पूर्वक का आवोहवा पसंद नहीं आई ,क्योंकि वह आजादी के नाम पर जिंदगी जीना चाहती थी, ठीक तुम लोगों की तरह.... नॉनसेंस कहते हुए अमृत जी का गुस्सा चरम सीमा पर था, तो वहीं समी के लिए सत्कार भी ठीक उसी स्तर पर..... और वो ही क्या ,, अगर यह बात किसी और के सामने कह दि होती तो शायद शीतल के गाल अभी तक लाल हो चुके होते, 
                             अमृत जी कह रहे थे कि कुछ ऐसे ही जब संध्या वंदन के पश्चात गांव वाले ग्राम सभा और विचार-विमर्श चल रहा था, तभी वैशाली को ले उसके ससुर पति और घरवाले पहुंचे, जिसमें उन्होंने अपनी बहू द्वारा झूठे आरोप लगाना और अपने पति को जबरदस्ती बाहर दूसरे शहर में नौकरी करने के लिए विवश करना , ताकि वैशाली अपनी मनमानी जिंदगी जी सके.....बताया जा रहा था,
                      चूँकि समस्या ग्राम सभा के  समक्ष थी , इसलिए पहले बुजुर्ग ने प्यार से समझाया , लेकिन वह कहां किसी की मानने वाली थी, सब की बात को अनसुना कर पूरे गांव में धमकी देने लगी कि मैं सब के खिलाफ शिकायत दर्ज कराऊंगी,  


                  तभी समी अपनी पूजा से उठा और शांति पूर्वक वैशाली से बोला, शांत हो जाओ वैशाली,  मैं जानता हूं कि तुम्हारी समस्या क्या है ??और यह भी जानता हूं कि तुम किस कारण यह सब कर रही हो,  इस शिव दरबार में भवानी की इच्छा से किसी को मुंह खोलकर कुछ कहने की जरूरत नहीं, सब कुछ जान और समझ लेने की शक्ति भी दी है मुझे,
                  सबसे पहली बात तुम इस छोटे से बच्चे को जो अभी मात्र  दो माह का भी नहीं हुआ है, को माध्यम रख सिर्फ आपने मातृत्व होने के आधार पर, क्योंकि बच्चे को सिर्फ तुम ही दूध पिला सकती है....आपको सिर्फ इतनी सी बात को आधार रख अपने सास ससुर और पति को ब्लैकमेल कर रही हो,  यह कहां तक जायज है...
                क्या तुम्हें ऐसी स्त्री स्वभाव शोभा देता है? सिर्फ अपनी मनमानी के लिए उस भगवान स्वरूप बच्चे को तो शैतान भी भूखा ना रखें और तुम ऐसा करती हो ,ऐसा करना कहां तक सही? और यह सभी ग्रामीणवासी तुम्हारी भलाई के लिए ही कह रहे हैं, कहते हुए समी उन्हें समझाने लगा था। 

    
                 तब वो भी एक चिर युवा था, जिसने ना जाने कुश्ती के मैदान में कितने लोगों को पछाड़ा होगा, लेकिन वैशाली तो सिर्फ बहस पर टिकी हुई थी, उसे बड़े बुजुर्ग आध्यात्मिक शक्ति किसी से कुछ न लेना देना, उसे तो सिर्फ समी के रूप में एक चिर युवा युवक की नजर आ रहा था, उसे उसके मुख मंडल पर उसकी जगह क्रोध नजर आ रहा था, इसलिए शायद उसने अपने संस्कार वस हट के कारण उसे ही चुनौती देते हुए अपने बच्चे को वहीं जमीन पर रखकर कह डाला कि, कौन समी??? कैसा समी??? मुझे यहां लाने की क्या जरूरत है,  
                  पुरुष प्रधान समाज और पुरुष से मातृत्व की कल्पना निरर्थक, तुम क्या जानते हो स्त्री स्वभाव को.... कभी कल्पना भी की है आपने, अपने आप में किसी स्त्री की, हां मैं कहती हूं और भूखा रखती हूं इस बच्चे को , अगर इस ग्राम कि तुम सच्ची आस्था हो और वाकई तुम्हें भवानी में इतना ही विश्वास है तो हां मैं बैठी हूं तुम्हारी चौखट के सामने, अगर इस बच्चे को रोने से तुम रोक सको तो रोक देना ,कहते हुए उसने उस बच्चे को वहीं जमीन पर रख दिया ,जिसे समी ने बड़े प्यार से गोद में उठाया और बोला, यदि बात सिर्फ समी की हो तो चल जाता,  लेकिन पगली तूने तो मातृशक्ति को ही ललकार दिया..........


जाओ जीवाजी अपनी बहू को लेकर, अब यह बच्चा समी की जिम्मेदारी है,  यकीन रखना तुम्हारे कुल का बड़ा नाम करेगा.....जहां बहू जाना चाहे उसे जाने दो ,कल सुबह इसे स्टेशन छोड़ आना। 
                 आज समी भवानी से एक नया वरदान मांगेगा, हां, मैं भी इस बच्चे के लिए मातृत्व स्वीकार करता हूं, ठीक है... कल फिर मिलेंगे जैसे भवानी की इच्छा , कहते हुए समी ने बच्चे को गोद में उठाया और गांव वाले को प्रणाम कर विदा किया। 

           सभी अचंभित थे , लेकिन क्रोध में भी हर कोई जवाब चाहता था और चमत्कार के दर्शन करना भी, वह जानते थे कि समी कोई सामान्य पुरुष नहीं ,  जिसे वैशाली ने ललकारा है, इसलिए सब शांति पूर्वक लौट गए और वैशाली गुस्से में फनफनाती हुई सभा से बाहर चली गई। 
                 जीवाजी समी की सत्ता को अच्छे से जानते थे, इसलिए बिना कोई शक किये चौखट से बाहर जाकर परिवार समेत  बैठ गए..... 
समी बच्चे को गोद में उठा मंदिर में पहुंचा और भवानी का स्मरण कर शिव सत्ता को पुकारने लगा, जिसने अर्धनारेश्वर   रूप ले सृष्टि का निर्माण किया, उस सत्ता का स्मरण करने लगा और देखते ही देखते वह नारी रूप में परिणित हो गया,  वह अब अर्धनारेश्वर था, और अपने वक्ष स्थल से बच्चे को लगा दूध पिला रहा था,  सारा गांव जब पलटकर देखता है तो समी उस बच्चे के लिए मां और पिता दोनों ही रूप ले चुका था, वैशाली कदमों में थी.... और जीवाजी अपराध बोध में हाथ जोड़े खड़े थे.........

शेष अगले भाग में.............

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Nice part

24 जून 2023

100
रचनाएँ
समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी
5.0
समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी एक येसी कहानी है, जिसमें मेरी भावनाओ को मैंने समाज के दर्पण के रूप में, समाज के कभी कड़वे तो कभी सुखद पल के अनुभव के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, समाज के छुपे उन पहलुओं और बिखरे, लेकिन पाक भावनावो वाला बचपन, टुटा मन और छुपे दर्द में छुपी मुस्कान को कहानियों में दर्शाना और शास्त्रों के अध्यन को अपना मूल आधार बना, बीच-बीच में ज्ञान की बाते समाहित करना मेरी कहानियों में नजर आएगा। मैंने अपनी कहानी में समाज के अलग-अलग पहलुओं को लिखा है। यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है, इस कहानी के पात्र के नाम या घटना अगर किसी से जुड़े हैं, तो वह सिर्फ एक संयोग ही होगा, सभी पाठकों से निवेदन है, कि जैसे मेरी सारी कहानियों को सुंदर सुंदर समीक्षा दी है, वैसे ही इस कहानी को भी अपनी सुंदर समीक्षा दीजिए।
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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

9 जून 2023
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बप्पा क्या बात करते हो? वो समी ट्रांस.......... शट अप, डोंट से एनीथिंग........ जिसके बारे में नहीं जानते, उसके बारे में मत बोला करो , और फिर तुम जानती ही क्या हो समी के बारे में, तुम्हें यह क्या

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

9 जून 2023
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हाउ कैन पॉसिबल????? मैं नहीं मान सकती, मैं क्या कोई भी साइंस का स्टूडेंट नहीं मान सकता है, यह बात सही है कि परिवर्तन हो सकता, लेकिन इसका भी एक प्रोसेस है, ऐसा मैं तो नहीं मान सकती...... क्यों नहीं मान

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

9 जून 2023
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साढ़े तीन सौ बीघा जमीन के मालिक शिवा सेठ जिसे नगर सेठ के नाम से जाना जाता था, वह अकेला लगभग उस गांव की आधे से ज्यादा जमीन का एकलौता मालिक था, लेकिन फिर भी उसकी वफादारी और भक्ति समी के लिए बड़ी ही

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

9 जून 2023
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यदि ऐसा है तो मैं क्या समझू, आखिर कौन है वह???एक मायावी, छलिया, महात्मा या राजनेता ..... आप क्या कहना चाहते हैं, हाँ मुझसे भूल हुई , उसके लिए मैं माफी मांगती हूं, इतना कहकर शीतल ने व

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

9 जून 2023
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असंभव दादा जी, यहां आपने कहां से कहां ला दिया, कहीं आप भूल तो नहीं गए कि हम बात समी की कर रहे हैं, किसी संत, महात्मा या महापुरुष की नहीं , भला ऐसे कैसे हो सकता है, कि एक साधारण मनुष्य बिना किसी श

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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सेवक सेठ की पत्नी के क्रोध में उसका दर्द तो छुपा ही था, लेकिन साथ ही साथ उसके मन में प्रभु के प्रति आस्था और दृढ़ संकल्प साफ झलकता था, उसे देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे क्रोध में वह नहीं स्वयं अंबा प्रकृत

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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असंभव ऐसे कैसे हो सकता है दादाजी .....मुझे तो यकीन नहीं आता ...और मैं क्या, यहां कोई भी यकीन नहीं करेगा, भला ऐसे भी हो सकता है क्या ?आप बस ऐसे ही कुछ भी , हाँ मुझे पता था, तुम यही जानना चाह

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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यदि समी इतना ही प्रभावी था, तो फिर उसका मानव जीवन कैसा और उसे समाज में रहने की क्या आवश्यकता ?????क्या उसमें कोई भी मानवीय गुण नहीं थे??यह सब तो देविक गुण है, जैसे हमने आपसे सुना है।

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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सभी मंत्रमुग्ध हो दादाजी से किसी छोटे -छोटे बच्चे की तरह समी का वर्णन सुनते और भांति भांति के प्रश्न करते, लेकिन जेनिफर शीतल को इशारा कर बार-बार यह पूछना चाह रही थी कि, क्या समी के कोई दोस्त नहीं थे,

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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सुनील गवार की ऐसी निश्चल भक्ति के कारण हि शायद सेवक सेठ उसके हाथ से बने हुए और यहां तक कि उसके घर के बासी भोजन को भी प्रसाद के रूप में क्यों और कैसे स्वीकार कर लेता, जबकि उसे सारा नगर गवार के नाम से प

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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सत्यम सुनार ने अपनी पुत्री के जन्म दिवस पर मंदिर में एक भव्य समारोह का आयोजन किया, जिसकी बागडोर हर बार की तरह कुसुम और समी के हाथों में दी, बस कुछ भिन्न था तो यह कि हर बार मंदिर में एक नई

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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सच कहो सलोनी क्या, तुम समी को वाकई चाहती हो, या सिर्फ आकर्षण है??देखो ऐसा देवत्व पुरुष बड़े नसीब वालों को ही मिलता है। यदि तुम्हारी किस्मत में वाकई समी हुआ, मैं तुम्हें क्या, स्वयं अपने आपका जीवन

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10 जून 2023
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इस गांव की हर बेटी मेरी बेटी की तरह है, और रही बात कुसुम की तो बेशक उसे जन्म तो मेरी पत्नी ने दिया है, और वह मेरे वंश का गौरव जरूर है, लेकिन उस पर मेरा कोई अधिकार नहीं, क्योंकि मेरी आंखों के सामने मेर

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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ईश्वर जो चाहे सबको दे, सब पाकर उसे खुश रहें.....ईश्वर जो चाहे सबको दे, सब पाकर उसे खुश रहे ..... कहते हुए वह फ़क़ीर गांव में परिक्रमा

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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कि ये सुर्ख निगाहें और भीगी भीगी सी आंखें जाने क्या कहती है.......कि ये सुर्ख निगाहें और भीगी भीगी सी आंखें जाने क्या कहती है.......भला क्या सलोनी मैडम भी किसी का दर्द सेहती है ओह नो .....

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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प्रेम, विश्वास ,छलकपट से परे समी और कुसुम तो सिर्फ भक्ति और सेवाभाव जानते थे, उन्हें भला बाकी दुनिया से क्या लेना देना, ऐसा एक नहीं कई दफा हुआ कि जब बड़ी ही विपरीत परिस्थितियों में ना सिर्फ ग्रामवासिय

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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अगर इस थैले में सौ सोने के सिक्के और दस हिरे रहे होंगे तो उतने ही मिले होंगे, इसमें मुझे भला क्या सोचना, कहकर वो ग्रामीण धोपल सेठ को कह रहा था, लेकिन धोपल सेठ ना जाने क्यों बार-बार इस तरह जोर दे

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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रमता जोगी क्या मांगे, भला खेत खलियान वचन भी ना झूठा जाए, कृपा रखे भगवान कहते हुए उच्च स्वर में वह ग्रामीण अपनी मस्ती में मंदिर के चक्कर लगा रहा था ,और रह-रहकर जय भोले के नारे लगा रहा थ

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10 जून 2023
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क्या सच में ऐसे भी लोग थे, या है हमारे गांव में दादाजी, जिनमें वाकई इतनी शक्तियां मौजूद थी, और क्या सच में समी की ही तरह ईश्वर सभी पर कृपा करते हैं,खैर आप तो पहले यह बताइए कि वह आई.ए.एस बनने गई

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10 जून 2023
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भैया बीस का प्रसाद देना, जिसमें पांच की चुन्नी और बाकी सब जो भी जरूरी हो दे दो, कहते हुए उस स्त्री ने आंचल से पैसे निकाले और मुड़ी तुड़ी दस-दस की दो नोट दुकानदार के हाथों में थमा दी, दुकानदार ने प

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10 जून 2023
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संध्या हो चली थी, जब घर पहुंचे ज्ञानचंद जी ने सारी बात अपनी पत्नी को समझाए ,तो तब तो वह सुनते ही आग बबूला हो उठे और कहने लगी, आप दोनों यही सब करने मंदिर जाते हैं, घर का मजाक बनाते हैं, भला कोई पिता क्

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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आप यदुवंशी है जो यहां इस गांव में एक नामी परिवार के रूप में जाने जाते हैं, और शायद वे अपने जीवन की व्यस्तता के कारण आ ही नहीं पाए , क्योंकि इस ग्राम में तो और भी उनके

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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वाह ईश्वर तेरी माया तू ही जाने ,कहते हुए रोशनी की आंखों से अश्रु धारा बहने लगी क्योंकि संपूर्ण समुदाय पहले से ही उस मंदिर के चमत्कार होते देख चुके थे, वहां उपस्थित सभी लोग भली-भांति समी और

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10 जून 2023
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दादा जी आप भी ना हम बात कर रहे हैं समी की और आप पूरे गांव की कहानी सुनाने लग गए, लेकिन आप की कहानी सुनकर बड़ा सुकून मिल रहा है, समझ नहीं आ रहा है, जैसे पूरा गांव समी में समाया है, समी यहां घर- घर, हर

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10 जून 2023
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सत्यम सुनार और सुनील गवार मंदिर पहुंच उन्होंने समी और कुसुम को कहा, सत्यम सुनार को लेकर मेरे मन में थोड़ी घबराहट महसूस हो रही है, कुसुम क्या इसका कारण बता सकती हो? सच कहना क्योंकि तुम दोनों ही भूत, भव

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10 जून 2023
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कुसुम ने सलोनी से कहा कल तुम खुद ही बदल जाओ , क्या पता कल तुम खुद ही समी से विवाह करना ना पसंद करो, या समी खुद मुझसे विवाह का प्रस्ताव रखे, तब तुम क्या करोगी? &

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10 जून 2023
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अचानक से फोन की घंटी बजती है, जय जाकर फोन को उठाता है और आश्चर्य से सिर्फ क्या??? ओहो...... सही में........सिर्फ इतना ही सलोनी और सैजल सुन पाए, जैसे ही फोन रखा, सलोनी मुस्कुराने लगी, बोले क

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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अरे हां, वह तो मेरा नाम जानता था, उसने मुझे जय नाम से पुकारा था, और ज़ईं भी कहा था ,सलोनी ज़ईं का मतलब जवाई होता है????क्या मतलब उस गांव का जवाई....... ओह नो..... आई कांट बिलीव दिस........धन्य है तुम्हा

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10 जून 2023
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पूरे समय इतना शांत व्यक्तित्व ओज पूर्ण चेहरा, सरल स्वभाव, इतनी मान प्रतिष्ठा, सब कुछ खुद जय को भी आकर्षित करता था, कि काश उनका भी कोई भाई या वह खुद ऐसा होता, उसे अपनी नौकरी समी के सामने व्यर्थ नजर आ र

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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कुछ इसी तरह एक लंबे अंतराल से तप साधना और सेवक भाव के कारण सेवक सेठ और सेठानी ना जाने कितनी ही परा शक्ति प्राप्त कर चुके होंगे, जिसका आकलन सामान्य व्यक्ति के लिए संभव नहीं और इसकी आवश्यकता भी नहीं, क्

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10 जून 2023
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जय हम जा तो रहे लेकिन जाएंगे कहां???? ऐसा सुनने में आया है कि पिताजी आश्रम में रहने चले गए हैं, अब हम किसके घर जाएंगे? जय बोला इस सवाल का जवाब ढूंढने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि जितना मैं अभी तक जान चुक

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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नगर द्वार में इतनी भीड़ देखकर ड्राइवर को लगा जैसे शायद गांव में कोई उत्सव चल रहा है, इसलिए वह थोड़ा सतर्क होकर गाड़ी चलाने लगा, वह अत्यंत हर्ष से भरा हुआ था, क्योंकि जय और सलोनी की तरह उसे भी समी और क

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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ना जाने कितने इंतजार के बाद जय का मन अब शांति की ओर बढ़ रहा था, क्योंकि जब वह पहली बार समी के साथ पूजन हेतु उपस्थित हुआ तब से लेकर आज तक वह मन ही मन उस मंदिर में आकर एक बार फिर समी से मिलने और महा पूज

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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सभी लोग सिर्फ सुन सकने की स्थिति में थे, उन्होंने सिर्फ इतना सुना था कि लता देवी कह रही थी कि जैसा तुमने कहा था, जब मैं दूसरे वंश की जातक कन्या के रूप में तुम्हारे वंश की किसी कन्या के गर्भ से उत्पन्न

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

10 जून 2023
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अच्छा नानी आप मम्मी से कितना प्यार करती हो???? बहुत........ नहीं फिर भी कितना ??????इतना क्या , सैजल ने अपने दोनों बाहें फैलाकर नानी को दिखाया और बोली इतना......... जिसके प्रत्युत्तर में सलोनी क

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

11 जून 2023
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विक्रम क्या बात है, बड़ी उलझन में लग रहे हो, समी ने जय के ड्राइवर से कहा, कुछ कहना चाहते हो कह दो, यह मंदिर सभी के लिए है, और यहां सभी को बराबर हक हैं अपनी बात रखने का, फिर भला इतना संकोच क्यों? और फि

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

11 जून 2023
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समी ने मुस्कुराकर मिठाई को लेकर जय भोले सब पर कृपा करें, मिठाई की एक जैसे ही पीस खाई ,वह वहीं बैठ गया और घुटनों पर हाथ रख करहाने लगा, विक्रम समी की हालत को देख घबरा गया, और दौड़ कर पानी ले आया,

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

11 जून 2023
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तो क्या इस गाँव में सब कुछ देवत्व सा ही था वो क्या कहते हैं ब्लैक मैजिक अतृप्त आत्मा, वगैरह.......वगैरह.......वगैरह....... जैसा कुछ भी नहीं था, यदि हो तो वो भी बताये, सीनू (शीतल की सेहली) ने पूछा दादा

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

11 जून 2023
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मजा नहीं आया दादाजी..... और कुछ खौफनाक है क्या???? वह भी बताएं, इसमें तो दोनों ही पक्ष एक जैसे लगे। अगर हो तो प्लीज बताओ ना, मैत्री (शीतल की सहेली) ने सब का प्रतिनिधित्व करते हुए दादा जी से कहा और तब

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

11 जून 2023
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लेकिन दादा जी इसमें तो कोई डरावना तो था ही नहीं, कहानी अच्छी लगी, लेकिन डरने लायक जैसी कोई बात नहीं लगी, पर दादाजी आप कहानी सुनाते रहो, हमें भी जानना है कि आखिर आगे इस कहानी में क्या हुआ, सुनाते रहो..

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

11 जून 2023
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मतलब गांव में ले आए इसका क्या आशय है दादा जी आपका??????? क्या वे खुद नहीं आ सकते थे????? क्या उनकी भी कोई परिधि है???? अचानक चहकते हुए शीतल ने सवाल किया.......हां........ दादा जी बोल रहे थे....... हां

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

11 जून 2023
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तो फिर दादा जी ऐसी आत्माएं कब तक भटकती रहती है??? कुछ तो समय होगा इनका?????? क्या इनकी शांति का कोई उपाय नहीं?????शीतल ने उत्सुकता वश पूछा.......जिसके जवाब में दादाजी बताने लगे उपाय है, कुछ ऐसा हो कि

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

11 जून 2023
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हमें याद है आज भी वह दिन जब पूरे गांव में दूसरी बार मंदिर और सेवक सेठ का पूरा परिवार चर्चा का विषय बना हुआ था, सबके मन में अनेकों सवाल उसके साथ अनेक मत , ज्ञान और स्वरचित कहानियां ना जाने किस-किस ने क

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

11 जून 2023
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अच्छा दादा जी यह लोग भी ना...............अरे भाई पहले समी की शादी का तो सोचो, लकी (शीतल की दोस्त) ने चहकते हुए कहा, हां...... हां....... जरा ठहरो, देख नहीं रहे हो, दादा जी कुछ विचार में है,

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

11 जून 2023
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प्रमाण का शब्द सुनते ही सेठानी का क्रोध जाग उठा ,और वह कहने लगी कि आखिर कब तक पुरुष प्रधान समाज महिलाओं की परीक्षा लेता रहेगा???? यदि प्रमाण चाहिए तो समाज वचन दे की आज के बाद यदि मेरी कुसुम परीक

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

11 जून 2023
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आज बरसों बाद फिर से सेठानी ने दूसरी बार खुद की भक्ति को दाव पर लगाया था, सज्जनों ने भले ही भांप लिया कि मूर्खों की मूर्खता के कारण ही लेकिन इस ग्राम का पावन होना निश्चित है ,क्योंकि जिस मंदिर में स्वय

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समी-द मिरेकल ऑफ सोसाइटी

11 जून 2023
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इसका मतलब तो यह है दादाजी की कुसुम समी से कई ज्यादा शक्तिशाली है, लेकिन फिर भी आप सिर्फ समी की इतनी बातें सुना रहे हैं, अब तो हमें ऐसा लगता है जैसे हमें समी के साथ-साथ कुसुम को भी अध्ययन का विषय

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11 जून 2023
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कुसुम के मन को नियंत्रित किया जा सके कि तभी सेठानी उठ वहां खड़ी हुई और ऐसा परिदृश्य देख बाधा ना पहुंचे ,सोच अपनी छुपी हुई गूढ़ शक्ति जिसे मेघा शक्ति के रूप में उन्होंने प्रकट किया ,और कुसुम

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11 जून 2023
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सेठानी जी शक्ति से प्रार्थना किए जा रही थी,हे मां..... हो सके तो अपनी सृष्टि रचना में स्त्री को भी समानता का स्थान प्रदान करें, आखिर कब तक मैं गंगा की तरह अपने पुत्र समी को भीष्म पितामह की तरह देखते र

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11 जून 2023
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ठहरो आश्रम में प्रवेश की अनुमति वर्तमान में निषेध हैं.... सुजाता( कुसुम की सेविका कम सहेली) ने ग्रामवासियों को आश्रम के द्वार पर ही रोकते हुए ललकारते हुए कहा, उसने भाषा विनम्र लेकिन कठोर उपयोग की, जिस

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11 जून 2023
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उस दिन भर दोपहर में जैसे काले बादल छाने लगे ,और जिस पर्वत की और गुरु मां ने इशारा किया था, वह दिव्य आभा के साथ चमकने लगा, चंदन और रोली की खुश्बू हवा में बहने लगी और सारा वातावरण खुशनुमा सा लगने लगा, उ

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11 जून 2023
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तो क्या दादाजी ऐसा कभी ना हुआ, बदलती संस्कृति के दौर में कभी नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी की टकराहट का परिणाम समी को प्रभावित कर सके, कभी तो ऐसा हुआ होगा कि किसी मदमस्त युवा ने समी की सत्ता को स्वीकार करन

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11 जून 2023
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हेलो दामिनी .....मैं खुशबू बोल रही हूं, पापा एक पार्टी रखने वाले है, जिसमें सभी को इनवाइट किया जाना है,सुनना...... अपनी सभी सहेलियों को मेरी तरफ से भी इनवाइट कर देना, और कहना बढ़िया से सच सवरकर आए, लग

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11 जून 2023
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भला ऐसे कैसे हो सकता है, एक व्यक्ति एक समय में अलग-अलग कपड़ों के साथ अलग-अलग स्थान पर यह बात कुछ समझ में नहीं आती है, यदि यह सच है तो कैसे संभव, आप तो हमारी जिज्ञासा बढ़ाते ही जा रहे हो,,, पहले

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11 जून 2023
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ओ गॉड दादा जी, इतना कुछ वाकई जिनको इतना कुछ आ जाए तो फिर शेष क्या ????लेकिन यह वेद और पुराण क्या है????यह दोनों एक ही जैसे लगते हैं, फिर इन दोनों में क्या अंतर है, बहुत सुना है इनके बारे में, प्लीज कु

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11 जून 2023
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सभी लोग बड़ी जिज्ञासा के साथ छः बजे दादा जी के पास पहुंच गए, तभी शीतल ने कहा, दादा जी यह पुराण क्या होता है?????क्या वे भी ऐसे ही है??? कृपा कर कुछ बताएं...हम उनके बारे में कुछ जानना चाहते है, किनके द

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11 जून 2023
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अच्छा दादा जी यह बताइए, क्या समी सिर्फ इंसानों का ही सहायक है, यदि वह संपूर्ण ग्राम का सेवक है, तब तो उसे सभी की मदद करनी चाहिए और जैसा कि आपने बताया कि वह पशु पक्षियों की भाषा भी समझने में सक्षम है,

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11 जून 2023
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समी ने सब को समझाते हुए लिए गए निर्णयों में और कार्यो की रूपरेखा में परिवर्तन और बाधा उत्पन्न करना उचित नहीं होगा, यह सब लिखित तौर पर प्रस्तावित हुआ ,जिसे सब ने मिलकर स्वीकार किया, और इस तरह मूर्ति नि

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11 जून 2023
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समी सुकू सेठ को कहने लगा कि तुम्हें हंसी किस बात की आ रही है, क्या तुम्हें नहीं पता तुम्हारे बुजुर्गों इन्हें कुल देवता के रूप में पुजते थे, क्या तुम नहीं जानते या तुम्हें बताना होगा कि यह जमीन तुम्हा

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11 जून 2023
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तब फिर उस गदा का क्या हुआ दादा जी????? क्या वो आज भी उस मंदिर में उपस्थित है???? हम उसे देखना चाहेंगे????? दादा जी बोले नहीं गर्भ गृह में उसकी छाया अवश्य स्थित है, क्योंकि वास्तविक गदा तो

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11 जून 2023
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अगली सुबह सभी पूरी तैयारी के साथ शीतल के घर नियत समय से पहले पहुंचे, लेकिन इस बार बैठक के लिए घर के अंदर नहीं बाहर का गार्डन चुना गया, उनके घर के आंगन में आम के घने वृक्षों के नीचे बैठने का उचित इंतजा

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11 जून 2023
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जब इतनी अथाह संपत्ति जगह-जगह बिखरी पड़ी है, तब सरकार ने इस काम में सर्वे क्यों नहीं कराया और पुरातत्व विभाग ने उस संपत्ति को ज़ब्त नहीं किया ,या फिर किसी और ने कोई आपत्ति क्यों ना जताई हो, यह बड़

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11 जून 2023
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पूरी ग्राम सभा के बीच संजय महावत और अंकुर दास अपना अपना पक्ष रख रहे थे, लेकिन निर्णय किसके पक्ष में लिया जाएगा? समझ पाना संभव न था, क्योंकि संजय महावत होने के कारण और वर्तमान में जमीन उसके पास ह

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11 जून 2023
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विद्यालय से लगी हुई जमीन यदि गलत हाथों में चली गई तो यह तय नहीं कि वह उसका उपयोग किस रूप में करता है, और यह बेवकूफ अब तक सब बातें छुपा उस जमीन पर लोन कर्जदार घोषित हो गया, जिस कारण वह जमीन सरकार

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11 जून 2023
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तेज चलती और तप्त हवाएं वह भी शीत के मौसम में यह स्पष्ट कर रही थी ,कि अवश्य ही कोई विशेष आभा मंडल की ऊर्जा वातावरण को प्रभावित कर रही है, वरना यूं ही हवाओं में गर्मी नहीं होती, वह भी किसी विशेष स्थान प

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11 जून 2023
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तब ठीक तय हुआ कि सुमेरु की जमीन के लिए सुमेरु खुद ऑक्शन में (बोली लगाने) जाएगा, और रही बात उपस्थिति की तो उस समय मंदिर प्रभारी, समी और कुछ प्रमुख सभासद उपस्थित होंगे, बोली किसी भी हाल में सामने

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11 जून 2023
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शांत रहे शोर मत कर यहां ,विलाप करना या सवाल करने का अधिकार किसी को नहीं है, यहां सिर्फ सवाल करने का अधिकार मुझे है, ठीक वैसे ही जिस तरह जब तू कुर्सी पर बैठा होता है तो सब तेरा कहना मानते हैं।&nb

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11 जून 2023
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ठहर और बैठ अपनी जगह,ज्यादा होशियारी की तो चिता समेत इस गहराई में गाढ़ दूंगा , कि प्रलय के बाद भी मुक्ति ना मिलेगी, क्या समझ रखा है??? तेरा बाप बैठा यहां जुर्म तू करें और दोषी दूसरे को ठहराता हैं, और उस

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11 जून 2023
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और कहे क्या और कोई सवाल शेष हैं, या मैं जाऊं, कहते हुए उस अघोरी ने वेद प्रकाश की ओर देखा, वेद प्रकाश समझ चुका था, कि अब तक वास्तव में वह जिसे वह सिर्फ अघोरी मात्र समझ रहा था, व

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11 जून 2023
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दादाजी आज आप बड़े मुस्कुरा रहे हो, शीतल दादाजी से पूछने लगी, दादाजी बोले हाँ एक प्रसंग याद आया, बस वही सोचकर मुस्कुरा रहा हुँ, तब शीतल और उसके दोस्त बोलने लगे, कैसा प्रसंग दादा जी, हमें भी जरा सुनाइए,

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11 जून 2023
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अब विजय को विशेष आदर-सत्कार मिलने लगा, और उसका धीरे-धीरे लालच और मोह भी बढ़ता गया,अपने छोटे भाई से पहले उसने सारा धन मांगा, फिर पुरा गाँव मांगकर उस पर शासन करने लगा, छोटे भाई ने उसके सभी इच्छाओं को पूर

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11 जून 2023
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बधाई हो सुसेन जी, हमें तो लगा था, आपके गांव में अखाड़े ही बंद हो गए, लेकिन विश्वास था एक ना एक दिन चाहे जैसे भी प्रतिभा उभर- उभर कर सामने जरूर आएगी, कोई बच्चा थोड़ी ही है, जो छिपाकर रखे, वीरता छुपाए न

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जहां तक मैंने सुना है कि उनका स्वभाव शुरू से ऐसा नहीं था, और कहीं ना कहीं मैंने उनके पिता श्री कौशल कुमार जी के बारे में जितना सुना, उनका स्वभाव भी ऐसा नहीं है,और आजकल वे खुद अपने पुत्र के इस व्यवहार

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11 जून 2023
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वही मुझे लौटना होगा, त्रुटि तो हुई है, मैं जिसे अपनी जीत समझ रहा था, और जिस झूठी जीत से मुझे इतनी बधाइयां मिली है, वह सब निरर्थक है, आखिर ऐसे कैसे हो सकता है, वह सब कुछ जानते हुए भी अपनी हार स्वीकार क

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11 जून 2023
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अच्छा चलिए......" किसी मात्र एक प्रसंग से स्त्री के त्रिया चरित्र को समझाइए"कहते हुए चगला जोगी मुस्कुराने लगे, क्योंकि मात्र किसी एक प्रसंग से त्रिया चरित्र की व्याख्या करना असंभव सा है, लेकिन सेवक से

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11 जून 2023
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यदि संसार में ऋण की बात की जाए तो एक पिता और गुरु के रुप में किस का ऋणी मनुष्य कहीं ज्यादा होता है????यह मेरा अंतिम सवाल???? इसके जवाब में अनेकों तर्क वितर्क दिए गए, जिसमें अधिकांश पितृ ऋण को प्रमाण प

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11 जून 2023
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शीतल और उसके दोस्त कहानियों के माध्यम से एक ऐसे परिवार के विषय में जानने को आतुर थे, जो वास्तव में सांसारिक होते हुए भी सांसारिक नहीं था, उसका पल प्रतिपल समाज और लोक कल्याण हेतु समर्पित था। कहानियों क

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11 जून 2023
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भला ऐसे कैसे हो सकता है, मैंने तुम्हें बिना किसी एक रुपए लगाए हिस्सेदार बनाया और तुम खुद आज अपनी हिस्सेदारी तोड़ना चाहते हो???क्या तुम्हारे मन में लालच आ गया या कुछ और स्पष्ट बताओ, कहते हुए प्रेम ने अ

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भला ऐसे कैसे हो सकता है, मेरे सारे खिलौने टूट गए, खड़ी फसलें बर्बाद होने लगी, मैं इन से क्या मांगू?? आप ही बताएं..... क्योंकि मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा, ऊपर से लोगों के ताने अलग सुनने में आ रहे,

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एक अनोखी दास्तां सुनकर सभी हैरान थे, क्योंकि आज तक ऐसा कभी किसी ने सुना भी ना था, और ना ही कोई इस बात पर यकीन मान सकता था कि, इतनी महंगी वस्तु जिसे जमीन में गाड़ कर ऊपर से संदूक में बंद करके ताल

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11 जून 2023
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दादा जी हमें समी के बारे में और कुछ बताएं, लकी (शीतल का दोस्त )ने दादाजी की और देखते हुए पूछा, दादाजी ने मुस्कुराते हुए कहा, और क्या जानना है तुम्हें ????लकी ने कहा जिसमें सच झुठ का न्याय किया हो समी

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मैंने कहा था लेकिन लकड़ियों के सौदे की कोई बात नहीं हुई थी ,और मैं बार-बार यही बात दोहरा रहा हूं कि मुझे उन लकड़ियों से क्या फायदा, जिसे लेने के लिए मैं इस लकड़हारा से सौदेबाजी करूं, मैं ठहरा मसालों क

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अवतार सेठ और ऋषभ लकड़हारा की बातें हम सब पंचों ने सुनी, ध्यान पूर्वक उस पर विचार किया, और इस निर्णय पर पहुंचे कि अवतार सेठ को कुल मिलाकर पंद्रह आने की रकम दान स्वरूप चुकानी होगी, यह निर्णय हमने बहुत स

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11 जून 2023
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ऐसे भला कैसे हो सकता है ????हमें तो समझ नहीं आ रहा, आपने दो-तीन प्रसंग ऐसे सुनाएं ,जिसमें कभी हाथी दांत की उपस्थिति ,तो कभी हाथियों की चिन्घाड़ने की आवज सुनाई देना, तो अभी- अभी घर के बर्तनों से प

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11 जून 2023
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यह क्या कह रहे हो तुम???? क्या एक सौ दस मुद्राएं थी उस पोटली में ........समी ने उस कंजूस व्यापारी धनाराम सेठ से पूछा????धनाराम सेठ ने समी की ओर देखते हुये कहा, हाँ पूरे एक सौ दस मुद्राएं थी मेरी

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दादा जी लगता हम इन गाँव वाले की कहानियां सुनते सुनते समी और कुसुम के दांपत्य जीवन को भूल ही गए, हमें कुछ उनके विषय में भी बताओ, कि विवाह के पश्चात कुसुम और समी का जीवन कैसा रहा??? क्या उनका वंश विस्ता

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11 जून 2023
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यह क्या बात हुई दादाजी, भला यह कैसा न्याय और क्या प्रकृति में ऐसा संभव है??? हमें तो आपकी बातें कुछ भी समझ में नहीं आती, हर बार एक आश्चर्य की ओर मोड़ देते हो आप, उस बच्चे संस्कार का भला क्या दोष था???

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तुम्हें क्या लगता है, कि तुम्हारी पिता की मौत किसी सड़क दुर्घटना में हुई और यदि ऐसा है तो सोच कर बताओ कि दुर्घटना का कारण क्या होगा???? जिस रात तुम्हारे पिता की मृत्यु हुई, उस दिन सभी व्यापारी एक साथ

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मुझे अब समझ में आया कि आखिर मेरे गुरु ने क्यों मुझे शिक्षा दीक्षा के बाद आपके पास भेजा, क्योंकि शायद पूरे संसार में कोई विरले ही ऐसा होगा जिसमें आप जैसी छवि देखने को मिले, जिस व्यक्ति और तांत्रिक ने आ

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सोहन के ऐसे प्रयास को देख परमहंस एक बात तो समझ चुके थे, कि चाहे समाज में कितना भी परिवर्तन आ जाए, कैसा भी व्यवहार वह प्राप्त कर ले, फिर भी दुष्टता जड़ से नहीं मिटती, प्रवीण कुमार जैसे मतलब परस्त और धो

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वह तलिस्मान का सुरक्षा कवच था, जिसे तोड़ पाना इतना आसान नहीं था, तलिस्मान जिसको तंत्र कवच भी कहा जा सकता है, एक वक्त था जब राजा- महाराजा अपने राज्य के बड़े बड़े तांत्रिक को और विशिष्ट सिद्धियों को जान

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सेवक यदि मुझे बचाना ही था, तो पहले क्यों नहीं आए, क्यों न मान ली मेरी बात, मैंने भला मांगा ही क्या था??सिर्फ़ मदद तो मांगी थी, क्या मैं धन का दुरुपयोग करता, या तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं, सच बताओ,यदि

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इस ग्राम के इतिहास में जब-जब लालच की परिकाष्ठ को परखा जाएगा तब तब आप का जिक्र होगा, आप जैसा पिता तो शायद शैतानों को भी नसीब ना हो, जो अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए अपने बच्चों को भी दांव पर लगा

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दादा जी आप भी ना हम बात कर रहे हैं समी की और आप पूरे गांव की कहानी सुनाने लग गए, लेकिन आप की कहानी सुनकर बड़ा सुकून मिल रहा है, समझ नहीं आ रहा है, जैसे पूरा गांव समी में समाया है, समी यहां घर- घर, हर

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राकेश समी की बात सुनकर तुरंत उठकर चल पड़ा, ऐसे लग रहा था जैसे वह बस इसी बात का इंतजार कर रहा था, कि कब उसे कोई कही जाने का कहे, बड़ा चौंकाने वाला व्यवहार था उसका, जैसे उसे कोई आदेश म

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दादाजी हर बार बार अलग अलग प्रसंग सुनकर हमें बहुत अच्छा लगता हैं, शीतल ने मुस्कुराते हुए दादाजी से कहा............ दादाजी और कुछ हमें बताइये, तब दादाजी ने कहा, मैं तुम लोगों को एक प्रसंग सुनाता हूं....

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दादा जी आपने हमें बहुत से प्रसंग सुनाये, और सारे प्रसंग हमें बहुत अच्छे लगे और हमारी आगे और भी जानने की इच्छा बढ़ती ही जा रही है, दादा जी आपने हमें जिन्न, तांत्रिक, अघोरी, प्रेम, आत्मा, बुरी आत्मा सब

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11 जून 2023
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वाकई खूबसूरत .... बड़ी खूबसूरती से आपने और आपके कथानक समी ने आखिर इस समस्या का समाधान भी निकाल लिया, लेकिन क्या इनका व्यवहार और शक्तियां सिर्फ इंसानों तक ही सीमित है, क्या कभी समी का

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11 जून 2023
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हां, यही ,इन्हीं ने भरा-पूरा खेत बर्बाद कर दिया, समी कितनी मुश्किल से इस बार की खेती तैयार की थी, और सोचा था कि अच्छी फसल से मिली हुई रकम से अपनी बेटी की शादी करूंगा, लेकिन सब कुछ चौपट हो गया, मैं किस

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पिता की संपत्ति का उपयोग करते समय किसी भी कुल का वंशज अपने पूर्वजों के पुण्य फल पर विचार नहीं करते, ठीक वैसे ही उसे पाप कर्मों के फल पर मिलने वाली सजा पर भी विचार करने का कोई अधिकार नहीं है, इसलिए हिं

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