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ओ सदानीरा तू बहती है गंगा की जैसी धारा.... तू सिचती है मरुस्थल भूमि को मैदानी भागों ओ सदानीरा तेरी उद्गम हैं धौलागिरी की पर्वत से कोई कहता है त्रिवेणी पर्वत से नेपाल से होते हुए बहती है भारत म